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लड़ाई के बाद कुर्दों को अकेला छोड़ा अमेरिका ने

७ अक्टूबर २०१९

अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका की सेना उत्तर पूर्वी सीरिया से हट जाएगी. आशंका जताई जा रही है कि तुर्की यहां कुर्द लड़ाकों पर हमला करेगा और अमेरिकी सेना इन हमलों की राह में नहीं आएगी.

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Syrien | US-Patrouille in Tell Abyad
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Alleruzzo

सीरिया में इस्लामिक स्टेट को हराने में कुर्द लड़ाकों की भूमिका बेहद अहम रही है. वास्तव में इस्लामिक स्टेट की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि कुर्दों ने बड़ी बहादुरी से उनका सामना किया लगभग सभी मोर्चों पर. सालों की जंग के बाद इस्लामिक स्टेट के पांव उखड़ने पर अब अमेरिका तुर्की के सामने कुर्दों को अकेला छोड़ निकल रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान ने सीमा पर सैन्य अभियान शुरू करने की धमकी दी है. वह कुर्द सेना को अपने देश के लिए खतरा मानते हैं.

अमेरिका के दोनों राजनीतिक दल रिपब्लिकन और डेमोक्रैट चेतावनी दे रहे हैं कि तुर्की को हमले की छूट देने से वहां कुर्दों का नरसंहार शुरू हो जाएगा और पूरी दुनिया के अमेरिकी सहयोगियों में इसका गलत संदेश जाएगा. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफानी ग्रिशम ने रविवार को देर शाम जारी बयान में कहा है कि अमेरिकी सेना उत्तरी सीरिया में , "ना तो अभियान का समर्थन करेगी ना उसमें शामिल होगी और वह उस इलाके में अब और नहीं रहेगी." इस बयान में कुर्दों के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

उत्तरी सीरिया में करीब 1000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस इलाके से हटाया जाएगा और फिर इसके बाद तुर्की की सेना और कुर्द लड़ाकों के बीच भयानक जंग हो सकती है. व्हाइट हाउस के मुताबिक यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद लिया गया है.

Syrien YPG-Kämpfer in Deir Ezzor
कुर्द सैनिकतस्वीर: Getty Images/AFP/G. Souleiman

ट्रंप ने अपने चुनावी वादे में विदेशों में तैनात सेना की वापसी की बात कही थी. जाहिर है कि वे इसे पूरा करना चाहते हैं लेकिन सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से सेना की तुरंत वापसी से अमेरिकी अधिकारियों और सहयोगियों को चिंता हो रही है. इससे इन इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से खालीपन पैदा होगा जिसका फायदा अवांछित तरीके से उठाया जा सकता है.

ट्रंप के इस कार्यकाल में अब कम समय बचा है और उन पर महाभियोग चलाने जैसी खबरें भी आ रही हैं. ऐसे में वे अपने बचे कार्यकाल का इस्तेमाल अपने राजनीतिक वादों को पूरा करने में कर रहे हैं. इसके लिए विदेशों में अमेरिकी सहयोगियों को चिंता में डालने की भी परवाह उन्हें नहीं है.

संसद में कई प्रमुख रिपब्लिकन नेता भी इस फैसले से हैरान हैं. हाउस में अल्पसंख्यक नेता केविन मैकार्थी ने सोमवार को कहा कि इस बारे में ट्रंप से उनकी बात नहीं हुई है और उन्हें चिंता हो रही है. उन्होंने कहा, "मैं भरोसा चाहता हूं कि जिन लोगों के साथ हम लड़ रहे हैं और जो हमारी मदद कर रहे हैं, उन्हें दी गई जुबान पर हम कायम रहेंगे. अगर आप प्रतिबद्धता दिखाते हैं और कोई आपके साथ लड़ रहा है तो अमेरिका को अपनी बात पर डटे रहना चाहिए."

इस बीच ट्रंप ने सोमवार को ट्वीट कर कहा है, "हम वहीं लड़ेंगे जहां हमारा फायदा है और केवल जीतने के लिए लड़ेंगे."

USA Washington Donald Trump
तस्वीर: picture-alliance/Captital Pictures/MPI/RS

बीते दिसंबर में ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी फौज को वापस बुलाने की बात कही थी. इसके लिए उनकी बड़ी आलोचना हुई. इस फैसले के बाद रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने कुर्दों को बचाने के लिए कुछ कोशिशें की. जनवरी से ही अमेरिकी अधिकारी उत्तरी सीरिया में तुर्की की सेना और कुर्द लड़ाकों के बीच एक सुरक्षित जोन बनाने की कोशिश में हैं. हालांकि तुर्की ने इस पर धीमी गति से काम होने के लिए आपत्ति जताई है.

रविवार को व्हाइट हाउस की घोषणा से एक दिन पहले एर्दोवान ने उत्तरी सीरिया में एकतरफा सैन्य कार्रवाई की कड़ी चेतावनी जारी की. तुर्की का कहना है कि सेना सीमा पर अपने जवानों और हथियारों को भेज रही है. एर्दोवान का कहना है, "हमने फुरात नदी के पूर्व की तरफ सभी संबंधित पक्षों को हर तरह की चेतावनी दी है. हमने बहुत धैर्य से काम लिया है."

उधर कुर्दों के नेतृत्व वाले सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्सेज ने चेतावनी दी है कि वह तुर्की की कार्रवाई का सख्ती से जवाब देगा. एसडीएफ के प्रवक्ता मुस्तफा बाली ने शनिवार को ट्वीट किया, "हम तुर्की के बिना किसी उकसावे के किए हमले का जवाब सीमा पर जंग से देने में नहीं हिचकेंगे ताकि खुद को और अपने लोगों को सुरक्षित रख सकें."

एक कुर्द अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि उन्हें तर्की की तरफ से सीमित कार्रवाई की आशंका है और वे इस बात का आकलन करने में जुटे हैं कि अमेरिकी फौज के बाहर निकलने के बाद क्या हो सकता है. तुर्की पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स या वाईपीजी को कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानी पीकेके का विस्तार मानता है. पीकेके पिछले 35 सालों से तुर्की के खिलाफ उग्रवादी गतिविधियां चला रही है.

Syrien | US-Patrouille in Tell Abyad
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Alleruzzo

एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी नेताओं ने एसडीएफ से बात की है. इस गुट ने अमेरिका के साथ इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है और ताजा फैसले से वह निराश और गुस्से में है. मैटीस और पेंटागन के अधिकारियों को आशंका है कि इसका नतीजा आईएस के फिर से उभार के रूप में सामने आ सकता है. खासतौर से तब जब एसडीएफ इस्लामिक स्टेट के कैदियों को रिहा कर उन्हें तुर्की से लड़ने के लिए भेज दे.

रविवार के बयान में अमेरिका ने कहा है कि इन कैदियों को तुर्की अपनी हिरासत में ले लेगा. अमेरिका के मुताबिक एसडीएफ के कब्जे में 2500 बेहद खतरनाक विदेशी लड़ाके हैं जो यूरोप और दूसरी जगहों से आए हैं. इसके अलावा सीरिया और इराक में पकड़े गए 10,000 लड़ाके भी उसी के कब्जे में हैं. कुर्द लड़ाके आशंका जता रहे हैं कि तुर्की के हमले की सूरत में कैदी उनकी कैद से भाग सकते हैं. इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी ने अपने सदस्यों और चरमपंथी गुटों से कहा है कि वे जेलों और शिवरों में बंद कैदियों और महिलाओं को छुड़ाने के लिए जो संभव है करें.

ट्रंप फ्रांस और जर्मनी समेत दूसरे यूरोपीय देशों से लगातार कह रहे हैं कि वे अपने नागरिकों को वापस लें जो इस्लामिक स्टेट की फौज में शामिल होने गए थे.

एनआर/आईबी (एपी)

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