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कानून को सट्टेबाजों का ठेंगा

१६ मई २०१४

क्रिकेट और फुटबॉल को गिरफ्त में लेने के बाद सट्टेबाज अब बाकी खेलों तरफ भी बढ़ रहे हैं. 140 अरब डॉलर का यह बाजार तकनीक और लाइव टेलीकास्ट के सहारे कानून को ठेंगा दिखाने में भी सफल हो रहा है.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स सिक्योरिटी (आईसीएसएस) के मुताबिक असरदार नियमों के अभाव से सट्टेबाजी का बाजार फैलता जा रहा है और खेलों में बेईमानी का खतरा भी बढ़ रहा है. मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग जैसे अपराध बढ़ रहे हैं. आईसीएसएस के क्रिस ईटन कहते हैं, "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों की सट्टेबाजी का बाजार बहुत तेजी से फल फूल चुका है. इसकी वजह से संगठित अपराध और हवाला लेन देन की घुसपैठ का जोखिम बढ़ चुका है."

कतर से चलने वाली संस्था आईसीएसएस ने पेरिस की संस्था सोरबॉन के साथ एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में खेलों पर होने वाली सट्टेबाजी की 80 फीसदी रकम गैरकानूनी कारोबार है. सट्टेबाजों के हथकंडे नियामकों और जांचकर्ताओं की पहुंच के बाहर हैं.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

तकनीक और सीधे प्रसारण ने सट्टा बाजार को बदल दिया है. अब हर मिनट या हर गेंद पर सट्टा लग रहा है. मॉडर्न सट्टेबाज तो टेबलेट कंप्यूटर की मदद से कई खेल एक साथ देखते हैं और हर तरह की संभावनाओं पर मोल भाव करते रहते हैं. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ फीफा के सिक्योरिटी हेड रह चुके क्रिस ईटन के मुताबिक तकनीकी विकास की वजह से सट्टे के पैटर्न को पकड़ना मुश्किल हो चुका है.

हाल के बरसों में फुटबॉल और क्रिकेट के कई मैचों में हुई फिक्सिंग का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सट्टेबाजी को कानूनी कर दिया जाए और सट्टेबाजों से टैक्स वसूला जाए. इसके लिए सट्टा कंपनियों और खेल संघों को मिलकर काम करना होगा.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)