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कलाकारों पर होते रहे हैं हमले

हाइके मुंड/एसएफ८ जनवरी २०१५

कठोर विचार व्यक्त करना दुश्मन पैदा कर सकता है और फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के साथ भी ऐसा ही हुआ. नजर डालते हैं दुनिया भर में ऐसे कलाकारों पर जिन्होंने कट्टरपंथी हमलों या विरोधी विचारों का सामना किया.

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तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Hassan

बेझिझक होकर साफ साफ बोलने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. शार्ली एब्दॉ के संपादकों की हत्या मीडियाकर्मियों पर कट्टरपंथी हमलों की पराकाष्ठा है. दुनिया भर में कई ऐसे उदाहरण हैं जिनमें मीडियाकर्मियों और कलाकारों को मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों की हिंसा और कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी है.

डेनमार्क का अखबार

डेनमार्क के एक अखबार में 30 सितंबर 2005 को 'द फेस ऑफ मुहम्मद' के नाम से 12 कार्टून छपे. इनमें से एक तस्वीर में पैगंबर मुहम्मद को पगड़ी की जगह बम पहने हुए दिखाया गया था. इसे बनाने वाले कुर्ट वेस्टरगार्ड को ऐसा करने के लिए मौत की धमकियां मिलीं. उन्होंने अपने अभिव्यक्ति के अधिकार की दुहाई दी. उन्हें और उनकी पत्नी को न सिर्फ पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई बल्कि उन्हें लगातार अपना ठिकाना बदलते रहना पड़ता है.

साल 2010 में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर अल कायदा के एक सदस्य ने वेस्टरगार्ड पर हमला कर दिया जिसमें वह बाल बाल बचे. वेस्टरगार्ड को उनकी हिम्मत और अभिव्यक्ति के अधिकार के लिए लड़ने के लिए कई बार पुरस्कृत किया जा चुका है. उन्हें 2010 में लाइपजिष में भी सम्मानित किया गया. इस समारोह में ईरान की नोबेल पुरस्कार विजेता शीरीन एबादी और ईरानी पत्रकार अकबर गंजी को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन विरोध प्रदर्शनों के बीच उन्होंने आने से मना कर दिया.

Salman Rushdie in Berlin
सलमान रुश्दीतस्वीर: DW/H. Kiesel

रुश्दी की किताब

भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी अपने करियर की बुलंदी पर थे जब उन्होंने 1988 में अपनी विवादास्पद किताब 'द सेटैनिक वर्सेस' प्रकाशित की. किताब को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया लेकिन दुनिया के कई इस्लामी देशों ने किताब पर ईशनिंदा के आरोप लगाए और कड़ी आलोचना की. 14 फरवरी 1989 को ईरान के धार्मिक नेता अयातोल्लाह खोमैनी ने सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. एक रेडियो संदेश में उन्होंने रुश्दी की मौत के लिए 28 लाख डॉलर के इनाम का एलान किया.

रुश्दी अब पुलिस सुरक्षा के बीच छुप कर रह रहे हैं. पेरिस में हमले के बाद रुश्दी ने ट्विटर पर कहा, "व्यंग्य हमेशा से ही अत्याचार, बेईमानी और बेवकूफी से आजादी की ताकत रहा है"

नफरत ही नफरत

2 नवंबर 2004 की सुबह 9 बजे दो डच व्यक्ति एम्सटरडम की सड़क पर मिले. एक आप्रवासी मोरक्कन का बेटा था और दूसरा एक मशहूर संभ्रात परिवार का सदस्य. उस दिन डच नागरिक मुहम्मद बुयेरी ने फिल्मकार थियो फान खॉख की हत्या कर दी. उन्होंने फिल्म 'सबमिशन' बनाई थी.

Ermordeter Filmemacher Theo van Gogh
फान खॉखतस्वीर: AFP/Getty Images/R. Nederstigt

26 वर्षीय बुयेरी ने फान खॉख का पीछा किया जब वह काम पर जा रहे थे. उसने उनका गला रेत दिया. सबमिशन में महिलाओं के किरदार जिस तरह दिखाए गए थे बुयेरी के मुताबिक वह इस्लाम के खिलाफ था. फिल्म में एक लड़की के शरीर को पारदर्शी कपड़े से ढक कर उसके ऊपर कुरान के अंश दिखाए गए थे.

शैतानी कार्यक्रम

दिसंबर 2014 को काबुल में एक नाटक कार्यक्रम के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने अपने साथ दो अन्य लोगों को धमाके में उड़ा लिया. तालिबान ने यह कहते हुए हमले की जिम्मेदारी ली कि कार्यक्रम अनैतिक और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ था.

मिस्र में हेवी मेटल बैंड्स को गाने बजाने की आजादी नहीं है. अरब क्रांति से पहले हार्ड रॉक सिर्फ छुपकर ही बजाया और सुना जा सकता था. कथित 'शैतानी संगीत' बजाने वालों को परेशान किया जाता था. 1997 में हेवी मेटल संगीत के एक कार्यक्रम में 80 लोगों को शैतान की पूजा के आरोप में गिरफ्तार किया गया. अरब क्रांति के बाद से वहां कलाकारों और संगीतकारों के पास कुछ हद तक आजादी आई है.

जुलाई 1993 में सलाफियों की भीड़ ने तुर्की के शहर सिवास में चल रहे सांस्कृतिक महोत्सव पर हमला कर दिया. कार्यक्रम में शामिल होने आए लेखक, संगीतकार और कवि लकड़ी के बने होटल में ठहरे हुए थे. इस होटल को आग लगा दी गई. हादसे में 35 लोग मारे गए. इस हादसे को सिवास हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है.