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महबूबा मुफ्ती फिर हुईं नजरबंद

२७ नवम्बर २०२०

जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि स्थानीय चुनावों से ठीक पहले उन्हें नजरबंद कर दिया गया है. उन्हें सितंबर में एक साल से भी ज्यादा नजरबंद रखने के बाद रिहा किया गया था.

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Indien Mehbooba Mufti Chief Ministerin von Jammu und Kaschmir
तस्वीर: Getty Images/S. Hussain

मुफ्ती ने दावा किया है कि उन्हें "फिर से अवैध रूप से नजरबंद" कर दिया गया है. उनका आरोप है कि बीजेपी के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को कश्मीर के हर इलाके में घूमने की इजाजत है लेकिन सिर्फ उन्हें ही प्रशासन सुरक्षा की दलील दे कर कहीं जाने नहीं देता.

पूर्व मुख्यमंत्री उनकी पार्टी पीडीपी के युवा नेता वहीद उर-रहमान के अचानक गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद उनके परिवार से मिलना चाह रही थीं लेकिन उनके अनुसार प्रशासन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी इल्तिजा को भी नजरबंद कर दिया गया है.

पिछले साल जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया था. उनके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला समेत वादी के कई अन्य कई नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया था. पिछले कुछ महीनों में सभी बड़े नेताओं को एक एक करके रिहा किया गया. हाल ही में छह पार्टियों ने मिलकर "गुपकार गठबंधन" नाम का गठबंधन बनाया है.

जम्मू और कश्मीर में स्थानीय जिला विकास परिषद के (डीडीसी) पदाधिकारियों के लिए चुनाव होने वाले हैं. पिछले साल विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद वहां पहले चुनाव होंगे. चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं, प्रत्याशी नामांकन भर रहे हैं और इसी बीच पीडीपी, एनसी जैसी गुपकार गठबंधन की सदस्य स्थानीय पार्टियां उन पर प्रशासन द्वारा कई तरह के दबाव डाले जाने का आरोप लगा रही हैं.

वहीद उर-रहमान पीडीपी की युवा इकाई के अध्यक्ष हैं और वो भी इन चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने वाले थे. लेकिन नामांकन भरने के अगले दिन ही उन्हें एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया. बताया जा रहा है कि एनआईए ने कई दिनों से उन पर नजर रखी हुई थी. एजेंसी को संदेह है कि आतंकवादियों का साथ देने के आरोप में निलंबित एसपी देविंदर सिंह से जुड़े जिस मामले में जांच की जा रही है, वहीद का भी उस मामले से संबंध है.

लेकिन पीडीपी ने इन आरोपों का खंडन किया है और उन्हें आधारहीन बताया है. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी महबूबा मुफ्ती को दोबारा नजरबंद कर दिए जाने की आलोचना की है और कहा है कि "सरकार निजी स्वतंत्रता को एहसान समझती है जिसे वो अपनी मर्जी से देती है और वापस ले लेती है और न्यायपालिका भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करती."

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