काले धन में नीचे गिरा भारत
१९ जनवरी २०११धन को अवैध रूप से देश से बाहर भेजे जाने के मामले में एशिया में चीन पहले नंबर पर है. वॉशिंगटन के ग्लोबल फाइनैंशल इन्टीग्रिटी के मुताबिक 2000 से 2008 के बीच चीन से करीब 22 खरब काला धन बाहर गया जबकि उसी अवधि में मलेशिया से बाहर जाने वाला काला धन 291 अरब डॉलर है. 109 अरब डॉलर के साथ फिलिपींस इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है जबकि भारत और इंडोनेशिया से बाहर जाने वाला काला धन 104 अरब डॉलर आंका गया है.
पांच देशों का किया धरा
इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया से निर्यात होने वाला 96 फीसदी काला धन इन्हीं पांच देशों से बाहर गया है. अगर दुनिया के सभी विकासशील देशों की बात की जाए तो उनके काले धन का करीब 45 फीसदी हिस्सा इन देशों से बाहर गया. रिपोर्ट में विकासशील देशों को भी रैंकिंग दी गई है जिसमें चीन पहले स्थान (22 खरब डॉलर) पर है. रूस (427 अरब डॉलर) दूसरे स्थान पर, मेक्सिको (416 अरब डॉलर) तीसरे नंबर पर, सऊदी अरब (302 अरब डॉलर) चौथे और मलेशिया (291 अरब डॉलर) पांचवे स्थान पर है.
भारत नीचे गिरा
रिपोर्ट का कहना है कि भारत काले धन के निर्यात में विकासशील देशों की लिस्ट में 15वें नंबर पर है. पहले इस लिस्ट में भारत पांचवे नंबर पर था. थिंक टैंक के मुताबिक इस क्षेत्र में भारत अन्य देशों से तीन कारणों के चलते पिछड़ रहा है. पहला कारण यह है कि तेल उत्पादक देश जैसे संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, वेनेजुएला, कतर, नाइजीरिया, कजाख्स्तान और इंडोनेशिया से बाहर जाने वाला काला धन अब भारत को पीछे छोड़ रहा है. दूसरा, काला धन दूसरे रास्तों से भारत में वापस पहुंच रहा है. तीसरा, संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे देश 2008 की रिपोर्ट में शामिल नहीं किए गए.
कैसे जाता है काला धन
रिपोर्ट के अनुसार रिश्वत, चोरी, दलाली और टैक्स चोरी जैसे रास्तों से अवैध धन को देश से बाहर भेजा जाता है. इन जरियों से काले धन को बाहर भेजे जाने के मामले तेल निर्यातक देशों जैसे कुवैत, नाइजीरिया, कतर, रूस, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला से खासतौर पर सामने आते हैं. रूस, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और नाइजीरिया अवैध धन के बड़े केंद्र के रूप में उभर रहे हैं. विश्लेषकों का कहना है कि विकास के लिए निर्धारित रकम का बड़ा हिस्सा काले धन के रूप में देश से बाहर जा रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: वी कुमार