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क्या बीजेपी का भारत मुस्लिमविरोधी है?

२२ दिसम्बर २०१७

साढ़े तीन साल के भारतीय जनता पार्टी के शासन में मुस्लिमविरोधी भावना मजबूत हुई है. भ्रष्टाचार मिटाने और विकास के नाम पर सत्ता में आई पार्टी के नेता गौरक्षा, लव जिहाद और हिंदू- मुसलमान जैसे मुद्दों में उलझे नजर आते हैं.

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Indien Wahlen Uttar Pradesh
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

अक्टूबर में बीजेपी के एक सांसद ने ताजमहल को भारत की संस्कृति पर एक धब्बा बताते हुए कहा कि उसे मुस्लिम विश्वासघातियों ने बनाया. नवंबर में पार्टी के एक दूसरे नेता ने 'पद्मावती' फिल्म से जुड़े दो लोगों का सिर काटने वालों के लिए इनाम का एलान कर दिया. इसके बाद दिसंबर में एक मजदूर को मार कर जला दिया गया और इसका वीडियो बना कर फैला दिया गया. इस वीडियो में हमलावर को मुसलमानों के खिलाफ बोलते साफ देखा जा सकता है.

Indien Kailash Vijayvargiya
तस्वीर: Getty Images/AFP/N Nanu

एक के बाद एक हुई इन घटनाओं से यह डर बढ़ रहा है कि भारत में मुस्लिम विरोधी भावनाएं मजबूत हो रही हैं, खासतौर से तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद. कुछ लोगों का कहना है कि हालात ऐसे बन गए हैं कि उग्र हिंदूवादी हत्या करने के बाद भी छूट सकते हैं. दूसरी तरफ, कुछ लोगों को यह डर सता रहा है कि कट्टरपंथी हिंदू नेता देश का इतिहास दोबारा लिखना चाहते हैं.

130 करोड़ लोगों के लोकातंत्रिक देश के मिजाज में यह बदलाव बहुतों के लिए सहन करना मुश्कल हो रहा क्योंकि भारत को एक समावेशी विकासशील देश का मॉडल माना जाता रहा है. इसी महीने जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा दिल्ली आए तो उन्होंने कहा कि मुसलमान भारत में सम्मिलित हो गए हैं और वो खुद को भारतीय मानते हैं. 80 फीसदी हिंदू आबादी वाले देश में मुसलमान 14 फीसदी हैं. यहां धार्मिक तनाव कोई नई बात नहीं है लेकिन बीजेपी के शासन में अकसर इसके बढ़ने की बात कही जाने लगी है.

इसी महीने एमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी से यह सवाल पूछा कि वह सभी धर्मों के लोगों के नेता हैं या फिर केवल हिंदुओं के. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, "याद रखिए आपने संविधान की शपथ ली है."

इतिहासकार और लेखक मुकुल केसवन कहते हैं कि भारत में मुसलमानों को दशकों से कुछ भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यह बात मकान खरीदने या फिर किराये पर मकान ढूंढने में अकसर दिखाई देती है. हालांकि केसवन का कहना है कि मोदी और उनकी पार्टी ने हिंदुओं के जेहन में एक तरह से यह भावना भर दी है कि वह मुसलमानों की घोर निंदा कर सकते हैं, उन पर अचानक हमला कर सकते हैं. केसवन ने गाय खरीदने या बेचने वालो के खिलाफ हुई भीड़ की हिंसा का हवाला दिया.

Verwandte von Mohammad Akhlaq, der von einem Mob gelyncht wurde
तस्वीर: Reuters/Stringer

केसवन ने कहा कि इनमें से कुछ मामलों में भीड़ में शामिल लोगों को कोई सजा नहीं हुई जबकि पीड़ितों या उनके परिवार पर अवैध रूप से बीफ रखने का आरोप लगा. केसवन ने कहा, "हमेशा से न्याय दो तरह का होता रहा है. लेकिन लोगों को मारने का लाइसेंस मिल जाए ऐसी बातें नई हैं. सजा नहीं मिलेगी ऐसी भावना मजबूत हो गई है."

मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के कुछ मामलों में कार्रवाई हुई है लेकिन बहुत से मामलों में नहीं हुई. केसवन कहते हैं कि पुलिस हरकत में आने से पहले अकसर सत्ताधारी दल की सलाह का इंतजार करती है.

भारतीय जनता पार्टी इस धारणा से इनकार करती है कि वह हिंसा को बढ़ावा दे रही है. दिल्ली में पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व सांसद बिजय शंकर शास्त्री कहते हैं कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कभी कभार होने वाले दंगे यहां की जिंदगी का हिस्सा रहे हैं और पार्टी के सत्ता में आने के बहुत पहले से यह होता रहा है. शास्त्री ने कहा, "हमारा राजनीतिक एजेंडा केवल देश का विकास है. हम कभी भी जाति, रंग, धर्म या इस तरह चीजों पर आधारित राजनीति करना पसंद नहीं करते." उन्होंने कहा कि गुजरात में दो दशक से बीजेपी सत्ता में है और वहां उसने सड़कों का जाल बिछाने के साथ ही हर गांव में बिजली पहुंचा दी है.

Touristen bei dem Tajmahal
तस्वीर: DW

इतने पर भी पार्टी के सदस्य सूरज पाल अमु ने पिछले महीने फिल्म 'पद्मावती' की अभिनेत्री और निर्देशक का सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये देने का एलान किया. इस फिल्म के बारे में कहा जा रहा है कि एक मुस्लिम शासक और हिंदू रानी के बीच प्रेम दिखाया गया है. अमु ने बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया. हरियाणा पुलिस का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है. शास्त्री ने कहा कि वह अमु के बारे में ज्यादा नहीं जानते लेकिन उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए. फिल्म के बारे में शास्त्री ने कहा कि उन्होंने प्रेम के दृश्यों के बारे में सुना है अगर यह सचमुच फिल्म में है तो बहुत बुरा है क्योंकि यह पद्मावती की कहानी में परिवर्तन होगा. फिल्म के निर्देशक ऐसा कोई दृश्य होने से इनकार करते हैं.

इसी तरह से ताजमहल के खिलाफ भी एक अभियान चल रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने जहां इसे राज्य के पर्यटन विभाग की बुकलेट से हटा दिया वहीं बीजेपी विधायक संगीत सोम ने इसे देश के लिए धब्बा बताया. बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि ताजमहल जिस जगह बना है वहां पहले मंदिर था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पुरातत्वशास्त्री भुवन विक्रम बताते हैं कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके. कोलकाता से ताजमहल देखने आगरा आईं छात्रा पृथा घोष कहती हैं कि राजनेता धार्मिक विवादों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जो खतरनाक है. पृथा ने कहा कि ऐतिहासिक इमारतों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "यह भारत के लिए एक गौरव जैसा है. निश्चित रूप से हर कोई इसे प्यार करता है. इस तरह की चीजों में हिंदू मुसलमान जैसी बातें नहीं होनी चाहिए."

एनआर/एके (रॉयटर्स)