क्या है बाल विवाह की कीमत
कम उम्र में बच्चों की शादी की कुप्रथा के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ही प्रभावित नहीं होता बल्कि इससे पूरे समाज और देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है. देखिए समाज को कितना महंगा पड़ता है बाल विवाह.
घट सकती है गरीबी
भारत जैसे विकासशील देशों को बाल विवाह के कारण सन 2030 तक कई खरब डॉलर का नुकसान उठाना होगा. विश्व बैंक के अनुसार, यह कुप्रथा गरीबी मिटाने के वैश्विक प्रयासों की राह में एक बहुत बड़ी रुकावट है. केवल इसे रोकने भर से राष्ट्रीय आय में औसतन एक फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
हर 2 सेकंड में, 1 बालिका वधू
इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वीमेन के अनुसार, हर साल 1.5 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो रही है. यानि हर दो सेकंड में एक नाबालिग लड़की की शादी होती है. नाइजर में 77 फीसदी जबकि बांग्लादेश में 59 फीसदी है बाल विवाह का आंकड़ा.
सुधरेगा लड़की का जीवन
बाल विवाह पर रोक से तेजी से हो रही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी. इससे लड़कियों का स्कूल छूटने में कमी आयेगी और उनकी कमाई के स्तर में भी सुधार आ सकता है. बाल विवाह के कारण महिलाओं की आय औसतन 9 फीसदी कम हो जाती है.
काफी नहीं है गिरावट
जागरुकता और सक्रिय प्रयासों के चलते विश्व भर में बाल विवाह की दर में कमी तो आयी है. लेकिन चूंकि जनसंख्या उससे भी ज्यादा तेज दर से बढ़ती जा रही है, इसलिए बाल वधुओं की संख्या भी बढ़ी है. जनसंख्या दर में कमी आने से देश के शिक्षा बजट में भी 5 फीसदी से अधिक की बचत होगी.
बच्चों की पैदाइश
जिन महिलाओं की शादी जल्दी होती है उनके बच्चे भी जल्दी पैदा होने की संभावना रहती है. बांग्लादेश का उदाहरण लें, तो केवल बाल विवाह रोकने भर से देश की प्रजनन दर 18 फीसदी कम की जा सकती है.
देश होगा अमीर
कम जनसंख्या वृद्धि का सीधा संबंध विकासशील और गरीब देशों की जीडीपी में बढ़ोत्तरी और समृद्धि से पाया गया है. अगर 2015 में बाल विवाह रुक गया होता, तो नेपाल जैसे देश को हर साल करीब एक अरब डॉलर की बचत होती.
बाल मृत्युदर और विकास
कम उम्र की मांओं के बच्चों में कुपोषण के कारण जान जाने या विकास बाधित होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है. 5 साल से कम उम्र में मरने वाले हर 100 में से तीन बच्चों की मांएं कम उम्र की होती हैं. अगर इस आयु वर्ग के बच्चों को बचाया जा सके तो 2030 तक पूरे विश्व को इससे सालाना 98 अरब डॉलर का फायदा होगा. (ऋतिका पाण्डेय)