"खाद्य सुरक्षा का खर्च झेल लेंगे"
२७ अगस्त २०१३सोमवार को जब बिल पास किया गया, तो अगली सुबह यानी मंगलवार को रुपये ने एक और गोता लगाया और एक डॉलर की कीमत 65 रुपये से भी ज्यादा हो गई. इसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ा और वह भी झुकने लगा. लेकिन सरकार का कहना है कि इन बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं क्योंकि भारत सरकार वित्तीय लिहाज से खाने की सुरक्षा देने वाले इस बिल का खर्च सह सकती है.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है, "खाद्य सुरक्षा बिल पर खर्च के बाद भी हम उसी सीमा के अंदर रहेंगे, जो हमने बजट में तय किया है." भारत में खाने पीने पर सब्सिडी के लिए 90 अरब रुपये का बजट है. सरकार ने नई स्कीम के लिए 230 अरब रुपये अतिरिक्त खर्च करने की बात कही है.
खत्म होगी भुखमरी
योजना है कि इसके साथ ही भारत से भुखमरी और कुपोषण को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. लोकसभा में बिल पास हो गया है. अब इसे राज्यसभा में पास कराना होगा, जिसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने पर यह कानून का रूप ले लेगा.
जाने माने अर्थशास्त्री चिदंबरम ने भारत की खस्ता होती वित्तीय स्थिति के बावजूद विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है. हाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है कि खाद्य सुरक्षा बिल पर बहुत ज्यादा खर्च से सरकार का कर्ज बढ़ सकता है.
बार्कलेज कैपिटल के सिद्धार्थ सान्याल का कहना है, "रुपये की स्थिति अभी भी डांवाडोल है. खाद्य बिल से सरकार पर बोझ और बढ़ेगा." रुपया इस साल एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा साबित होती जा रही है. एक तरफ जहां अमेरिकी अर्थव्यवस्था बेहतर होती जा रही है, भारत का रुपया गिरता जा रहा है.
चिदंबरम ने उम्मीद जताई है कि "अगले एक दो दिनों में" खाद्य सुरक्षा बिल राज्यसभा से पास हो जाएगा, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. कांग्रेस पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी ने संसद में कहा कि खाद्य बिल "दुनिया को यह संदेश देगा कि भारत अपने सभी नागरिकों की जिम्मेदारी लेता है."
चुनावी चाल तो नहीं..
लगभग नौ घंटों की बहस के बाद लोकसभा में इस बिल को पास कर दिया गया. हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह कांग्रेस की चुनावी चाल है. बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी का कहना है, "यह फूड सिक्योरिटी बिल नहीं, वोट सिक्योरिटी बिल है." भारत में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं. नए कार्यक्रम के मुताबिक आबादी के लगभग 70 फीसदी हिस्से यानी 80 करोड़ लोगों को इस बिल से फायदा पहुंचेगा.
पिछले दशक में जबरदस्त आर्थिक विकास के बावजूद भारत की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा भुखमरी और कुपोषण का शिकार है. पिछले साल हुए सर्वे के अनुसार 40 प्रतिशत भारतीय बच्चे कुपोषण झेल रहे हैं.
वैसे भारत में दुनिया की सबसे बड़ी जनवितरण प्रणाली है, जहां करोड़ों लोगों को खाने पीने पर सब्सिडी दी जाती है. लेकिन ताजा बिल के हिसाब से लोगों को सस्ते दर पर अनाज मिल सकेगा.
एजेए/एमजे (एएफपी)