कोच बने नहीं कि फंस गए
१ दिसम्बर २०१२स्कोलारी का कहना है कि उन खिलाड़ियों को "बंको डो ब्रासील" में काम करना चाहिए. यह ब्राजील का सबसे बड़ा बैंक है और उसने इस बयान पर एतराज जताया है. उद्योग कर्मचारियों के राष्ट्रीय मंडल ने भी इस असम्मानजनक टिप्पणी बताया है.
बैंक ने बयान जारी किया, "बंको डो ब्रासील, देश की जनता के साथ लुई फेलिपे स्कोलारी को राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कोच के रूप में उनकी नई चुनौती के लिए शुभकामनाएं देता है. हालांकि उसे इस बात का अफसोस है कि उन्होंने ऐसा बयान दिया. बैंक को अपने 1,16,000 कर्मचारियों पर गर्व है. वे कर्मचारी ब्राजील का राष्ट्रीय रंग पहनते हैं."
ब्राजील के उद्योग कर्मचारियों के संघ का कहना है कि न सिर्फ बैंक के कर्मचारियों का अपमान किया है, बल्कि इससे यह बात भी साबित होती है कि उन्हें वित्तीय क्षेत्र की कोई जानकारी नहीं है. संघ ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि वह बैंक की तरह फुटबॉल के बारे में भी अनभिज्ञ न हों." स्कोलारी से जब पूछा गया था कि अगला वर्ल्ड कप ब्राजील में हो रहा है और इस मौके पर ब्राजील की जनता खिताब से कम किसी चीज से संतुष्ट नहीं होगी, तो इस दबाव को खिलाड़ी कैसे झेल पाएंगे. इसी बात के जवाब में स्कोलारी ने बैंक वाली बात कही, "अगर आप दबाव नहीं झेल सकते हैं, तो बेहतर है कि बंको डो ब्रासील में जाकर काम करें. या फिर किसी दफ्तर के कोने में बैठ जाएं और कोई काम न करें." स्कोलारी के नेतृत्व में देश ने 2002 का वर्ल्ड कप जीता था. इसके बाद उन्होंने कोच के तौर पर दूसरी पारी गुरुवार को शुरू की.
बैंक ने बताया कि इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद स्कोलारी ने उनसे संपर्क किया और माफी मांगी. स्कोलारी खुद भी इस बैंक के ग्राहक हैं. बैंक के मुताबिक, "उन्होंने कहा कि वह बैंक के कर्मचारियों की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते थे और अपनी बात को उन्होंने बेहद गलत तरीके से रखी."
एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)