1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या बुलेट ट्रेन के लिए तैयार है भारत?

१३ सितम्बर २०१७

जहां रेलवे में सुरक्षा की बदहाली की वजह से हर साल हादसों के चलते सैकड़ों लोगों को जान गवांनी पड़ती हो वहां बुलेट ट्रेन चलाने का क्या औचित्य है और क्या देश इस हाईस्पीड ट्रेन के लिए तैयार है?

https://p.dw.com/p/2jqbw
Indien Zugunglück
तस्वीर: Getty Images/AFP/Str

जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के भारत दौरे के मौके पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद और मुंबई के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास करेंगे. इसके साथ ही यह सवाल उठने लगे हैं कि आये दिन रेल हादसों से जूझता भारत बुलेट ट्रेन के लिए तैयार है? विडंबना यह है कि इस अकेली परियोजना पर 1.10 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे जबकि पूरी भारतीय रेल में सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाने पर महज 40 हजार करोड़ का खर्च आएगा. जाहिर है सरकार की प्राथमिकताएं कुछ और हैं.

China Hochgeschwindigkeitszug Fuxing
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress.com

बुलेट ट्रेन परियोजना

केंद्र सरकार देश की पहली प्रस्तावित हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर काफी उत्साह में है. अहमदाबाद और मुंबई के बीच 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली यह ट्रेन यह दूरी महज दो घंटे में तय कर लेगी. यानी गुजरात के विभिन्न शहरों में रहने वाले लोग रोजाना मुंबई आवाजाही कर सकेंगे. इस परियोजना के लिए एक अलग पटरी बिछाई जाएगी और कुल 1.10 लाख करोड़ की लागत आएगी. सरकार का इरादा देश की आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर वर्ष 2022 में इसे शुरू करने का है. लेकिन इसके साथ ही यह सवाल उठने लगा है कि जहां औसतन सौ किमी की रफ्तार से चलने के बावजूद अक्सर रेल हादसे होते रहते हैं वहां इतनी ज्यादा गति से चलने वाली ट्रेनों की सुरक्षा का क्या इंतजाम होगा. यह सही है कि परियोजना में जिस जापानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा उसका ट्रैक रिकार्ड बेदाग है. लेकिन यह बात ध्यान में रखनी होगी कि वह रिकार्ड जापान में है, भारत में नहीं. विशेषज्ञों का कहना है कि जापान में कार्य संस्कृतिक, प्रशिक्षण और तकनीकी क्षमताओं की इस रिकार्ड में अहम भूमिका है. भारत में ऐसा संभव होगा या नहीं, इस पर अटकलें ही लगाई जा सकती हैं.

इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि इतनी भारी लागत से परियोजना तैयार होने के बावजूद क्या यह अपनी लागत वसूल सकेगी? इसकी वजह यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रेलवे किराए में 70 फीसदी वृद्धि के बावजूद रेलवे अब तक सफेद हाथी ही साबित हुआ है. डायनामिक और सुपर डायनामिक किराए के चलते रेल यात्री अक्सर सस्ती हवाई यात्रा को तरजीह देने लगे हैं. ऐसे में क्या बुलेट ट्रेन में सफर करने को लोग किस हद तक तरजीह देंगे? इस सवाल की वजह यह है कि अहमदाबाद से मुंबई की दूरी जो बुलेट ट्रेन दो-सवा दो घंटे में तय करेगी उसे हवाई यात्रा से महज 75 मिनट में पूरा किया जा सकता है.

Indien Zugunglück
तस्वीर: Getty Images/AFP/Str

भारतीय रेल को हवाई कंपनियों से मिलने वाली कड़ी चुनौती की अनदेखी करना संभव नहीं है. रेलवे की ओर से तैयार एक ब्लूप्रिंट में कहा गया है कि अगले तीन साल में ऊपरी दर्जे में य़ात्रा करने वाले लोग रेल की बजाय हवाई यात्रा को ही चुनेंगे. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने तो हाल में रेलवे की कुछ ट्रेनों और आधारभूत परियोजनाओं को निजी क्षेत्र को सौंपने की वकालत की थी ताकि योजना व विकास से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके. रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य (ट्रैफिक) अजय शुक्ला कहते हैं, "दुनिया भर में यह ट्रेंड है. रेलवे लंबी दूरी के यात्रियों के लिए अब प्रासंगिक नहीं रही. भारतीय रेलवे को भी इसी ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए."

बढ़ते हादसे

भारतीय रेल में हादसों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इनकी वजह से हाल में रेल मंत्री सुरेश प्रभु के अलावा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को भी अपने पद से हटना पड़ा. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2013 से 2017 के दौरान साढ़े चार सौ से ज्यादा हादसे हुए. अकेले वर्ष 2016-17 के दौरान रेल हादसों में 193 लोग मारे जा चुके हैं. हाल के हादसों से साफ है कि पटरियों पर ट्रेनों के बढ़ते दबाव के चलते उनकी सही मरम्मत व रखरखाव का काम संभव नहीं हो पा रहा है. दो साल पहले रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक श्वेतपत्र में कहा गया था कि देश भर में फैली 1 लाख 14 हजार 907 किमी लंबी पटरियों के नेटवर्क में से हर साल साढ़े चार हजार किलोमीटर लंबी पटरियों को बदला जाना चाहिए. लेकिन वित्तीय तंगी के चलते इस लक्ष्य में लगातार कटौती हो रही है. फिलहाल 5,300 किलोमीटर पटरियों का नवीनीकरण बाकी है. लेकिन चालू साल का लक्ष्य महज 2,100 किमी है.

बढ़ते रेल हादसों की वजह से सुरक्षा का सवाल अब पहले के मुकाबले और विकराल स्वरूप में सामने है. बीएसपी नेता मायावती समेत तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि महज एक रूट पर भारी रकम खर्च कर बुलेट ट्रेन चलाने की बजाय सरकार को रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने पर जोर देना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रेल की पूरी सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाने पर महज 40 हजार करोड़ खर्च होंगे. लेकिन यहां सवाल वही प्राथमिकताओं का है. बुलेट ट्रेन के शोर में रेलवे सुरक्षा का मुद्दा दब गया है. रेलवे में सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कर्मचारियों के सवा लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. लगातार हादसों के बावजूद इन पदों पर बहाली की कोई ठोस पहल नहीं हुई है.

Indien Premierminister Shinzo Abe aus japan wird erwartet
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

बुलेट ट्रेन परियोजना की सुरक्षा से जुड़े सवाल भी सामने आ रहे हैं. यह पूछा जा रहा है कि जब मामूली गति से चलने वाली ट्रेनें आये दिन पटरियों से उतर रही हैं और उन पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे के पास तकनीक और तकनीकी कर्मचारियों का अभाव है तो बुलेट ट्रेन के मामले में क्या यह तस्वीर बदलेगी? लेकिन नए रेल मंत्री पीयूष गोयल कहते हैं, "जापान में ऐसी परियोजनाओं में अब तक एक भी हादसा नहीं हुआ है. उम्मीद है भारत में भी यह ट्रैक रिकार्ड बरकरार रहेगा."

रिपोर्टः प्रभाकर