कश्मीरियों पर जुल्मों की जांच होः गिलानी
१९ दिसम्बर २०१०अलगाववादी संगठन हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपनी टीम भारत प्रशासित कश्मीर में भेजने की अपील की है. गिलानी ने कहा,"हम एमनेस्टी इंटरनेशनल, एशिया वॉच और दूसरे प्रभावशाली संगठनों से अपील करते है कि वो अपनी टीम कश्मीर की जेलों में कैदियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की जांच के लिए भेजें." गिलानी ने सालों से इस मसले पर दुनिया की चुप्पी पर हैरानी भी जताई.
विकीलीक्स ने इस हफ्ते जो अमेरिकी केबल जारी किए हैं उनके मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संगठन रेड क्रॉस के अमेरिकी राजनयिकों को कथित रूप से कश्मीर के जेलों में यातना दिए जाने की बात कहने का जिक्र है. गिलानी ने शनिवार को आरोप लगाया कि गिरफ्तार कश्मीरी युवाओं को जेल में यातना दी जा रही है. कट्टरपंथी अलगाववादी नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी जम कर बरसे और कहा कि उनका बयान सफेद 'झूठ साबित' हुआ है. गिलानी ने कहा, "उमर अब्दुल्ला के शासनकाल में ना सिर्फ हजारों युवाओं को यातना दी गई बल्कि इन यातनाओं के कारण कई युवाओं की मौत भी हो गई.
उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को दस्तावेजों के सामने आने के बाद खुद को इनसे अलग करते हुए कहा,"मैं इस मामले में नहीं पड़ना चाहता पर एक सच्चाई जरूरत बताना चाहूंगा कि ये दस्तावेज 2005 के हैं और आप खुद जोड़ कर देख सकते हैं कि उस वक्त कश्मीर की सत्ता किसके हाथ में थी."साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा," जहां तक सरकार का सवाल है हम यातनाओं की अनदेखी नहीं करते न हमने पहले कभी किया है और न आगे कभी करेंगे."
उधर दस्तावेजों के सामने आने के बाद हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारुक ने आरोप लगाया है कि यातना देने को कश्मीर में सरकारी नीति के बढ़ावा दी जा रही है. समचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में मीरवाइज ने कहा,"हम बहुत पहले से कहते आ रहे हैं कि कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति बेहद खराब है. इन दस्तावेजों ने अमेरिका की दोमुंही नीति भी सामने ला दी है जो सबकुछ जानते हुए भी चुप रहने की नीति पर चल रहे हैं."
हुर्रियत का कहना है कि जम्मू कश्मीर में सत्ता पर आने वाली कोई सरकार जिम्मेदार नहीं है. जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक ने कहा है कि यातना देना कश्मीर में एक पुराना तरीका है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़