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समाज

कहानियों और हकीकत के भुतहे जहाज

लेया कार्टर
२० फ़रवरी २०२०

इस हफ्ते एक जहाज बहकर समुद्र तट तक पहुंचा जिस पर कोई इंसान नहीं था. फ्लाइंग डचमैन की कहानी से लेकर उत्तर कोरिया से जापान पहुंचने वाले जहाजों की बातें कथाओं और हकीकत दोनों में होती हैं.

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Gemälde von Charles Temple Dix | Der Fliegende Holländer
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Photo12/Fine Art Photographs

अप्रैल 2007 में एक हेलिकॉप्टर पाइलट ने अजीब सा नजारा देखा. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड तट पर ग्रेट बैरियर रीफ में एक काटामारान जहाज बिना किसी लक्ष्य के भटक रहा था. इस पर पाल लगे हुए थे, मशीन चल रही थी, रेडियो और जीपीएस ठीकठाक थे. 9.8 मीटर लंबे 'एसवी काज दो' नाम के इस जहाज पर टेबल पर आधा पिया कॉफी का कप रखा था, एक अखबार और सिल्वर की कटलरी. लेकिन तीन सदस्यों वाले चालकदल कहीं अता पता नहीं था. तीन लोग गायब थे.

मिसाल के तौर पर 'फ्लाइंग डचमैन' एक मिथकीय जहाज है जिसके बारे में कहा जाता है कि उस पर सदा चलते रहने का शाप है और यदि कोई नाविक उसे देख ले तो उसे अशुभ माना जाता है. कम विख्यात 'लेडी लोवीबॉन्ड' एक पालनौका थी जो 1748 में ब्रिटेन के केंट तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इसके बारे में कहा जाता है कि वह हर 50 साल पर फिर से दिखाई देती है. लेकिन न तो इस नौका का कोई रिकॉर्ड है और न ही उसके फिर से दिखने के बारे में कोई पुष्ट जानकारी.  

हाल के दिनों में क्रू द्वारा छोड़ दिया गया एक जहाज एक साल तक समुद्र में घूमता घामता डेनिस तूफान के दौरान बहकर आयरलैंड के पथरीले किनारे तक पहुंचा. लेकिन काज द्वितीय के विपरीत इस जहाज के चालक दल के सदस्यों लापता नहीं हुए थे. अमेरिकी कोस्ट गार्डों ने 2018 में बरमूडा से 2200 किलोमीटर दूर दुर्घटनाग्रस्त हुए 'एमवी अल्टा' के 10 सदस्यीय क्रू को बचा लिया था.

उत्तर कोरिया के भुतहे जहाज

भुतहे जहाजों की हाल की कहानियों के बावजूद चालकदल द्वारा जहाज छोड़ने की घटनाएं उतनी सामान्य नहीं हैं, जितनी अतीत में हुआ करती थी जब समुद्री डाकू जहाजों पर हमला करते और यात्रियों को गुलाम बनाने के लिए बंधक बनाकर ले जाते थे. 'सागर का मानवीय इतिहास' किताब के लेखक और कैंब्रिज के रिटायर्ड प्रोफेसर डेविड अबुलाफिया का कहना है कि उस जमाने में चालकदल के सदस्यों को या तो मार दिया जाता था या उन्हें जहाज से फेंक दिया जाता था. कारगो जहाजों को समुद्र में छोड़े जाने के पीछे बीमा कंपनी से पैसा वसूलने की लालसा भी रहती है.

हाल के सालों में जापान में बहुत सारे भुतहे जहाजों के बहकर तट पर पहुंचने की मिसालें हैं. इनमें से ज्यादातर उत्तर कोरिया के जहाज थे. कुछ जहाजों के क्रू सदस्य मृत पाए गए तो कुछ जहाजों पर जीवित लोग भी थे. काज दो या एमवी अल्टा के विपरीत ये जहाज लकड़ी के बने थे और इनमें जीपीएस या नेविगेशन सिस्टम जैसा कोई भी आधुनिक यंत्र नहीं लगा था. इन जहाजों पर जो जीवित पाए गए उनमें कुछ मछुआरे थे जिन्होंने लौटकर उत्तर कोरिया जाने की बात कही जबकि कुछ देश छोड़कर भागने वाले सरकार विरोधी थे.

भुतहा जहाजों के खतरे

अबुलाफिया कहते हैं, "बेशक इसके पर्यावरण संबंधी खतरे हैं." बिना क्रू वाले जहाज सिर्फ जानबूझकर या दबाव में जहाज छोड़ कर जाने वाले क्रू सदस्यों के लिए ही खतरा नहीं हैं, वे दूसरे जहाजों, लोगों और पर्यावरण के भी खतरा हैं. इन जहाजों का पता लगाना और उन्हें सुरक्षित जगह पर लाना बहुत ही मुश्किल काम है. इनका तेल निकालने वाले प्लेटफॉर्म या दूसरे जहाजों से टकराने का भी खतरा रहता है.

यदि कोई कंटेनर शिप बिना चालकदल के समुद्र में भटक रहा हो, वह तूफान में पलट सकता है और हजारों कंटेनर समुद्र में गिर सकते हैं और समुद्री जलजीवन को प्रदूषित कर सकते हैं. ये किसी के लिए भी अच्छा नहीं है.

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