कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र से दखल देने की मांग
६ अगस्त २०१०अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कहा है कि उन्होंने खत लिखकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को बताया है कि भारत ने कश्मीर में खुली जंग छेड़ दी है. मीरवाइज उमर फारूक के मुताबिक स्थिति दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है और इसके चलते उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने के लिए कहा है.
गुरुवार को भी कई इलाकों में झड़पे हुईं. दक्षिणी शहर पुलवामा में करीब 100 प्रदर्शनकारी मार्च के लिए निकले जिन्हें रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने फायरिंग की और आंसूगैस के गोले छोड़े.
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर एपी न्यूज एजेंसी को बताया कि इस कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 15 लोग घायल हुए हैं. चार घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है. कुछ पुलिसकर्मी भी इन झड़पों में घायल हुए हैं.
गोलीबारी से पहले हजारों कश्मीरी युवकों ने आजादी की मांग के समर्थन में नारे लगाए और काली-हरी पट्टियां बांध कर काकपोरा शहर के पास तक मार्च किया. यहीं पर सोमवार को एक युवक की मौत हुई थी.
सीआरपीएफ के प्रवक्ता प्रभाकर त्रिपाठी का कहना है कि रैपिड एक्शन फोर्स के करीब 300 जवान श्रीनगर पहुंच चुके हैं जो हिंसक भीड़ पर काबू पाने का प्रयास करेंगे. केंद्र सरकार ने भी 2,000 अर्धसैनिक बलों को कश्मीर भेजा है. कश्मीर में सख्ती से कर्फ्यू लागू किया गया है और भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं.
बुधवार को भारतीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कश्मीर में हिंसा रोकने की अपील करते हुए जनता से कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है. हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने की अपील की.
गिलानी ने कहा है कि जब भी प्रदर्शनकारियों को रोका जाए तो सुरक्षा बलों की गोली खाने के लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए. लेकिन फायरिंग की घटनाओं से इस अपील का असर कम ही होता दिख रहा है.
जून महीने में एक किशोर की मौत से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुके हैं और पथराव करती भीड़ सरकारी इमारतों और वाहनों को भी निशाना बना रही है. भारत विरोधी नारे लगा रही उग्र भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षा बल गोलियों और आंसूगैस का सहारा ले रहे हैं जिससे स्थिति शांत होने के बजाए और भड़क रही है और लोगों का गुस्सा उबाल पर है. पिछले एक हफ्ते में ही 31 लोग मारे जा चुके हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम