कहां से लाता है आईएस अपने नए लड़ाके?
९ मार्च २०१५बोको हराम की ओर से इस्लामिक स्टेट संगठन के लिए समर्थन दिखाने वाला एक नया वी़डियो सामने आया है. हालांकि बोको हराम के लिए लड़ने वालों और आईएस के लड़ाकों में काफी अंतर देखने को मिलता है. एक ओर बोको हराम विदेशियों को अपने अभियान से जोड़ने में ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया है, वहीं दूसरी ओर आईएस ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर यूरोप, अमेरिका और दुनिया के तमाम देशों से लड़ाके जुटा लिए हैं. ऐसी रिपोर्टें भी सामने आई हैं जिनमें जर्मन सेना में अतिवादी विचारधारा वाले कुछ लोगों के शामिल होने की बात कही गई है. आशंका जताई जा रही है कि जर्मन सेना में ट्रेनिंग लेने के बाद कुछ लोग आईएस के लिए लड़ने चले गए.
दूसरी ओर इराक में हजारों साल पुराने पुरातात्विक महत्व वाले स्मारकों को नष्ट किए जाने की घटना पर अफसोस जताते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर इस घटना के खिलाफ आईएस का मुकाबला करने की अपील की है. इराक सरकार उत्तरी इराक के कई इलाकों में आईएस की मचाई तबाही की जांच कर रही है. इसमें कई विदेशी लड़ाकों के शामिल होने की बात कही गई है.
लंदन स्थित 'इंटरनेशनल सेंटर फॉर दि स्टडी ऑफ रेडिकलाइजेशन एंड वायलेंस' के ताजा आंकड़ों के मुताबिक आईएस में शामिल हुए कुल विदेशी लड़ाकों का करीब पांचवा हिस्सा पश्चिम और खास तौर पर यूरोपीय देशों से आया है.
ट्विटर जैसे सोशल मीडिया टूल को केवल आम लोग ही अपनी आवाज नहीं बना रहे हैं, बल्कि आतंकी भी इस माध्यम का इस्तेमाल अपनी विचारधारा से लोगों को जोड़ने के लिए कर रहे हैं. इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर से आईएस से जुड़ने के लिए पहुंचने वाले लोग सड़क, वायु या जल मार्ग से किसी तरह तुर्की पहुंचने की कोशिश करते हैं. तुर्की से सीमा पार कर सीरिया पहुंचना इनके लिए बेहद आसान हो जाता है.
आरआर/एसएफ