घायल यूरोपीय संघ का 60वां जन्मदिन
२४ मार्च २०१७पहले कहा गया कि मौजूदा संकटों से यूरोपीय संघ कैसे बाहर निकलेगा. अब पूछा जा रहा है कि क्या यूरोपीय संघ खुद को बचा पाएगा. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फ्रांस और जर्मनी ने यूरोप में लड़ाई को खत्म करने के इरादे से एक संघ बनाया. मार्च 1957 में रोम की संधि हुई और यूरोपीय संघ अस्तित्व में आया. 1970 में खाड़ी के ऊपजे तेल संकट के दौरान भी ईयू स्थिर रहा. शीत युद्ध की उथल पुथल के बावजूद यूरोप अंदरूनी तौर पर शांत बना रहा. धीरे धीरे नए सदस्य जुड़ते गए. वीजा मुक्त आवाजाही होने लगी. एक साझा मुद्रा का सपना साकार हुआ.
लेकिन 60वीं वर्षगांठ आते आते यूरोपीय संघ कमजोर दिखने लगा है. कुछ हद तक इस संकट की शुरुआत 2008 की वैश्विक मंदी से शुरू हुई. 2011 के अरब वंसत ने मुश्किल में नया अध्याय जोड़ा. यूक्रेन के संकट ने कोढ़ में खुजली का काम किया. रही सही कसर ब्रेक्जिट और डॉनल्ड ट्रंप की जीत ने पूरी कर दी.
अब यूरोपीय संघ शरणार्थी संकट, आतंकवाद, पॉपुलिज्म, आर्थिक स्थिति और नए वैश्विक समीकरणों का सामना कर रहा है. जाहिर है ऐसे में संघ के भविष्य को लेकर कानाफूसी होने लगी है. कार्नेगी यूरोप के विजिटिंग स्कॉलर श्टेफान लेने कहते हैं, "सिर्फ एक बड़ा संकट नहीं है बल्कि कई छोटी और गंभीर चुनौतियां हैं और मुझे लगता है कि इनसे हालात बदलेंगे." लेने को लगता है कि यूरोपीय संघ धीरे धीरे सिकुड़ने की राह पर है. रोमन साम्राज्य से यूरोपीय संघ की तुलना करते हुए वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि रोमन साम्राज्य राजनीतिक रूप से मरने के बाद भी कुछ सौ साल तक चलता रहा."
शनिवार को यूरोपीय संघ का 60वां जन्मदिन मनाने के लिए रोम में जमा नेताओं के सामने कई सवाल हैं. लक्जमबर्ग यूनिवर्सिटी के फ्रेडेरिक आलेमांड कहते हैं, "हम आज जिस संकट का सामना कर रहे हैं वह मूल रूप से यूरोपीय प्रोजेक्ट का सवाल है. साफ तौर पर शांति इसका सबसे अहम बिंदु है लेकिन इसके अलावा यह भी देखना होगा कि यूरोप में हम कैसा सामाजिक और आर्थिक मॉडल चाहते हैं."
2007 से लेकर अब तक यूरोपीय संघ को लगातार झटके ही लग रहे हैं. ग्रीस, पुर्तगाल, इटली और आयरलैंड जैसे देश बुरी तरह कर्ज संकट से गुजर चुके हैं. ग्रीस की जर्मनी ने मदद की लेकिन कड़ी शर्तों के साथ. वहीं सीरिया और यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय संघ और रूस बिल्कुल आमने सामने खड़े हैं. 2015 और 2016 में 14 लाख शरणार्थी यूरोप पहुंचे. इनमें से ज्यादा सीरिया से आए. पूर्वी यूरोप के देश शरणार्थी संकट के लिए जर्मनी की नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. खुद यूरोपीय आयोग के प्रमुख जॉं क्लोद युंकर कह चुके हैं कि, "मैंने पहले कभी हमारी यूनियन में इस तरह का विखंडन और इतनी कम एकरूपता नहीं देखी."
यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स को लगता है कि ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यूरोपीय संघ एक बार फिर मजबूत संघ के रूप में सामने आएगा. लेकिन उससे पहले फ्रांस और जर्मनी में चुनाव होने हैं. फ्रांस में अगर अति दक्षिणपंथी नेता मारी ले पेन सत्ता के करीब पहुंच गईं तो ईयू की मुश्किल बेकाबू सी हो जाएगी. लेकिन इन सबके बावजूद कई विशेषज्ञों को लगता है कि 60 साल की शांति और सहयोग इस बाधाओं से जीत जाएंगे. बेल्जियम की गेंट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेंड्रिक फोस कहते हैं, "दलदल से निकलने का यह कोई बहुत असरदार और खूबसूरत तरीका नहीं है, लेकिन आप सरकते सरकते दलदल से बाहर निकल सकते हैं और यूरोपीय संघ भी ऐसे ही काम करता है."
(यूरोपियन यूनियन की टाइम लाइन)
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)