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किसे भेजें रियो ओलंपिक - दिल और दिमाग में कुश्ती

ऋतिका पाण्डेय (रॉयटर्स)१९ मई २०१६

कुश्ती के ओलंपिक में प्रतिनिधित्व को लेकर भारत के सबसे तगड़े दो पहलवानों में ही तन गई है. असल में एक से देश का भावनात्मक लगाव ज्यादा है तो दूसरे ने प्रदर्शन के बल पर अपनी दावेदारी मजबूत की है.

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तस्वीर: dapd

पहले तो इसका फैसला होना है कि ब्राजील में होने वाले रियो ओलंपिक में 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग प्रतिस्पर्धा में भारत की ओर से अखाड़े में कौन उतरेगा. फैसला मुश्किल इसलिए हो गया है क्योंकि एक उम्मीदवार इसका हकदार लगता है जबकि दूसरे के साथ देश की भावनाएं जुड़ी हैं.

2015 में अमेरिका के लास वेगस में हुई विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर पहलवान नरसिंह यादव ने एक तरह से रियो का टिकट कटा ही लिया था. भारत के कुश्ती संगठन रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी 26 साल के इस पहलवान का समर्थन किया था और यादव का ओलंपिक में जाना तय लग रहा था.

लेकिन तभी भारत को कुश्ती में दो बार ओलंपिक पदक जिता चुके सुशील कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कुमार चाहते हैं कि यादव और उनके बीच एक मैच कराया जाए और उसमें जीतने वाले को ही रियो ओलंपिक में भेजा जाए. रेसलिंग फेडरेशन में सहायक सचिव विनेद तोमर ने कहा, "जैसा कि कोर्ट में कहा गया है, हमने भी सुशील की बात सुनी और उस पर ध्यान दिया. हम इस मामले पर अपनी टिप्पणियां जमा करेंगे और फिर कोर्ट के निर्देशों का इंतजार करेंगे."

2016 के ओलंपिक खेल ब्राजील के रिओ दे जेनेरो में और 2020 के खेल जापान के टोक्यो में होने जा रहे हैं. कुश्ती का खेल क्रिकेट के लिए दीवाने देश भारत में बहुत ज्यादा लोकप्रिय तो नहीं है मगर इस बार ओलंपिक के लिए चुनाव को लेकर सुशील कुमार की इस मांग के कारण इस खेल की इतनी चर्चा हो रही है.

Der indische Weltmeister im Wrestling Sushil Kumar
तस्वीर: dapd

साल 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक के 66-किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में कांस्य जीतने वाले सुशील कुमार तब से ही भारतीय रेसलिंग का चेहरा रहे हैं. चार साल बाद लंदन में भी उन्होंने रजत पदक जीता. आज 32 साल के कुमार भारत के ऐसे इकलौते एथलीट हैं, जिसने ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पदक जीते हैं. उनकी हैट्रिक की योजना के बीच में इस बार दो समस्याएं हैं - एक तो उनका 66 किलोग्राम से 74 किलोग्राम वर्ग में आना और दूसरा इसी वर्ग में नरसिंह यादव जैसे मजबूत पहलवान को होना.

रेसलिंग भारत में ही नहीं, रूस, ईरान, मंगोलिया, जापान और चीन में लोकप्रिय खेल है. प्रत्येक भार वर्ग में हर देश के केवल एक ही एथलीट का कोटा होता है. यही कारण है कि दोनों में से किसी एक ही पहलवान को चुना जा सकता है. भारत की सवा अरब आबादी का ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी पिछली बार लंदन में हुए आयोजन में कुल 6 पदक लेकर तालिका में 55वें स्थान पर थे.