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क्या कहती है जर्मनी की न्यू चाइना पॉलिसी

१३ जुलाई २०२३

जर्मनी ने ज्यादा "हठी" चीन से निपटने के लिए नई नीति जारी की है. लंबे असमंजस के बाद बर्लिन ने अपने सबसे बड़े कारोबारी साझेदार को लेकर न्यू चाइना पॉलिसी जारी की है.

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चीनी राष्ट्रपति शी के साथ जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स (दाएं)
तस्वीर: Carsten Rehder/dpa/picture alliance

यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को "साझेदार, प्रतिस्पर्धी और ढांचागत प्रतिद्वंद्वी" करार दिया है. नई चीनी नीति के बारे जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने ट्वीट किया, "हमारा लक्ष्य अलग (बीजिंग से) होना नहीं है. लेकिन हम भविष्य में उस पर अपनी नाजुक निर्भरताएं घटाना चाहते हैं." शॉल्त्स के मुताबिक, बर्लिन "बदल चुके और ज्यादा हठी हो चुके चीन पर प्रतिक्रिया" दे रहा है.

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न्यू चाइना पॉलिसी कहा जाने वाला जर्मन सरकार का ये दस्तावेज 64 पन्नों का है. जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक के मुताबिक इसे चीन के प्रति यूरोपीय संघ के रुख को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. रणनीतिक दस्तावेज कहता है कि "किन क्षेत्रों में चीन पर यूरोप की निर्भरता लगातार कम हो रही है, चीन पर जर्मनी की निर्भरता हाल के बरसों में बहुत ज्यादा अहम हो चुकी है."

जून मध्य में ही जर्मनी आए थे चीन के पीएम ली कियांग
जून मध्य में ही जर्मनी आए थे चीन के पीएम ली कियांगतस्वीर: Ding Haitao/Xinhua News Agency/picture alliance

चीन पर जर्मनी की निर्भरता

जर्मन अर्थव्यवस्था बुरी तरह चीन पर निर्भर है. बीते दो दशकों में जर्मन कंपनियों ने चीन में भारी निवेश किया है. निर्यात आधारित जर्मन इकोनॉमी के लिए बीजिंग एक चुंबक की तरह है. इसी कारोबारी निर्भरता की वजह से जर्मनी चीन को लेकर भारी असमंजस में है. जर्मन की गठबंधन सरकार में चीन के प्रति नीति को लेकर मतभेद हैं. विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की ग्रीन पार्टी, चीन पर कड़ा रुख अपनाते हुए मानवाधिकारों को नीति के केंद्र में रखने की हिमायती रही है. वहीं चांसलर शॉल्त्स की पार्टी, एसपीडी कारोबार संबंधी दोस्ती के पक्ष में रहती है.

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न्यू चाइना पॉलिसी दोनों पार्टियों के रुख में संतुलन साधने की कोशिश दिखती है. विदेशमंत्री बेयरबॉक इसे "समझौते खोजना....लोकतंत्रों का जीवित रक्त है" भी कहती हैं.

चीनी विदेश मंत्री के साथ जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक
चीनी विदेश मंत्री के साथ जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: Michael Kappeler/Pool via REUTERS

चिंता और चित्रहार का संगम

जर्मन सरकार के मुताबिक वह "चीन की आर्थिक तरक्की और उसके विकास में बाधा नहीं डालना चाहती है. लेकिन तुरंत जोखिम कम करना भी जरूरी हो गया है." दस्तावेज में इस बात चिंता जताई गई है कि चीन किस तरह अपने एक पार्टी सिस्टम के हितों के ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. इसका असर मानवाधिकारों जैसे मुद्दों पर नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर पड़ रहा है.

इन सब चिंताओं के बावजूद जर्मनी ने चीन के साथ बड़े सहयोग की संभावना को भी सामने रखा है. जर्मन सरकार का डॉक्यूमेंट कहता है, "चीन के बिना जलवायु संकट से निपटना संभव नहीं होगा."

जर्मनी रूसी गैस पर बहुत ज्यादा निर्भर था. यूक्रेन युद्ध ने इस निर्भरता के नतीजे जर्मनी को दिखा दिए. अब इन सबकों को ध्यान में रखते हुए जर्मनी चीन से भी अपनी निर्भरता कम करने की योजना बना रहा है.  

ओएसजे/एसबी (डीपीए, एएफपी)  

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