क्या सेक्स के दौरान फैल रहा है मंकीपॉक्स
२३ मई २०२२विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपाताकलीन विभाग के पूर्व प्रमुख डेविड हेमान ने समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में बताया कि इस बीमारी के फैलाव को समझने का एक प्रमुख सिद्धांत कहता है कि यह यौन संक्रमण के जरिये हुआ है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि स्पेन और बेल्जियम में हाल ही में हुए कार्यक्रमों के लिये जमा हुए समलैंगिक और बाइसेक्सुअल पुरुषों में इसके प्रसार के कई मामले सामने आये थे.
सेक्स से संक्रमण
हेमान का कहना है, "हम जानते हैं कि मंकीपॉक्स संक्रमित लोगों से केवल करीबी संपर्क होने पर ही होता है, ऐसा लग रहा है कि यौन संपर्कों ने इसका संक्रमण बढ़ा दिया है.
मैड्रिड के एक वरिष्ठ अधिकारी एनरिक रुईज एस्कुदेरो ने सोमवार को बताया कि राजधानी में अब तक 30 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. एस्कुदेरों का कहना है कि अधिकारी हाल ही में केनरी आइलैंड पर हुए गे परेड और बीमारी के प्रसार के बीच संबंध होने की पड़ताल कर रहे हैं. इस कार्यक्र में 80 हजार से ज्यादा लोग आये थे. इसके अलावा मैड्रिड सॉना में भी संक्रमण की बात पता चली है.
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट माइक स्किनर का कहना है,"यौन गतिविधियों की प्रकृति है अंतरंग संपर्क होना, ऐसी स्थिति में बीमारी के प्रसार की आशंका बढ़ जाती है, इसमें किसी व्यक्ति का यौन रुझान और संक्रमण का तरीका चाहे जो हो," उससे फर्क नहीं पड़ता.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ब्रिटेन और यूरोप में संक्रमित हुए ज्यादातर युवा पहले कभी अफ्रीका नहीं गए. हालांकि इन लोगों ने समलैंगिक या बाइसेक्सुअल सेक्स किया था. पुर्तगाल और स्पेन के अधिकारियों का भी कहा है कि ज्यादातर समलैंगिक सेक्स करने वालों में संक्रमण की बात सामने आई है. ये लोग सेक्सुअल हेल्थ क्लीनिक में जख्मों का इलाज कराने गये थे. उसी दौरान उनकी जांच में मंकीपॉक्स के संक्रमण का पता चला.
मंकीपॉक्स का पुराना पैटर्न
इससे पहले मंकीपॉक्स की बीमारी कभी भी अफ्रीका के बाहर बड़े पैमाने पर सामने नहीं आई थी. अफ्रीका में भी यह आमतौर पर जानवरों में फैलने वाली बीमारी है.
मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में इस बीमारी के प्रसार का जो पैटर्न रहा है उससे यह काफी अलग है. यहां मुख्य रूप से लोग जंगली चूहों और नर वानरों से इस बीमारी से संक्रमित होते हैं. यह बीमारी कभी भी सीमाओं के पार नहीं गई है.
इस बार यह मामला बिल्कुल अलग है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स के अब तक 90से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. ये मामले ब्रिटेन, स्पेन, इस्रायल, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत दर्जन भर देशों में नजर आए हैं.
मंकीपॉक्स में बुखार, कंपकंपी, चकत्ते और चेहरे या यौनांगों में घाव होता है. यह किसी संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क, कपड़े या चादर के साथ दूसरे व्यक्ति में जा सकता है. हालांकि यौन संक्रमण की बात अभी दस्तावेजों में दर्ज नहीं है. संक्रमित होने वाले ज्यादातर लोग कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं और आमतौर पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आती.
स्मॉलपॉक्स का वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में भी असरदार है. इसके अलावा कुछ एंटीवायरल दवायें भी विकसित की जा रही हैं. यह बीमारी संक्रमण के 10 फीसदी मामलों में जानलेवा हो सकती है लेकिन बीमारी के इस नये दौर में अब तक किसी के मौत की खबर नहीं आई है.
'महामारी के आसार नहीं'
डब्ल्यूएचओ के सलाहकारों की इस संक्रामक बीमारी के खतरों का आकलन करने के लिए बुलाई गई एक मीटिंग की अध्यक्षता हेमान ने की थी. हेमान का कहना है कि इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि मंकीपॉक्स का वायरस म्यूटेट हो कर और ज्यादा खतरनाक संस्करण विकसित कर रहा है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इतने सारे देशों में इस बीमारी का संक्रमण सामने आने का मतलब है कि यह पिछले कुछ समय से चुपचाप फैल रही थी. डब्ल्यूएचओ के यूरोप निदेशक ने चेतावनी दी है कि यूरोप में गर्मियां शुरू हो रही हैं और इस के साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों की भीड़ और फेस्टिवल, पार्टियां इसके प्रसार को और बढ़ा सकती हैं.
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हेमान लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर भी हैं. उनका कहना है कि मंकीपॉक्स का संक्रमण यकायक हुई घटना भी हो सकती है जिसे एक ही संक्रमण की श्रृंखला में ढूंढा जा सकता है.
हेमान ने अंदाजा लगते हुए कहा, "यह बहुत संभव है कि कोई जो पहले से संक्रमित हो उसके यौनांगो, हाथ या कहीं और घाव हो जाये और फिर जब वह किसी के साथ यौन संबंध के दौरान या फिर ऐसे ही करीब गया हो तब यह दूसरे में फैल गया हो." हेमान का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के जरिये इसके अमेरिका और यूरोप में एक जगह से दूसरी जगह तक फैलने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं.
उन्होंने जोर दे कर कहा है कि इसका व्यापक तौर पर किसी महामारी के जैसा संक्रमण होने के आसार नहीं है. हेमान ने कहा, "यह कोविड नहीं है. हमें इसे धीमा करना होगा लेकिन यह हवा में नहीं फैलता और हमारे पास इसे रोकने के लिए वैक्सीन मौजूद है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच होने चाहिए कि कहीं या बिना लक्षण दिखाये भी तो नहीं फैल रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कहा है कि इस बीमारी से लड़ने के लिए अलग से अभियान चलाने की जरूरत नहीं है. मौजूदा दवाओं और वैक्सीन से इसे रोका जा सकता है.
एनआर/आरएस(एपी)