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समाज

टैक्सी ड्राइवर घर पहुंचाने की जगह जेल पहुंचा दे, तो..?

७ फ़रवरी २०२०

एक उबर ड्राइवर ने टैक्सी में सवार यात्री की फोन पर बातचीत सुनकर ये फैसला ले लिया कि वो 'देश बर्बाद' करने की मंशा रखता है और टैक्सी को पुलिस स्टेशन के बाहर रोक कर पुलिस को ले आया.

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Indien | Jharkhand | Protest von Muslimischen Frauen
तस्वीर: DW/A. Ansari

देश के अलग अलग हिस्सों में लगभग दो महीनों से नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच, मुंबई में एक अजीबोगरीब घटना घटी. एक उबर ड्राइवर ने टैक्सी में सवार यात्री की फोन पर बातचीत सुनकर ये निर्णय ले लिया कि वो  'देश बर्बाद' करने की मंशा रखता है और टैक्सी को पुलिस स्टेशन के बाहर रोक कर उस यात्री को जेल में भेजने के लिए पुलिसकर्मियों को भी ले आया. 

इसकी जानकारी जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने ट्विटर पर दी. जयपुर में रहने वाले कवि और सामाजिक कार्यकर्ता बप्पादित्त्य सरकार मुंबई में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेने गए थे. एक रात कहीं जाने के लिए उबर में बैठकर उन्होंने अपने एक मित्र को फोन लगाया और उनसे अलग अलग शहरों में हो रहे प्रदर्शन, दिल्ली के शाहीन बाग, लाल सलाम और उन्हें गृह शहर जयपुर में विरोध प्रदर्शनों को और असरदार बनाने जैसे विषयों पर बात करने लगे. 

थोड़ी दूर जाकर उबर चालक ने अचानक टैक्सी रोक दी और उनसे पूछा कि अगर उनकी इजाजत हो तो क्या वो एटीएम चला जाए. सरकार ने इजाजत दे दी तो वह चला गया लेकिन थोड़ी ही देर के बाद दो पुलिसकर्मियों को लेकर लौटा. तब सरकार को एहसास हुआ कि चालक ने बिना उन्हें बताए टैक्सी पुलिस स्टेशन के बाहर रोक दी थी और उनके खिलाफ पुलिस से शिकायत कर दी थी. उनके अनुसार चालाक ने पुलिस को कहा कि वो उन्हें जेल में डाल दे क्योंकि "ये देश जलाने की बात कर रहा है, बोल रहा है मैं कम्युनिस्ट हूं, हम मुंबई में बाग बना देंगे, मेरे पास पूरी रिकॉर्डिंग है". 

इतना ही नहीं, चालक ने पुलिस के सामने सरकार को सीधे धमकी देते हुए कहा, "तुम देश बर्बाद कर दोगे और हम देखते रहेंगे? मैं कहीं और ले जा सकता था तुझे, शुक्र मना पुलिस स्टेशन ले आया हूं". 

सरकार की किस्मत शायद अच्छी थी कि वे पुलिसकर्मी उस उबर चालक की तरह अति उत्साही नहीं निकले. उन्होंने सरकार और चालक दोनों से ही पूछताछ की और मामले में कुछ दम न महसूस करते हुए उन दोनों को जाने दिया. हां, छोड़ने से पहले पुलिसकर्मियों ने सरकार को हिदायत जरूर दी कि उन्हें अपने साथ में डफली ले कर नहीं चलना चाहिए और लाल मफलर नहीं पहनना चाहिए क्योंकि "अभी माहौल खराब है, कुछ भी हो सकता है". 

कृष्णन कहती हैं ये वाकया डरा देने वाला है क्योंकि इसका मतलब ये है कि कल आपकी आपके पड़ोसी के साथ बहस पर, या आपके बॉस या किसी कर्मचारी के साथ बहस पर, या किसी ड्राइवर या किसी यात्री के साथ बहस की वजह से आपको देश के लिए खतरा बताया जा सकता है और जेल के कगार तक पहुंचा दिया जा सकता है. 

ट्विटर पर लेखिका राणा सफवी ने लिखा कि जब एक मासूम बातचीत को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगेगा और उबर के चालक आपको आपके घर पहुंचाने की जगह सीधा पुलिस स्टेशन पहुंचाने लगेंगे तो हम किस तरफ बढ़ रहे हैं ये सोच कर हमें घबराना चाहिए. 

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि इस बात का संकेत है कि टीवी चैनलों और व्हाट्सएप्प के जरिये हो रहे प्रोपेगंडा से कितना नुकसान हो रहा है. 

ये मामला कुछ कुछ अप्रैल 2018 में घटी एक और घटना की याद दिलाता है. एक टैक्सी यात्री ने लोगों का खूब ध्यान खींचा था. उसने ट्विटर पर लिखा कि जब उसे पता चला कि जो ओला टैक्सी उसने बुक की है उसका चालक मुस्लिम है तो उसने बुकिंग रद्द कर दी. उस मामले में एक टैक्सी चालक का बिना उसकी किसी गलती के नुकसान हो गया था और इस मामले में एक टैक्सी यात्री बिना किसी जुर्म के जेल जाते जाते बचा.

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