1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन के बड़े वैश्विक निगरानी तंत्र का खुलासा

चारु कार्तिकेय
१४ सितम्बर २०२०

एक चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी भारत में 10,000 से भी ज्यादा व्यक्तियों और संगठनों की लगातार निगरानी कर रही है, जिनमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ आदि शामिल हैं.

https://p.dw.com/p/3iQSZ
China Symbolbild Großmacht
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Dela Pena

भारत में एक चीनी कंपनी द्वारा चलाए जा रहे एक बड़े सर्विलांस अभियान का मामला सामने आया है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने एक लंबी जांच के बाद इसका खुलासा किया है. अखबार के अनुसार एक चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी भारत में 10,000 से भी ज्यादा व्यक्तियों और संगठनों की लगातार निगरानी कर रही है, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, कई केंद्रीय मंत्री, कई मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और रतन टाटा और गौतम अडानी जैसे बड़े उद्योगपति भी शामिल हैं.

अखबार का दावा है कि इस निगरानी अभियान को चलाने वाली कंपनी शेनहुआ डाटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी के चीन की सरकार और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध हैं. निगरानी के शिकार लोगों की सूची में कई बड़े अफसर, वैज्ञानिक और शिक्षाविद, पत्रकार, अभिनेता, खिलाड़ी, धार्मिक नेता, एक्टिविस्ट भी शामिल हैं. यही नहीं, वित्तीय अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और तस्करी के आरोपों के कई बड़े मामलों का सामना कर रहे कई अभियुक्तों पर भी नजर रखी जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आई कुछ खबरों में इस कंपनी को चीनी सरकार का एक सुरक्षा कॉन्ट्रैक्टर बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसने निगरानी का यह जाल पूरी दुनिया में फैला रखा था. इसके तहत कंपनी चीनी सरकार के लिए पूरी दुनिया में 24 लाख से भी ज्यादा लोगों की निगरानी कर रही थी. इनमें अमेरिका, यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और यूएई की कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि विएतनाम में एक प्रोफेसर क्रिस्टोफर बॉल्डिंग के साथ मिलकर एक सूत्र ने यह जानकारी कई मीडिया संगठनों के साथ साझा की, जिनमें इंडियन एक्सप्रेस के साथ साथ द ऑस्ट्रेलियन फाइनेनशिएल रिव्यू, इटली का इल फॉगलियो और लंदन का द डेली टेलीग्राफ शामिल हैं.

भारतीय अखबार के मुताबिक यह चीनी कंपनी खुद कहती है कि इस तरह डाटा इकट्ठा करने का उसका उद्देश्य है "हाइब्रिड वारफेयर", यानी असैन्य तरीकों के इस्तेमाल के जरिए प्रभुत्व हासिल करना या दूसरी ताकतों को नुकसान पहुंचाना है. कंपनी जिसकी भी निगरानी कर रही होती हैं उसके पूरे "डिजिटल फुटप्रिंट", यानि इंटरनेट पर उसके बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है, की निगरानी करती है और सारी जानकारी संजो कर रखती है.

इसके अलावा कंपनी यह जानकारी भी इकठ्ठा करती रहती है कि इन लोगों और संगठनों के किन दूसरे लोगों और संगठनों के साथ संबंध हैं. ये स्थान और आवाजाही संबंधी जानकारी भी इकठ्ठा करती है. जानकारों का कहना है कि यह चिंता का विषय है क्योंकि इस तरह की प्रोफाइलिंग के जरिए कई नुकसानदेह कदम उठाए जा सकते हैं.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी