चीन अमेरिका में मीठी मीठी बातचीत
५ सितम्बर २०१२हिलेरी क्लिंटन और चीनी विदेश मंत्री यांग जिएची ने बातचीत के बाद एक दूसरे की तारीफ के पुल बांध दिए. हालांकि चीन के लिए रवाना होने से पहले क्लिंटन के सुर कुछ और थे. इंडोनेशिया की यात्रा के बाद उन्होंने चीन को दक्षिण सागर विवाद के हल के लिए बहुदलीय हल निकालने की सलाह दी थी. क्लिंटन ने सफाई देते हुए कहा कि इन मतभेदों से चीन के साथ सहयोग पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. "मुझे हमारे संबंधों में बनी मजबूती और इसके लचीलेपन पर गर्व है. इससे हम किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं साथ ही खुले मन और सही तरीके से बहस कर सकते हैं."
उधर चीनी विदेशी मंत्री यांग ने भी सार्वजनिक तौर पर मतभेद दिखने नहीं दिए. "हम उम्मीद करते हैं कि चीन और अमेरिका सकारात्मक और व्यावहारिक संबंध बनाने के लिए काम करेंगे." चीन में आने वाले महीनों में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व में बदलाव होने वाला है जबकि अमेरिका में बराक ओबामा राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी में व्यस्त हैं.
लेकिन इस बातचीत के दौरान दोनों में से किसी ने दक्षिण चीन सागर के विवाद को हवा नहीं दी, जबकि इस मुद्दे पर अब तक दोनों टिप्पणी करते रहे हैं. चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकतर हिस्से पर अपना दावा करता है, जिसमें स्प्रैटली और पारासेल द्वीप भी शामिल हैं. इसी सागर में सीमा के मुद्दे पर वह वियतनाम, फिलीपीन्स और जापान से पूर्वी चीन सागर पर झगड़ चुका है.
उधर चीन के सरकारी अखबार पीपल्स डेली ने क्लिंटन से बातचीत के पहले चीन की चिंता जाहिर की थी और कहा कि अमेरिका जापान और दक्षिण एशियाई देशों के साथ चीन के विवाद से फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है. डियाओयू द्वीप और दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका का ताजा व्यवहार यह संदेह पैदा करता है कि वह इस विवाद को लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश में है. लंबे समय में अमेरिका की यह एशिया प्रशांत नीति कोई फल नहीं देगी.
चीन और जापान के बीच दियाओयू द्वीप पर और आस पास के मछली मारने वाले इलाकों पर विवाद है. यहां ईंधन के प्राकृतिक भंडार होने की भी संभावना है.
उधर क्लिंटन ने दोहराया कि अमेरिका सागर पर दावे के मुद्दे पर कोई पक्ष नहीं ले रहा लेकिन वह चाहता है कि चीन और दक्षिण एशियाई देशों को गंभीर विवादों से बचने के लिए एक तरीका अपनाना चाहिए. अमेरिका चीन से दूसरे अंतरराष्ट्रीय विवादों पर भी ज्यादा सहयोग चाहता है, इसमें उत्तर कोरिया और ईरान का परमाणु कार्यक्रम शामिल है. साथ ही सीरिया संकट का हल निकालने में भी उसे चीन के सहयोग की उम्मीद है.
चीन ने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रमों और सीरिया में किसी बाहरी ताकत के जाने का विरोध किया है. हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि सीरिया पर रूस और चीन के प्रतिरोध से अमेरिका की हताशा कोई राज की बात नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र की कड़ी कार्रवाई ही सबसे अच्छा उपाय है.
एएम/एमजे (डीपीए,रॉयटर्स)