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गाड़ी का घमंड और साइकिल की शालीनता

ओंकार सिंह जनौटी
३ जून २०२०

साइकिल चलाना सेहत और पर्यावरण के लिए तो अच्छा है ही, इसके साथ ही साइकिल इंसान को विनम्र बनाए रखने में मदद करती है.

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तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Klein

जरा सोचिए कि आपको 50 किलोमीटर दूर जाना है. आपका टू व्हीलर या फोर व्हीलर वाहन एकदम फिट है. तेल की टंकी फुल है. ऐसे में हर किसी को लगता कि ये कौन सी बड़ी बात है. ये तो चुटकियों की बात है. जल्दी पहुंचना होगा तो गाड़ी की रेस बढ़ा दी जाएगी. ज्यादा से ज्यादा एक-दो घंटे में दूरी पूरी हो जाएगी.

अब इसी फासले को साइकिल से तय करने के बारे में सोचिए. सबसे पहले आपको ये देखना होगा कि शरीर 50 किलोमीटर साइकिल चलाने के लिए तैयार है या नहीं. फिर मौसम, यानि सेकेंडों के भीतर आपको अहसास हो जाएगा कि आप कई दूसरे कारकों पर निर्भर हैं.

इसके बाद आपको अपना बैग अच्छे से पैक करना होगा, उसमें एक पानी की बोतल जरूर रखनी होगी. अच्छे से साइकिल की हवा, चेन और उसके ब्रेक चेक करने होंगे. और बिना लेट लतीफी किए सही समय पर निकलना होगा.

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इसके साथ ही यात्रा के दौरान आपको साइकिल एकदम सड़क के किनारे पर चलानी होगी. रास्ता खराब हुआ तो गड्ढों से बचना होगा. इस दौरान आप लगातार ये उम्मीद करते रहेंगे कि रास्ते में टायर पंचर न हो जाए, बहुत चढ़ाई न आए, तेज गर्मी, ठंड, बरसात या आंधी से सामना न हो.

आधे घंटे तक पैडल मारते मारते आपका शरीर हल्का थकने लगेगा. लेकिन तब तक आप ऐसी कई चीजें देख चुके होंगे जिन्हें आप गाड़ी पर सवार होकर कभी नहीं देख पाए. कहीं प्रकृति, खेत खलिहान तो कहीं इंसान की नासमझी के नमूने.

रास्ते में आप ब्रेक लेने पर सबसे पहले अपना पसीना पोछेंगे. दो घूँट पानी पिएंगे. बहुत लंबे समय बाद आपको पानी की अहमियत का अहसास होगा. इसी दौरान आप अपनी साइकिल चेक करेंगे. टांगों को आराम देंगे. और बड़ी शालीनता से पूछेंगे कि खाने या पीने को क्या कुछ मिल सकता है. आपके दिमाग में दुनियादारी नहीं बल्कि आगे का रास्ता कैसे तय होगा, ये सवाल हावी रहेंगे.

कोरोना संकट के दौरान साइकिल सीखते लोग

पीछे जो देखा या आगे जो दिखेगा उसके बारे में स्थानीय लोगों से पूछने के लिए आपके पास सवाल होंगे. जिज्ञासा होगी. मंजिल पर पहुंचने के बाद आपके भीतर, आगे क्या किया जाए जैसी ख्वाहिश नहीं रहेगी. बल्कि आप आज जो कुछ हुआ उसे समेटते हुए उन सब बातों को शुक्रगुजार होंगे, जिन्होंने आपको यहां तक पहुंचाने में मदद की.

गाड़ी का तेज रफ्तार सफर ऐसे मौके नहीं देता है. मोटर की ताकत लगातार आपको यकीन दिलाती है कि आप, दूसरों से कोई मतलब नहीं रखते हुए भी, जहां चाहे वहां पहुंच सकते हैं. साइकिल इसका उल्टा करती है. आपको इन बातों का अहसास हो या ना हो, लेकिन साइकिल धीरे घीरे आपको ये सब सिखा देगी, वो भी पर्यावरण की मदद करते हुए.

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