कोरोना के चलते दो साल घर नहीं लौट सका शख्स
१ दिसम्बर २०२१मुहम्मद फारिस अब्दुल्ला का घर मलयेशिया में है और दफ्तर सिंगापुर में. कोरोना महामारी से पहले उन्हें घर से दफ्तर आने-जाने में रोजाना बस 30 मिनट लगते थे. मगर मार्च 2020 में जब बिना किसी पूर्व चेतावनी के राष्ट्रीय सीमाएं सील हो गईं, तो खाना पहुंचाने वाली एक कंपनी में ड्राइवर की नौकरी कर रहे 37 बरस के फारिस सिंगापुर में फंस गए. एक ऐसी जगह, जहां उनके पास कोई घर-बार तक नहीं था. कोरोना प्रतिबंधों में दी गई ढील के चलते फारिस इस हफ्ते करीब दो साल बाद अपने परिवार से दोबारा मिल पाए हैं.
मलेशिया के सुदूर दक्षिणी छोर पर बसे शहर जोहोर बाहरु के लिए रवाना होते समय बातचीत में फारिस ने बताया, "ऐसा लग रहा है मानो आपको जेल में बंद कर दिया गया हो और लंबे समय बाद आप अपने परिवार से मिले हों." मुहम्मद फारिस की कहानी अपने आप में अकेली नहीं. मलेशिया और सिंगापुर की सीमा दुनिया की सबसे व्यस्त जमीनी सीमाओं में से एक है. कोरोना के चलते जब ये सीमा बंद की गई, तो दोनों मुल्कों के हजारों लोग अपने घर-परिवार से दूर पड़ोसी देश में फंस गए.
लॉकडाउन में सीमा सील
फारिस का बेटा चार साल का था, जब उन्होंने आखिरी बार उसे देखा था. अब वो छह साल का हो गया है. इतने समय बाद दोबारा उससे मिलते समय फारिस बेहद भावुक थे. उन्होंने कहा, "मैं तो हैरान रह गया उसे देखकर. वो बहुत लंबा हो गया है. उसके जूते का नंबर भी बड़ा हो गया है. उसे अच्छे से समझ सकूं, इसके लिए मुझे उसके साथ ज्यादा समय बिताना होगा." फारिस के बेटे का नाम है, मुहम्मद इशाक बिन मुहम्मद फारिस. इतने महीनों बाद पिता से दोबारा मिलकर वो बहुत खुश हुआ. बोला, "मुझे पापा की बहुत याद आती थी. पापा वापस आ गए, मैं बहुत खुश हूं."
बीते महीने फारिस के लिए काफी मुश्किल थे. कोरोना के चलते सीमा सील होने के बाद शुरुआती छह महीने तो उनके पास सिर छुपाने की भी जगह नहीं थे. मजबूरी में उन्हें अपनी कार के भीतर सोना पड़ता. बाद में वो अपने भाई के साथ रहने चले गए. फारिस बताते हैं कि उनकी अपने ही जैसे परदेस में फंसे कई लोगों से दोस्ती भी हो गई थी.
ओमिक्रॉन ने बढ़ाई चिंता
मलेशिया और सिंगापुर के बीच जमीनी और हवाई यात्रा इस हफ्ते दोबारा शुरू हो गई. फिलहाल केवल वैक्सीन लगवा चुके लोग ही सीमा पार आ-जा सकते हैं. मगर ये भी इतना आसान नहीं है. जैसे कि फारिस, जिन्हें जमीन के रास्ते मलेशिया में प्रवेश की इजाजत नहीं थी. ये अनुमति फिलहाल उन्हीं नागरिकों को है, जिनके पास दोनों देशों में वैध दीर्घकालिक पास हैं.
इसीलिए फारिस सीधे अपने परिवार के पास नहीं जा सके. बल्कि उन्हें पहले हवाई यात्रा करके करीब 350 किलोमीटर दूर स्थित मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर जाना पड़ा. फिर वहां से गाड़ी के रास्ते करीब इतनी ही दूरी और तय कर वो अपने परिवार के पास पहुंचे. मलेशिया और सिंगापुर दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से अपनी जमीनी सीमा को खोलने की योजना बना रहे हैं. मगर ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते उपजी ताजा चिंताओं के कारण इसके आगे खिसकने की आशंका है.
एसएम/एमजे (रॉयटर्स)