चीन और पाकिस्तान से निपटने की तैयारी
३० दिसम्बर २००९हर पांच साल में इस सैन्य योजना की शिमला के ट्रेनिंग कमांड में समीक्षा होती है. नई योजना में किसी देश या फिर आतंकवादियों की तरफ़ से छेड़े जाने वाले युद्ध से निपटने के तौर तरीक़े शामिल है. इसके अलावा सेना और वायुसेना व नौसेना के साथ उसके साझा अभियानों की सामरिक पहुंच बढ़ाने की संभावना तलाशना भी योजना का हिस्सा है.
अधिकारियों ने बताया कि सेना की नई योजना पर चर्चा करने के लिए इसी हफ़्ते दिल्ली में एक सेमीनार कराया गया जिसमें कई थिंक टैकों के प्रतिनिधियों और रणनीतिक मामलों के जानकारों ने हिस्सा लिया. ट्रेनिंग कमांड ने युद्ध लड़ने के आधुनिक तरीक़ों में हो रहे बदलावों को भी नई सैन्य योजना में शामिल करने का काम शुरू कर दिया है. अधिकारियों के मुताबिक़, "समीक्षा चल रही है. लेकिन दस्तावेज़ को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है."
चीन और पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियों और योजनाओं के विश्लेषण के अलावा भारत अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में अमेरिका और नैटो के सैन्य अभियानों से भी अहम सबक़ ले रहा है. 2004 में पहली बार भारतीय सेना ने बाक़ायदा अपनी नई योजना तैयार की. इसके बाद से 11 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना ने कई युद्ध अभ्यासों में हिस्सा लिया है और अपनी रणनीतिक और सामरिक योजना को हर साल होने वाले तरह तरह के अभ्यासों के दौरान परखा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़