'ग्रैमी अवार्ड से सरोद की लोकप्रियता बढ़ेगी'
२४ जनवरी २०१०उस्ताद अमजद अली ख़ान ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि अगर मेनस्ट्रीम संगीत में सरोद को स्थान मिलता है तो उन्हें बेहद ख़ुशी होगी."मैं चाहता हूं कि सरोद गिटार और वायलन जितना ही लोकप्रिय हो. अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे उचित स्थान दिया जाना चाहिए."
अमजद अली ख़ान का कहना है कि वह सिर्फ़ लोगों में प्रसिद्धी पाने के इरादे से सरोद नहीं बजाते. "अन्य कलाकारों की अपेक्षा वह किसी भेड़चाल में नहीं है और न ही नंबर एक बने रहने की उनकी कोई इच्छा है. यह सम्मान के साथ की जा रही एक यात्रा है. कुछ उस तरह जैसे एक हाथी मदमस्त होकर चलता है. मेरे लिए संगीत का अर्थ पूरी तरह से समर्पण, भक्ति और लगन है."
64 साल के उस्ताद अमजद अली ख़ान ने संगीत के गुर अपने पिता और गुरू हाफ़ीज़ अली ख़ान से सीखे हैं. वह कहते हैं कि ग्रैमी पुरस्कारों के लिए शॉर्टलिस्ट हो जाने से वह भी एक दौड़ का हिस्सा हो गए हैं. लेकिन ख़ुद वह कभी किसी दौड़ में शामिल नहीं हुए. ग्रैमी के लिए नामांकित हो जाने के बाद भी उनकी ज़िंदगी में कोई परिवर्तन नहीं आया. "मुझे ग्रैमी मिले या न मिले इससे मेरी ज़िंदगी पर कोई असर नहीं पड़ेगा."
उनका मानना है कि ग्रैमी मिलना सम्मान का विषय होगा. "सम्मान सम्मान ही होता है. और अगर यह किसी दूसरे देश से मिले तो उसके मायने और बदल जाते हैं. फिर यह पूरे देश के लिए सम्मान की बात हो जाती है."
एन्शियन्ट साउन्ड नाम की अलबम को उस्ताद अमजद अली ख़ान ने इराक़ के संगीतकार रहीम अलहाज के साथ मिलकर तैयार किया था और इसे 'बेस्ट ट्रेडिशनल वर्ल्ड म्यूज़िक अलबम' के वर्ग में ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है. इन पुरस्कारों की घोषणा 31 जनवरी को होनी है. उस्ताद अमजद अली ख़ान को 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़