काम की परिस्थितियों में सुधार लेकिन वेतन में बराबरी नहीं
१३ अप्रैल २०२१काम की परिस्थितियों पर भले ही अमेरिका की महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को कामयाबी मिल गई हो लेकिन समान वेतन के मुद्दे पर अभी भी कोई सहमति नहीं हुई है. वर्ल्ड स्टार मेगन रेपिनो की टीम अब अदालत के पुराने फैसले के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करेगी. अमेरिका की महिला फुटबॉल खिलाड़ी पुरुष खिलाड़ियों के साथ जिस बराबरी के लिए संघर्ष कर रही हैं, वह सिर्फ समान मेहनताने का मामला नहीं है, उसमें किस क्लास में हवाई यात्रा होगी, किस होटल में खिलाड़ियों को ठहराया जाएगा, कहां ट्रेनिंग का आयोजन होगा और ट्रेनिंग के लिए किस स्तर के प्रशिक्षक मिलेंगे, ये सब शामिल था.
अब भविष्य में राष्ट्रीय महिला टीम की खिलाड़ियों को वही सुविधाएं मिलेंगी जो पुरुष टीम के खिलाड़ियों को मिलती हैं. अब हवाई यात्रा, होटल, ट्रेनिंग और सपोर्ट स्टाफ के मामले में दोनों टीमों में लैंगिक भेदभाव नहीं रहेगा. ये सब उस सहमति का हिस्सा है जो पिछले दिसंबर में महिला टीम और फुटबॉल संघ के बीच हुई थी. अब जज गैरी क्लाउसनर ने इस सहमति को अदालती मंजूरी दे दी है. इस समझौते को लागू करने के लिए वेतन के मसले को अलग कर दिया गया है और उस पर अलग से कानूनी कार्रवाई हो पाएगी.
समान वेतन के लिए कानूनी लड़ाई
महिला टीम की प्रवक्ता मॉली लेविंसन ने वेतन पर अदालती फैसले के खिलाफ अपील करने की घोषणा करते हुए कहा है कि टीम पहले की ही तरह जोश में है ताकि उसे कानूनी रूप से समान वेतन मिल सके. अमेरिका की महिला टीम ने 2019 में अपने ही संघ के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाकर मुकदमा दायर कर दिया था. इस मुकदमे के कुछ ही महीने बाद महिला टीम ने चौथा विश्वकप जीता. फाइनल मैच में टीम के समर्थन समान वेतन के नारे लगा रहे थे. महिला टीम को समान वेतन के लिए बहुत से राजनीतिज्ञों का समर्थन मिलता रहा है. उनमें मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी हैं.
शुरू में महिला खिलाड़ियों का आरोप था कि उनके पुरुष साथियों को उनसे कहीं ज्यादा वेतन मिलता है. इसके अलावा उन्हें यात्रा, खेल और ट्रेनिंग के दौरान भी बेहतर सुविधा दी जाती है. पिछले साल मई में कैलिफोर्निया की एक संघीय अदालत ने मुकदमे को खारिज कर दिया था लेकिन काम की परिस्थितियों में भेदभाव के पहलू को स्वीकार किया और उसके बाद ही सुविधाओं को बेहतर बनाने पर सहमति हुई.
अमेरिका की महिला फुटबॉल टीम पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कामयाब है लेकिन उन्हें पुरुषों के मुकाबले बहुत ही कम फीस दी जाती है. अमेरिकी फुटबॉल संघ की दलील है कि ऐसा विश्व फुटबॉल संघ फीफा के नियमों के कारण है जो पुरुष और महिला फुटबॉल के लिए संघ को अलग अलग फीस देती है. महिला खिलाड़ियों ने खुद आयोजित किए जाने वाले मैचों के लिए समान फीस देने की फुटबॉल संघ की पेशकश ठुकरा दी. वे विश्व चैंपियन और दूसरे टूर्नामेंटों में भी समान मेहनताना चाहती हैं.
महिला टीम ने दिया ज्यादा फायदा
अमेरिकी फुटबॉल संघ की 2018 में कुल आय करीब 10 करोड़ डॉलर थी, जिसमें से करीब आधा स्पॉन्सरों से मिलता है. स्पॉन्सरों से होने वाली आय हर साल करीब करीब समान रही है. कारोबार के विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि समान वेतन की बहस से फुटबॉल संघ को ज्यादा मार्केटिंग डील करने में कामयाबी मिली है. फुटबॉल संघ का कहना है कि महिला और पुरुष टीम अलग संगठन हैं लेकिन जहां तक फेडरेशन के लिए फायदे का सवाल है, तो उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से महिला टीम ने पुरुष टीम के मुकाबले बेहतर लाभ दिया है.
एक बयान में यूएस सॉकर के नाम से विख्यात अमेरिकी फुटबॉल फेडरेशन ने कहा है कि महिला टीम ने तब तक सहमति से इनकार किया है, जबतक संघ फीफा द्वारा दी जाने वाली राशि की भरपाई नहीं करती. संघ ने कहा, "हमें उम्मीद है कि हम अदालत के बाहर सहमति हासिल कर सकेंगे." एक लिखित बयान में लेविंसन ने फुटबॉल संघ के बयान को भ्रामक बताया और कहा, "यदि संघ समान वेतन के लिए प्रतिबद्ध है तो वह खिलाड़ियों को समान वेतन और समान सुविधाएं देता और खिलाड़ियों को समानता हासिल करने के लिए कानून का सहारा नहीं लेना पड़ता."
महेश झा (डीपीए, एएफपी)