खेल के क्षेत्र में ‘सेक्सटॉर्शन’ बनी बड़ी समस्या
३ जून २०२२ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट ने खेल क्षेत्र के भीतर तेजी से बढ़ते "सेक्सटॉर्शन" के मामले को चिंताजनक समस्या के तौर पर उजागर किया है. भ्रष्टाचार के मामलों की निगरानी करने वाली यह संस्था रोमानिया, मेक्सिको, जिम्बाब्वे और जर्मनी पर नजर बनाए हुए है. जर्मनी के एथलीटों के बीच किए गए सर्वेक्षण में तीन में से एक रिपोर्ट में, संस्था ने संगठित खेल में यौन हिंसा की कम से कम एक स्थिति का अनुभव किया.
जिमनास्टिक और फुटबॉल जैसे खेलों में भी हाल के कई हाई-प्रोफाइल मामलों ने यौन शोषण की बढ़ती समस्या को रेखांकित किया है. जबकि, खेल के क्षेत्र के भीतर इस समस्या से जुड़े काफी सारे मामलों की रिपोर्ट ही नहीं की जाती है.
सामान्य तौर पर, अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर किसी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना सेक्सटॉर्शन कहलाता है. यह यौन शोषण और भ्रष्टाचार दोनों का मिला-जुला रूप है. हालांकि, इस परिभाषा को अभी तक पूरी तरह मान्यता नहीं मिली है.
शक्ति संतुलन के बीच बड़ा फासला
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल में शोध प्रमुख मैरी चेन ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैंने जो पाया वह आश्चर्यजनक है. खेल क्षेत्र सेक्सटॉर्शन की समस्या को बनाए रखने के लिए सभी जरूरी मौके उपलब्ध कराता है. इस क्षेत्र में अलग-अलग लोगों की शक्ति के बीच काफी ज्यादा फासला है. कई सारे ऐसे बच्चे हैं जो काफी कमजोर स्थिति में हैं. खेल की प्रकृति के कारण कोच और एथलीट के रिश्ते काफी ज्यादा करीबी, भावनात्मक और शारीरिक होते हैं.”
वह आगे कहती हैं, "ये ऐसे रिश्ते होते हैं जहां कुछ मामलों में आपके करियर को बनाने या बर्बाद करने की शक्ति होती है. यहां की प्रशासनिक व्यवस्था काफी सामान्य और कमजोर होती है. इस वजह से स्थिति कभी-कभी विस्फोटक बन जाती है.”
सेक्सटॉर्शन की नई परिभाषा की वजह से, इस मामले को लेकर जो रिपोर्ट बनती है वह खेल के भीतर यौन शोषण के दर्ज किए गए आंकड़ों पर निर्भर करती है. दुनिया भर के सभी खेलों में यौन शोषण के ये मामले दर्ज किए गए हैं. इसके बावजूद, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने खेल क्षेत्र के भीतर सेक्सटॉर्शन की जांच करने का फैसला किया. संस्था का मानना था कि इस क्षेत्र में इतनी शक्ति है कि हालात बदल सकते हैं.
चेन कहती हैं, "हमारा मानना है कि खेल क्षेत्र को सामाजिक मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. सैद्धांतिक रूप से, खेल सामाजिक न्याय कायम करने को लेकर है. इसका मिशन निष्पक्ष रूप से योग्य लोगों को मौका देने का है.”
वह आगे कहती हैं, "अगर खेल में यौन शोषण हो रहा है, तो यह इस क्षेत्र के मिशन को कमजोर करता है. खेल स्पष्ट तौर पर दिखता है. अगर हमें इस मुद्दे को भी साफ तौर पर लोगों को दिखाना है और सेक्सटॉर्शन को भ्रष्टाचार के तौर पर मान्यता दिलानी है, तो हमें लगता है कि खेल क्षेत्र इसके लिए अच्छा माध्यम हो सकता है.”
कई मामलों से जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं उनसे यह पता चलता है कि सिर्फ महिला ही नहीं, बल्कि पुरुष भी सेक्सटॉर्शन से पीड़ित थे.हालांकि, रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि अध्ययन से लगातार यह साबित हुआ है कि यौन शोषण के मामलों में ज्यादातर अपराधी पुरुष हैं.
लैंगिक असमानता
अलग-अलग अध्ययनों से यह पता चला कि दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों का अनुपात 96 से 100 फीसदी के बीच था. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इसकी आलोचना करते हुए इसे ‘अति-मर्दाना संस्कृति' कहा. इस समस्या के बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं. जैसे, संगठन के शीर्ष स्तर पर महिलाओं की संख्या कम होना, महिला एथलीटों को कम वेतन मिलना, लैंगिक असमानता वगैरह.
चेन कहती हैं, "महिलाओं के खेल को पुरुषों के खेल के बराबर महत्व नहीं दिया जाता है. लिंग के आधार पर वेतन में काफी ज्यादा अंतर है. नेतृत्व और प्रशासनिक भूमिका में महिला एथलीटों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है.”
वह आगे कहती हैं, "यह 'ओल्ड बॉयज नेटवर्क' है, जहां बूढ़े लोग दशकों तक सत्ता में बने रहते हैं. यथास्थिति को बदलने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता. इसलिए, सिस्टम पहले की तरह ही बना रहता है.”
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल जर्मनी में वर्किंग ग्रुप ऑन स्पोर्ट की अध्यक्ष सिल्विया शेंक ने एक बयान में कहा, "चीन के पेंग शुआई से अमेरिका की काइली मैकेंजी तक, ये ऐसी खिलाड़ी हैं जिनके पास अब करियर में आगे बढ़ने का मौका नहीं है. पिछले साल 2021 के नवंबर में देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री झांग गाओली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वालीटेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई ने बाद में अपने आरोपों को वापस ले लिया. वहीं, दूसरी ओर काइली मैकेंजी ने एसोसिएशन की तरफ से नियुक्त किए गए कोच पर लंबे समय तक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. कई अन्य लोगों को भी सेक्सिस्ट और शोषण करने वाले सिस्टम का खामियाजा भुगतना पड़ा.”
खेल के क्षेत्र में इस समस्या को खत्म करने और बदलाव लाने को लेकर जर्मन ओलंपिक स्पोर्ट्स कॉन्फेडरेशन (डीओएसबी) ने 2010 में खेल में यौन हिंसा से सुरक्षा के लिए म्यूनिख में जारी घोषणापत्र को अपनाने का वादा किया. हालांकि, डीओएसबी ऐसा करने में सफल नहीं हो सका.
घोषणापत्र में 15 उपायों पर ध्यान देने की बात कही गई है. उनमें से एक, खेल योग्यता में अनिवार्य विषय के रूप में यौन हिंसा की रोकथाम और आचार संहिता को अपनाना शामिल है. नौ साल बाद, एक अध्ययन से पता चला कि देश के आधे से भी कम राष्ट्रीय खेल संघों के कानून में यौन शोषण की रोकथाम विषय शामिल है.
सबसे जरूरी रोकथाम
इस अध्ययन के नतीजे सामने आने के बाद, डीओएसबी ने एक नीति पेश की. इस नीति के तहत यह शर्त लागू की गई है कि अगर खेल संघों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद चाहिए, तो उन्हें रोकथाम के उपायों को अपनाना होगा.
वहीं दूसरी ओर, खेल संगठनों के प्रति शिकायत दर्ज कराने को लेकर बेहतर सिस्टम की कमी की वजह से भी यौन शोषण के मामलों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है और इसकी रोकथाम में समस्या आ रही है.
शेंक ने अपने बयान में कहा, "दुर्व्यवहार को रोकने के लिए, खेल संगठनों और सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए. बचाव का सबसे सही तरीका यह है कि दुर्व्यवहार होने से पहले ही उसे रोक दिया जाए. इसके लिए, पारदर्शी संस्कृति और रोकथाम के लिए मजबूत ढांचे का निर्माण करना होगा. साथ ही, सेक्सटॉर्शन और यौन शोषण से जुड़े दूसरे मामलों के साथ-साथ लैंगिक भेदभाव रोकने के लिए जागरूकता फैलानी होगी.
तोड़नी होगी चुप्पी
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में सिफारिशों की एक श्रृंखला शामिल है. संस्था ने पहली बार सेक्सटॉर्शन के संबंध में रोकथाम पर जोर दिया है. इसमें लंबी अवधि वाले कई सुझाव भी शामिल हैं, लेकिन चेन का कहना है कि हालात बदलने के लिए तत्काल तेजी से बदलाव की जरूरत है.
वह कहती हैं, "हमने शोध के दौरान बहुत सारी डरावनी कहानियां सुनी हैं. कई लोगों के सपने टूट गए. यह सिर्फ यौन शोषण का ही मामला नहीं है, बल्कि इस बारे में भी है कि यौन शोषण की रिपोर्ट किस तरह सामने आ रही है और पीड़ितों को कैसे चुप कराया जा रहा है.”
चेन ने एक बयान में कहा, "अब खेल में सभी तरह के दुर्व्यवहार के लिए चुप्पी तोड़ने और माफ करने की संस्कृति को बदलने का समय आ गया है. खेल संगठनों, सरकारों और नागरिक समाज को दुर्व्यवहार के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए. खेलों में सेक्सटॉर्शन को रोकने के लिए काम करना चाहिए.”