पंजाब में निशाने पर जियो के मोबाइल टावर
३१ दिसम्बर २०२०पंजाब के अलग-अलग इलाकों से सोशल मीडिया पर जियो के मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन काटने, डीजल जनरेटर हटाने और टावरों पर चढ़कर किसान आंदोलन के समर्थन में झंडे लगाने की तस्वीरें तेजी से वायरल हुईं.
टावरों को नुकसान पहुंचाने वालों का दावा है कि केंद्र सरकार बड़े उद्योग घारानों के दबाव में नए कृषि कानून लागू कर रही है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि राज्य में आंदोलन के दौरान रिलायंस जियो के 1,600 से अधिक टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है.
टावर को नुकसान पहुंचाने वालों का कहना है कि वे आंदोलन के समर्थन में हैं और इस तरह नए कानूनों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. हालांकि किसान संगठनों से इस तरह के नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं का समर्थन नहीं किया है.
सुरक्षा को खतरा
पंजाब के गांवों और कस्बों में रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाने से ना केवल संचार पर असर पड़ रहा है बल्कि संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. कोरोना वायरस महामारी के दौर में जब स्कूल और कॉलेज बंद हैं तो बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर के सहारे ऑनलाइन शिक्षा हासिल कर रहे हैं, ऐसे में जानकारों का कहना है कि जिनके पास जियो के मोबाइल नंबर हैं उन्हें ऑनलाइन शिक्षा लेने में खासी परेशानी हो सकती है.
पंजाब में जियो के टावर तोड़ने या नुकसान पहुंचाने के मामले में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने मुख्य सचिव विनी महाजन और डीजीपी दिनकर गुप्ता को तलब कर रिपोर्ट भी मांगी है. राज्य में जियो के नौ हजार से अधिक टावर हैं और मंगलवार तक 700 टावरों की मरम्मत की रिपोर्ट है.
राज्य में अपने टावरों को निशाना बनाने को लेकर रिलायंस जियो इंफोकॉम भी गंभीर है और उसने पंजाब के मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर अज्ञात लोगों द्वारा "जियो के टावरों में तोड़फोड़ के मामले में दखल देने की मांग की है." 27 दिसंबर को रिलायंस जियो के पंजाब सर्किल के प्रमुख तजिंदर पाल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऐसी घटनाओ को रोकने और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने का आग्रह किया था. कंपनी ने अपने पत्र में कहा था कि टावरों में तोड़फोड़ के कारण लोगों के रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं, जैसे कि बिजनेस, शिक्षा आदि.
राज्य की छवि का हवाला
इस बीच एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने भी बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह को अलग से पत्र लिखकर टावरों के साथ छेड़खानी और तोड़फोड़ की घटनाओं पर हस्तक्षेप का अनुरोध किया है. एसौचैम, उद्योग और वाणिज्य जगत की अहम संस्था है. उसके अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा, "पंजाब की प्रगति वाली छवि को भी तोड़फोड़ के कारण नुकसान हो रहा है. राज्य में उद्योग खासकर दूरसंचार क्षेत्र को पहुंचाए जा रहे नुकसान से ना केवल राष्ट्रीय संपत्तियों नष्ट हुई हैं बल्कि पंजाब की प्रगतिशील राज्य की छवि भी धूमिल हो रही है."
इससे दो दिनों पहले ही कैप्टन अमरिंदर ने राज्य पुलिस को टावरों में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे. पंजाब में जून महीने से ही तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे और यह बढ़ते-बढ़ते दिल्ली की सीमाओं तक आ पहुंचे. किसानों का मानना है कि इन कानूनों से कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को सबसे ज्यादा लाभ होगा, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि तीनों कानूनों से किसानों को दीर्घकालिक लाभ होंगे.
दिल्ली की सीमा पर किसानों को आंदोलन करते हुए एक महीना से ज्यादा हो गया है. उनकी सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी पर 4 जनवरी को होनी है. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक छह दौर की वार्ता हो चुकी है.
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