1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जानिए जयपुर के लक्जरी क्वारंटीन सेंटर का हाल

ऋषभ कुमार शर्मा
४ जून २०२०

वंदे भारत मिशन के तहत वापस जा रहे प्रवासी भारतीयों को राज्यों की राजधानियों में क्वारंटीन किया जा रहा है. जर्मनी से भारत पहुंचे हमारे साथी ऋषभ कुमार शर्मा अपने गृहराज्य की राजधानी जयपुर में क्वारंटीन में हैं.

https://p.dw.com/p/3dGvQ
Indien- Corona Ausgangssperre in Jaipur
तस्वीर: DW/R. Sharma

लंबे इंतजार के बाद फ्रैंकफर्ट से दिल्ली जाने की सारी बाधाएं खत्म हो गई थीं. दिल्ली पहुंचने के बाद मैंने वहीं क्वारंटीन होने के बदले जयपुर जाना तय किया. दिल्ली एयरपोर्ट पर बने राजस्थान सरकार के काउंटर ने यह सुनिश्चित किया और 29 मई की शाम को ही मैं जयपुर पहुंच गया. एयरपोर्ट के काउंटर पर मुझे होटलों की एक लिस्ट दी गई थी, जिनमें से मैं चुन सकता था कि मुझे कहां क्वारंटीन होना है. इसमें होटल की कैटेगरी और रूम का रोज का किराया लिखा हुआ था. होटल तीन कैटेगरी में बंटे थे, कीमतों के हिसाब से. कैटेगरी 1 वाले होटल 3500 रुपये प्रतिदिन के, कैटेगरी 2 वाले होटल 2500 रुपये प्रतिदिन और कैटेगिरी 3 वाले होटल पर 1500 रुपये प्रतिदिन की रेट लिखी हुई थी. मैंने कैटेगरी 1 के होटल क्लार्क आमेर को चुना. क्लार्क आमेर जयपुर की प्रसिद्ध जेएलएन रोड पर मौजूद एक फाइव स्टार होटल है.

मैं शाम छह बजे क्लार्क आमेर पहुंचा. उसी दिन एक फ्लाइट कजाखस्तान से राजस्थानी विद्यार्थियों को लेकर जयपुर आई थी. होटल में खूब चहल-पहल थी. लॉबी में सैनेटाइजर रखे हुए थे. होटल स्टाफ लगातार लोगों को मास्क लगाने और सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने को कह रहे थे. कुछ समय बाद बुकिंग काउंटर पर मेरा नंबर आया. दिल्ली से हमारे साथ राजस्थान पुलिस का एक सिपाही एस्कॉर्ट करते हुए आया था जिसके पास हमारे पासपोर्ट थे. उन्होंने पासपोर्ट और दूसरे कागजात वहां मौजूद अधिकारी को सौंप दिए. होटल वालों ने रूम बुक किया. ये होटल लिस्ट में तो 3500 रुपये प्रतिदिन कीमत का था लेकिन यहां 2500 रुपये प्रतिदिन और 12 प्रतिशत टैक्स लिया गया. ऐसे में एक दिन का किराया 2900 रुपये हुआ. मुझे सात दिन सरकारी क्वारंटीन में रहना था. मैंने होटल में रहने का सात दिन का किराया 19,600 रुपये भुगतान किया. कमरे की चाबी मिल गई और बिना जरूरी काम के कमरे से बाहर ना निकलने और कमरे के बाहर हमेशा मास्क लगाए रखने की हिदायत मिली.

Indien- Corona Ausgangssperre in Jaipur
होटल का अंतहीन गलियारा तस्वीर: DW/R. Sharma

साफ और शांत शहर

मेरा कमरा होटल के सातवें फ्लोर पर है. जयपुर में सात मंजिल और उससे ऊंची इमारतों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. ऐसे में कमरे से बाहर का नजारा सुंदर दिखता है. आधुनिक जयपुर की पहचान बन चुका वर्ल्ड ट्रेड पार्क खिड़की के सामने दिख रहा था. कोरोना ने मौसम को बहुत साफ कर दिया है. उसके दाएं में आमेर के पहाड़ तक दिख रहे थे. मैं पांच साल जयपुर में रहा लेकिन इतना खाली जयपुर मैंने पहली बार देखा. होटल का कमरा फाइव स्टार होटल जैसा ही अच्छा था. तीन पानी की बोतलें, इलेक्ट्रिक केतली और उससे चाय बनाने का इंतजाम भी था. करीब 71 दिन के इंतजार के बाद जयपुर पहुंचने पर अपने शहर के नजारे को अपनी आंखों में उतार लेने के लिए मैं करीब आधे घंटे तक खिड़की पर खड़ा रहा और बाहर निहारता रहा.
इस होटल में मेरे सहित तीन लोग हैं जो जर्मनी से जयपुर आए हैं. यहां अधिकतर लोग विदेश से आए मेडिकल स्टूडेंड या खाड़ी देशों से आए कामगार हैं. सबके चेहरे पर घरवापसी पर संतुष्टि का भाव है. कुछ विद्यार्थियों से मैंने पूछा कि क्वारंटीन के सात दिन कैसे बीतेंगे तो उनका जवाब था कि बस जयपुर आ गए अब तो पहुंच ही जाएंगे. आपस में परिचित कुछ लोग अपने अपने कमरे के दरवाजे पर खड़े होकर आपस में बात कर रहे थे. कुछ लोगों ने अपने स्पीकरों में गाने बजाकर खुशी का इजहार किया.

वायरस के फैलने की संभावना को रोकने के लिए होटलों में रूम सर्विस की सुविधा को बंद कर दिया गया है. कमरे का फ्रिज भी बंद है. एसी का तापमान 30 डिग्री पर फिक्स कर दिया गया है. होटल कर्मचारियों ने बताया कि सरकार की गाइडलाइंस के चलते ऐसा किया गया है. डाइनिंग हॉल में जाना भले ही संभव नहीं हो, कमरे में ही तीन समय के खाने का इंतजाम किया गया है. सुबह 8 से 10 के बीच नाश्ता, 12 से 2 के बीच दिन का खाना और शाम में 7 से 9 के बीच रात का खाना. ये खाना होटल स्टाफ द्वारा हर कमरे के बाहर रखी टेबलों पर रख दिया जाता है. वो दरवाजे की घंटी बजाकर बता देते हैं कि खाना आ गया है. खाने की क्वालिटी अच्छी है. वैसे यहां बाहर से खाना मंगवाने का भी विकल्प है. नाश्ते में पोहा, इडली, वडा, जूस, केक, पेस्ट्री, फल वगैरह मिलता है. खाने में दाल, सादा या पनीर वाली सब्जी, चावल, चपाती, अचार, सलाद दिए जा रहे हैं.

Indien- Corona Ausgangssperre in Jaipur
कमरे के बाहर टेबल पर खानातस्वीर: DW/R. Sharma

मोर्चे के सिपाही बने होटलकर्मी

कोरोना के खिलाफ संघर्ष में क्वारंटीन बने होटलों के कर्मचारी मोर्चे के सिपाही बन गए हैं, होटल सिस्टम के लिए जरूरी संस्थान बन गए हैं. उसके कर्मचारियों को इस स्थिति के लिए ट्रेन नहीं किया गया था. होटल के एक कर्मचारी से मैंने पूछा कि क्या बाहर से आए इतने लोगों को देखकर उसे डर नहीं लगता? होटल कर्मचारी ने पहले हंसते हुए कहा,"साहब एक दिन तो मरना ही है फिर क्या ही डरना." लेकिन फिर थोड़ा गंभीर होते हुए कहा,"मैं मास्क लगाए रहता हूं और हर कमरे में आने पर और जाने के बाद हाथ धोता हूं. यहां रोज तापमान भी मापा जाता है. लेकिन डरेंगे तो काम कैसे कर पाएंगे." उनकी बातों में एक आत्मविश्वास था. उन्होंने कहा,"हमारे इलाके में भी कुछ मामले निकले थे. शुरू में डर लगा पर अब वो सब ठीक होकर घर आ गए हैं. इसका मतलब इसका इलाज हो जाएगा तो फिर उतना डर नहीं लग रहा." क्वारंटीन में रह रहे लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला आयुर्वेदिक काढ़ा भी दिया जा रहा है.

3 जून को हमसे पहले आए कुछ लोगों के सात दिन पूरे हो गए. वो रिसेप्शन पर जाकर अपना मेडिकल स्वघोषणा फॉर्म जमा कर रहे थे. मेडिकल कर्मचारियों की एक टीम उनसे किसी तरह की कोई मेडिकल परेशानी के बारे में पूछ रही थी. मेडिकल कर्मचारियों ने विकल्प दिया कि जिन लोगों के शरीर में लक्षण नहीं हैं वो अपना टेस्ट नहीं करवाएं तो भी परेशानी नहीं है लेकिन उन्हें घर पर सात दिन क्वारंटीन में रहना होगा. यहां रह रहे अधिकतर लोगों ने कोई भी लक्षण नहीं दिखने की बात कही. मेडिकल टीम ने उनकी तापमान जांच की. मैंने टीम से पूछा कि अगर टेस्ट करना हो तो क्या करना होगा. उक्वारंटीनकोरोना

न्होंने बताया कि सरकारी जांच के लिए टीम के साथ जयपुर के एसएमएस अस्पताल चलना होगा और प्राइवेट जांच के लिए कुछ लैब सरकार ने तय की हैं, वहां जा सकते हैं.

Indien- Corona Ausgangssperre in Jaipur
कमरे के बाहर एक कबूतर का इंतजारतस्वीर: DW/R. Sharma

खुद करनी होती है सफाई

रूम सर्विस के लोग कमरों में नहीं आ रहे इसलिए सात दिन तक रूम खुद को ही साफ रखना होगा. कमरे के बाहर कूड़ादान रखा है. रोज नाश्ते के साथ पानी की बोतलें मिल जाती हैं. मेरा समय गाने सुनने, जयपुर को देखते रहने और थोड़ी पढ़ाई-लिखाई करने में बीत रहा है. राजस्थान में एक्टिव मामलों की संख्या स्थिर बनी हुई है और रिकवरी रेट बढ़ती जा रही है. इससे लोगों में एक तसल्ली भी है. लॉकडाउन खत्म होने की वजह से जेएलएन रोड पर वाहन चलते दिख रहे हैं. 5 जून को मेरा संस्थानिक क्वारंटीन खत्म हो जाएगा. इसके बाद मैं भी घर जा सकूंगा. अब उसी का इंतजार है. मेरे शरीर में कोई लक्षण नहीं हैं और मैं एकदम स्वस्थ महसूस कर रहा हूं.

जब से मैं आया हूं तब से कमरे की खिड़की पर एक कबूतर लगातार बैठा हुआ है. होटल ने खिड़कियों को खोलने पर पांबदी लगा रखी है. ऐसे में मैं उस कबूतर को शीशे के इस पार से सिर्फ देख पा रहा हूं. 29 मई से वो लगातार यहीं बैठा है. दिखने में अस्वस्थ नहीं है. लेकिन पिछले कई दिनों से वो कहीं गया नहीं. कारण मुझे पता नहीं. हो सकता है कोरोना की वजह से जैसे इंसानों की जिंदगी की रफ्तार थमी है वैसे ही ये भी थोड़ा आराम करना चाह रहा हो. जब मैं इस आर्टिकल को खत्म कर रहा हूं तब भी वो कबूतर पिछले छह दिनों की तरह खिड़की पर बैठा है. शायद मेरी परछाईं है, ये भी मेरे साथ ही अपने घर जाएगा.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

ये भी देखिए: कोरोना से बाल बाल बचे देश

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी