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समाज

क्या सेक्स से पहले करार करा लेना चाहते हैं नारीवादी?

१३ जनवरी २०१८

मी टू अभियान के आलोचकों में शामिल एक फ्रेंच लेखिक का दावा है कि महिलावादी तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक कि "सेक्स करने से पहले वकील के साथ एक करार पर दस्तखत होना जरूरी ना हो जाए."

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Cannes - Eröffnungsfilm La tête haute mit Catherine Deneuve
तस्वीर: Festival de Cannes

कैथरीन मिलेट बहुचर्चित संस्मरण द सेक्सुअल लाइफ ऑफ कैथरीन एम की लेखिका हैं. उनका दावा है कि यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुआ अभियान जरूरत से ज्यादा आगे निकल गया है.

कला समीक्षक कैथरीन उस विवादित खुले पत्र के पीछे भी हैं जिस पर फिल्म स्टार कैथरीन डेनेवू समेत 100 से ज्यादा फ्रेंच महिलाओं ने दस्तखत किये हैं.  इन लोगों का दावा है कि हॉलीवुड मुगल हार्वे वाइनस्टीन का मामला सामने आने के बाद "विशुद्धतावाद की लहर" चल पड़ी है. उन्होंने इसकी कड़ी निंदा की है.

(इन अभिनेत्रियों ने लगाए वाइनस्टीन पर आरोप)

इस पत्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा हंगामा किया. फ्रांस और दूसरी जगहों के नारीवादियों ने इस पत्र पर दस्तखत करने वालों की जम कर आलोचना की. उन्हें पुरुषों की महिलाओं को तंग करने और उन पर "हमला" करने की आजादी का रक्षक बताया है.

फ्रांस के सरकारी रेडियो पर बात करते हुए मिलेट ने कहा, "हमलोग मूर्ख नहीं हैं. बलात्कार और यौन हिंसा को अपराधिक मानना चाहिए लेकिन हम छोटी मोटी हरकतें, गंदे शब्द या अशोभनीय व्यवहार पर पाबंदी नहीं लगा सकते. यह पागलपन है, हम लोग अब इश्कबाजी पर रोक लगा रहे हैं."

सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इस पत्र की आलोचना की. पत्र में यह भी लिखा गया था कि सार्वजनिक परिवहन में अगर महिला के साथ छेड़छाड़ होती है तो महिलाओँ को उससे खुद ही निपटना चाहिए. इसमें किसी पुरुष को किसी महिला के घुटने छूने या फिर चुंबन की कोशिश के लिए उसकी नौकरी लेने पर भी नाराजगी जताई गई है.

मिलेट का कहना है कि #मीटू सोशल मीडिया अभियान के बाद बहुत सी महिलाएं डर गई है. इस अभियान ने ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें हर कोई एक दूसरे की पड़ताल कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पत्र पर कई पीड़ितों ने भी दस्तखत किये हैं. इनमें सामंथा गीमर भी हैं जिनके साथ रोमान पोलांस्की ने 13 साल की उम्र में बलात्कार किया था.

सामंथा का भी मानना है कि अभियान बहुत आगे चला गया है. सामंथा ने कहा है कि वो डेनेवू और इस पत्र पर दस्तखत करने वाले दूसरे लोगों से "पूरी तरह सहमत" हैं. सामंथा ने ट्वीट किया, "महिलाओं को बराबरी, सम्मान और सेक्स की आजादी की जरूरत है." हवाई में रहने वाली सामंथा पेशे से लेखिका है. उनका कहना है, "हम यह सब खुद और एक दूसरे के लिए खड़े हो कर हासिल कर सकते हैं. इसके लिए किसी से कहने की जरूरत नहीं है और ना ही यह तय करने की कि महिलाओं को किस चीज की 'अनुमति' है."

सामंथा चाहती हैं कि पोलंस्की के खिलाफ आरोप हटा दिए जाएं ताकि वह अपनी जिंदगी के साथ आगे बढ़ सकें. उन्होंने यह भी कहा कि मी टू का इस्तेमाल महिलाओं के लिए होने की बजाय पुरुषों के खिलाफ हो रहा है. पीड़ितों को ताकत और संभालने की बजाय ग्लैमराइज किया जा रहा है.

मिलेट फ्रांस में यौन शोषण के खिलाफ नए सख्त कानून के खिलाफ हैं. इसकी बजाय उनका कहना है कि सभी महिलाओं को उन पुरुषों के खिलाफ चिखना चिल्लाना चाहिए जो पेरिस की मेट्रो में उन्हें छूने की कोशिश करते हैं. मिलेट ने कहा, "मैं जब जवान थी तब यह मेरे साथ भी हुआ. अब तो मेरी उतनी उम्र नहीं रही लेकिन मैं ऐसा करने वालों पर चीखूंगी और अगले मिनट इसे भूल जाउंगी."

मिलेट का मानना है, "नारीवादियों को महिलाओं को ताकतवर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, अपने आप को जीवनभर के लिए चोट मत पहुंचाइये. यह आपकी गलती नहीं है."

एनआर/ओएसजे (एएफपी)