क्या सोची में लहराएगा तिरंगा
३० दिसम्बर २०१३भारत के विश्वस्तरीय शीतकालीन खिलाड़ी शिव केशवन ल्यूज रेस में हिस्सा लेते हैं जो स्लेज पर लेट कर बर्फ पर होने वाली रेस है. अपने स्लेज पर जब केशवन बर्फीली ढलान पर धड़धड़ाते हुए नीचे फिसलते हैं तो सभी देखते रह जाते हैं. चार बार सर्दियों के ओलंपिक में हिस्सा ले चुके केशवन बर्फ पर आने वाली बाधाओं को अच्छी तरह पहचानते हैं और उनका सामना भी बखूबी जानते हैं. मगर एक बार फिर वह अपने करियर में आने वाली इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं जिसका हल उनके हाथ में नहीं है.
केशवन 1998 में 16 साल की उम्र में जापान में हुई प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा लेने उधार ली हुई स्लेज, बड़े साइज के जैकेट और जूतों के साथ पहुंचे थे. 2010 के वैंकूवर विंटर ओलंपिक में वह तब भाग ले पाए जब उनके लिए भारतीय वकीलों के एक क्लब ने मिलकर नया स्लेज खरीदने के पैसे जुटाए. इस बार 2014 के सोची खेलों के लिए भी फ्रीडा पिंटो जैसे बॉलीवुड सितारों की मदद से वह तैयार तो हैं लेकिन सबसे बड़ी चिंता है कि क्या वह खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे.
भारत के लिए जगह नहीं
अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने एक साल पहले भारत की सदस्यता निलंबित कर दी थी जब राष्ट्रीय समिति ने भारतीय संस्था ने दागी उम्मीदवारों को अहम पद पर चुना. इनमें भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव ललित भनोट भी हैं, जिन पर 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में भष्टाचार के आरोप लगे थे. वह जेल में भी वक्त बिता चुके हैं.
इस साल दिसंबर के शुरू में भारतीय ओलंपिक संघ ने आपसी सहमति से संविधान में बदलाव लाने, सभी दागी अधिकारियों को बाहर करने और फिर से चुनाव कराने का निर्णय किया. समस्या ये खड़ी होती है कि चुनाव नौ फरवरी से पहले नहीं होंगे, जबकि सोची में खेल सात फरवरी को ही शुरू हो रहे हैं. अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने पहले ही साफ कर दिया है कि जब तक नए अधिकारियों का चुनाव नहीं हो जाता वह भारत को शामिल नहीं करेंगे.
अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थोमास बाख ने कहा है कि केशवन और उनके तीन और भारतीय साथियों को प्रतियोगिता में भाग लेने से तो नहीं रोका जाएगा लेकिन वो भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएंगे. इन सभी खिलाड़ियों को 'ओलंपिक ध्वज के अधीन स्वतंत्र एथलीट' की हैसियत से हिस्सा लेना होगा. बाख ने 10 दिसंबर को कहा, "भारतीय एथलीट अगर क्वालिफाई करते हैं तो विंटर खेलों में हिस्सा ले सकेंगे लेकिन सोची के पहले अगर चुनाव कराके अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्वीकृति नहीं ली जाती है तो सोची खेलों में भारत का राष्ट्रीय ध्वज नहीं दिखाई देगा, भारत का कोई जिक्र ही नहीं होगा."
हिमालय का हीरो
अभी जापान में ट्रेनिंग कर रहे केशवन उम्मीद कर रहे हैं कि सोची ओलंपिक के शुरू होने से पहले समस्या सुलझ जाएगी और वह एक भारतीय एथलीट की हैसियत से खेलों में हिस्सा ले पाएंगे. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में केशवन ने कहा, "किसी खिलाड़ी के लिए अपने देश की तरफ से खेलने से बड़ी खुशी कोई हो ही नहीं सकती."
अब 32 साल के हो चुके केशवन 2011 और 2012 के एशियाई चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन किया है और उसे जारी रखते हुए इस साल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता. इससे ये उम्मीदें और बढ़ गई हैं कि केशवन सोची खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी बन सकते हैं.
हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव में जन्मे केशवन का क्षेत्र बर्फ के खेलों का एक प्रमुख केंद्र रहा है. उनकी मां इतावली हैं, जबकि पिता भारतीय. पर उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया, "मुझे इटली की ओर से नागरिकता लेने का प्रस्ताव आया था लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं एक भारतीय हूं और मैं अपना जीवन यहीं बिताना चाहता हूं."
आरआर/एजेए (एएफपी)