कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी मिलने की कहानी
१५ सितम्बर २०१०2010 के कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी तय करने के लिए नवंबर 2003 में जमाइका के मोंटेगो बे शहर में कॉमनवेल्थ खेल संघ की आमसभा में मतदान हुआ. आमने सामने थे दिल्ली और हैमिल्टन. दिल्ली को 46 वोट मिले जबकि 22 वोटों के साथ हैमिल्टन काफी पीछे रह गया. भारत के हैदराबाद शहर में 2003 में हुए एफ्रो एशियाई खेलों की कामयाबी ने भी मेजबानी के रुख को भारत के पक्ष में मोड़ा.
उधर, पूर्व खेल मंत्री अय्यर ने जुलाई में भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में दावा किया कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे देशों को एक एक लाख डॉलर दिए, ताकि दिल्ली को खेलों की मेजबानी मिल सके. अय्यर कहते हैं कि इन देशों को खेलों की तैयारी के लिए पैसे देने की जरूरत नही थी. उनके मुताबिक, कानून चाहे जो कहे, “लेकिन मैं तो इसे रिश्वत ही कहूंगा.”
अय्यर के इन संगीन आरोपों को न्यूजीलैंड की ओलंपिक समिति ने सिरे से खारिज किया. उसने यह तो माना कि कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी हासिल करने की प्रक्रिया के दौरान भारत से उसे पैसा मिला, लेकिन वह इसे रिश्वत नहीं मानती, बल्कि यह रकम तो हर मेजबान देश को खेलों में हिस्सा लेने वाले देशों को देनी होती है.
न्यूजीलैंड की ओलंपिक समिति का कहना है कि अय्यर की जानकारी ठीक नहीं है. समिति के एक बयान के मुताबिक, "यह रकम खेल की तैयारियों के लिए दी गई, जो 2010 और 2014 के कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी हासिल करने की प्रक्रिया के तहत कॉमनवेल्थ खेल संघ ने तय की. कोई भी कॉमनवेल्थ खेल संघ आवेदन कर इस रकम को हासिल कर सकता है. 2010 और 2014 कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी के अहम दावेदारों ने इस सहायता राशि को बाकायदा अपने प्रस्ताव में शामिल किया. न्यूजीलैंड की ओलंपिक समिति ने इसी राशि को लिया है, जिसे खिलाड़ियों की तैयारी और उन्हें दिल्ली भेजने पर खर्च किया जाएगा."
अय्यर के आरोपों पर सवाल उठाते हुए न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने कहा कि अय्यर की जानकारी में तथ्यात्मक गलतियां नजर आती हैं. न्यूजीलैंड ओलंपिक समिति की बात को दोहराते हुए की ने कहा कि उनके देश ने तैयारियों के लिए मिलने वाली राशि ही ली है, इसमें ऐसी अनोखी बात क्या है.
दिल्ली एशिया का दूसरा शहर है जिसे कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी मिली. इससे पहले 1998 में मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में कॉमनवेल्थ खेल हो चुके हैं.
1982 के एशियाई खेलों के बाद कॉमनवेल्थ खेल दिल्ली में होने वाला सबसे बड़ा खेल आयोजन है. यह आर्थिक तौर पर उभरते भारत के लिए अपनी ताकत दिखाने का मौका है. लेकिन एक बाद एक मुश्किलों ने इस आयोजन से जुड़े अधिकारियों और सरकार के माथे की लकीरों को बढ़ा दिया है.