कॉमनवेल्थ के विवादित ईमेल का रहस्य गहराया
१० अगस्त २०१०ईमेल भारतीय उच्चायोग के प्रोटोकॉल अधिकारी राजू सेबेस्टियन ने लिखा. राजू ने इसमें क्वीन बेटन रिले के लिए सेवा देने वाले कंपनियों के नाम सुझाए थे. कलमाड़ी ने एएम फिल्म्स को दिए गए पैसों को सही ठहराने के लिए मेल मीडिया के सामने रखा. इसमें सबसे नीचे एएम फिल्म्स का जिक्र है. कलमाड़ी का कहना है कि क्वीन बेटन रिले के दौरान दी गई सेवाओं के लिए ही एएम फिल्म्स को पैसे दिए गए.
उधर भारतीय उच्चायोग ने मेल में एएम फिल्म्स का जिक्र करने से इनकार करने के बाद विदेश मंत्रालय मेल से छेडछाड़ किए जाने का शक जता रहा है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि संभव है कि उच्चायोग के मेल में उस अंतिम लाइन को बाद में जोड़ा गया हो जिसमें एएम फिल्म्स का जिक्र है. मेल भेजा गया था आयोजन समिति के निदेशक राज सिंह को. राज सिंह ने इसे आयोजन समिति के डिप्टी डायरेक्टर संजय महेंद्रू के पास भेजा. बाद में संजय ने यही मेल संयुक्त निदेशक टीएस दरबारी को भेजा. फिलहाल संजय निलंबित हैं और दरबारी बर्खास्त.
समाचार एजेंसी पीटीआई के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चला है कि राज सिंह को भी ये नहीं पता कि एएम फिल्म्स का जिक्र करने वाला मेल असली है या फर्जी. तीन अधिकारियों की जांच पैनल के सामने दरबारी ने कहा कि उन्होने राज सिंह से मेल की असलियत बताने को कहा था लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
उधर सिंह का कहना है, "मेल मेरे अकाउंट में आया जरूर था और मैंने उसे संजय महेंद्रू के पास भेजा भी. लेकिन अब वो मेरे पास नहीं है. मेरे मेलबॉक्स में नहीं दिख रहा है. मैंने तकनीकी विभाग को इसकी जांच करने के लिए कहा है."
दरबारी इस पूरे मामले में खुद को बेकसूर बताते हुए कर रहे हैं कि उन्हें ये मेल कभी मिला ही नहीं. न ही इंटरनेट के जरिए न ही प्रिंटआउट के रूप में. दरबारी का ये भी कहना है कि एएम फिल्म्स से लेनदेन उनके दस्तखत से नहीं हुई इस बात के पूरे सबूत है. दरबारी के मुताबिक रैली के लिए गाड़ियां, वीडियो बोर्ड, बिलों का भुगतान और दूसरे सभी काम एम जयचंद्रन, संजय महेंद्रू और सुधीर वर्मा की कमेटी ने किए.
सवाल फिर भी वही है कि अगर राजू के लिखे मेल में एएम फिल्म्स का नाम नहीं था तो कलमाड़ी के दिखाए मेल में ये नाम कहां से आया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः ए जमाल