कभी आप्रवासियों का किया था स्वागत, अब खिलाफ हैं मेक्सिकोवासी
८ जुलाई २०१९मेक्सिको की पुलिस, सेना के जवान और नेशनल गार्ड के सिपाही आप्रवासियों को खोजने के लिए होटलों, बसों और ट्रेनों पर छापा मार रहे हैं. हिरासत में ली गई मध्य अमेरिकी महिलाएं अपने बच्चों के साथ पुलिस की वैन में रो रही हैं. हिरासत केंद्रों की स्थिति बदहाल है जहां बड़ी संख्या में लोगों को रखा गया है. इस तरह के दृश्यों ने अमेरिका में खलबली मचा दी है, लेकिन मेक्सिको में राष्ट्रपति आंद्रेस मानुएल लोपेस ओब्राडोर की सरकार के खिलाफ बहुत कम प्रतिक्रिया देखने को मिली है. हालांकि पहले मेक्सिको में आप्रवासियों के लिए गहरी सहानुभूति थी, लेकिन 2018 के अंत में आई आप्रवासियों की लहर ने इस सहानुभूति को खत्म कर दिया. मेक्सिको के लोगों का अनुभव काफी बुरा रहा. इसका असर ये हुआ कि आप्रवासी समूहों और उनके समर्थकों के बीच गहरी खाई बन गई. वामपंथी माने जाने वाले लोपेस ओब्राडोर की कार्रवाई पर भी इसका असर हुआ.
मेक्सिको के सीमावर्ती शहरों में रहने वाले वहां हो रही परेशानियों और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा सीमा बंद करने की धमकियों के बाद सभी आप्रवासियों को एक समस्या के रूप में देखने लगे. सर्वे बताते हैं कि मेक्सिको की दक्षिणी सीमा और अन्य केंद्रों पर आप्रवासी शिविरों की दयनीय स्थिति और कार्रवाई के बावजूद लोपेस ओब्राडोर के लिए समर्थन की दर 66% से 72% तक स्थिर रही है. ईएल यूनिवर्सल सर्वे के अनुसार अक्टूबर 2018 में आप्रवासियों के पहले जत्थे का मेक्सिको में गर्मजोशी से स्वागत हुआ. हालांकि उस वक्त भी मेक्सिको के लोग इस बात पर समान रूप से बंटे हुए थे कि क्या उसे अन्य देशों के आप्रवासियों को उचित दस्तावेजों के बिना प्रवेश करने से रोकना चाहिए या नहीं. यह सर्वे 3 से 7 जून के बीच 1000 लोगों के बीच किया गया था.
बदल गई लोगों की राय
आठ महीने बाद इसी सर्वे में 61.5 प्रतिशत उन्हें रोकने के पक्ष में थे तो वहीं 33 प्रतिशत ने इसका विरोध किया. इससे भी ज्यादा नाटकीय यह था कि मेक्सिको में आप्रवासियों को शरण देने के सवाल पर राय उलट गई थी. अक्टूबर में, लगभग 48% ने इसका समर्थन किया, जबकि 38% ने विरोध किया. जून तक यह उल्टा हो गया था, जिसमें 57% ने विरोध और 37% ने पक्ष लिया.
मेक्सिको के वे लोग जो यह नहीं मानते थे कि मध्य अमेरिकी लोग उनकी नौकरी छीनते हैं या अपराध बढ़ने का कारण हैं, वे भी अब खासकर दक्षिण मेक्सिको में मान रहे हैं कि आप्रवासी काफी संख्या में मेक्सिको में आ गए हैं. मेक्सिको सिटी में मैसेज डिलिवरी का काम करने वाले खॉर्खे परादा लियोन कहते हैं, "सच्चाई यह है कि यह सभी के लिए एक समस्या है. यह बेहतर होगा कि उन्हें अपने देशों में वापस भेजा जाए. वे जिस तरह से मेक्सिको को पार करते हैं, वह खतरनाक है. इस दौरान उनमें से बहुत से मर गए. उन्हें अपने देश की समस्याओं को ठीक करना चाहिए."
मेक्सिको के कई सारे लोग इस बात से भी नाराज हैं कि उनका देश मध्य अमेरिका में विकास के लिए धन देगा. एक सरकारी कर्मचारी अल्जीरिया मिरांडा कहती हैं, "लोपेस ओब्राडोर को दूसरे देशों से आए आप्रवासियों के साथ हमदर्दी दिखाने की जगह देश के लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जहां तक दूसरों की बात है, उनकी सरकार उनका ध्यान रखेगी." दूसरी ओर कुछ लोग सरकारी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. मेक्सिको के राष्ट्रीय आव्रजन संस्थान के प्रमुख टोनाटिउ गुइलेन ने जून में इस्तीफा दे दिया था जब मेक्सिकन उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ के खतरे को रोकने के लिए जून में आप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की गई थी. लोपेस ओब्राडोर की मोरेना पार्टी के नेता ने कहा था, "यह नैतिक रूप से अस्वीकार्य है कि एक तरफ हम उनके (अमेरिका) लिए दरवाजे खोलते हैं, लेकिन हम उन्हें मध्य अमेरिकियों के नाम पर बंद कर देते हैं."
अमेरिका का दबाव
लोपेस ओब्राडोर ने स्वीकार किया कि मई के अंत में ट्रंप द्वारा दी गई धमकी के बाद मेक्सिको के आयातों पर अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए कार्रवाई की गई थी. ओब्राडोर ने कहा, "कुछ दिनों पहले हम एक आव्रजन समझौते के माध्यम से संभावित आर्थिक और राजनीतिक संकट को दूर करने में सक्षम थे. इसके लिए हमें आव्रजन कानूनों को लागू करने में सख्त होने की आवश्यकता है. हमने अमेरिका के लोगों और सरकार के साथ सम्मान और मित्रता का संबंध स्थापित किया है और इससे हम टकराव से बच सकते हैं." यहां तक कि आप्रवासियों के पक्ष में आवाज उठाने वाले लोग भी लोपेस ओब्राडोर की दक्षिणी सीमा पर आप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई का बचाव कर रहे हैं. यहां दुनियाभर के आप्रवासी नदी से लगे बॉर्डर को पार करने के लिए आते हैं.
एक्टिविस्टों को लगता है कि लंबे समय में, यह कार्रवाई आप्रवासियों को अमेरिका जाने के लिए और अधिक खतरनाक रास्ते लेने को मजबूर कर देगी और अंततः लोपेस ओब्राडोर के लिए एक राजनीतिक शर्मिंदगी बन जाएगी. लोपेस ओब्राडोर ने स्वयं स्वीकार किया है कि उनकी सबसे बड़ी आशंका आप्रवासियों का नरसंहार है, जैसे कि एक ड्रग कार्टेल ने 2010 में उत्तरी सीमावर्ती राज्य तमुलिपास के एक शहर सैन फर्नांडो में 72 मध्य अमेरिकी आप्रवासियों को मार डाला था. फिर भी, मेक्सिको के अधिकांश लोग नए प्रशासन की गलतियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं.
आरआर/एमजे (एपी)
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