हांगकांग में सिर्फ चीन समर्थक ही लड़ सकेंगे चुनाव
५ मार्च २०२१इसी सत्र में हांगकांग पर चीन का शिकंजा मजबूत करने के लिए भी एक प्रस्ताव आगे बढ़ाया गया है. सात दिन तक चलने वाले सत्र में चीन के लिए लंबे समय की आर्थिक योजना बनाने के साथ ही हांगकांग के चुनावी तंत्र में बड़े बदलाव किए जाने हैं. इन बदलावों के बाद हांगकांग की सरकार में आम लोगों की भूमिका सिमट जाएगी. चीन की शासन व्यवस्था में संसद की भूमिका बहुत हद तक औपचारिक ही है. संसदीय सत्र के लिए 3900 जन प्रतिनिधि सम्मेलन में पहुंचे हैं लेकिन एक पार्टी वाला तंत्र असहमतियों के लिए ज्यादा जगह नहीं देता.
हांगकांग पर शिकंजा
चीन की संसद हांगकांग के चुनावी तंत्र में बड़े बदलाव करने की रणनीति की समीक्षा कर रही है. नई नीति के मुताबिक चीन समर्थक राजनेता और कारोबारी वर्ग एक चुनाव कमेटी का गठन करेंगे. यही कमेटी हांगकांग की विधान परिषद के लिए उम्मीदवारों को नामांकित करेगी. चीन की संसद में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति के वाइस चेयरमैने वांग चेन ने इसकी जानकारी दी. नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की प्रवक्ता झांग येसुई ने गुरुवार शाम प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस बदलाव से यह सुनिश्चित होगा कि केवल "देशभक्त ही हांगकांग का प्रशासन संभालें.
पिछले साल संसदीय सत्र के दौरान चीन ने हांगकांग के लिए एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया. यह कानून अनिवार्य रूप से विरोध को आपराधिक बना देता है. इस कानून के चलते हांगकांग में कई दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया. वहां चीन के बढ़ते दखल और लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को लेकर बीते दो साल से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.
आधिकारिक रूप से हांगकांग चीन का एक अर्धस्वायत्त क्षेत्र है जिसे ब्रिटेन ने चीन को सौंपते वक्त कुछ राजनीतिक अधिकारों का वादा लिया था. 1997 में किया गया वादा 2047 तक के लिए मान्य है. आलोचक कहते हैं कि चीन हांगकांग की आजादी का अतिक्रमण कर रहा है और अपने पिछले वादों को तोड़ रहा है.
हांगकांग के वोटरों ने नवंबर 2019 में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों को जिला परिषद के चुनावों में उतार दिया. हांगकांग के लोग चीन के प्रत्यर्पण बिल पर विरोध जताने के लिए सड़कों पर और चुनाव में उतरे. इस बिल में यह प्रावधान किया गया था कि हांगकांग में किए किसी अपराध के लिए चीन में मुकदमा चलाया जा सकता है. अब इस बिल को स्थगित कर दिया गया है लेकिन चीन चुनावी तंत्र में बदलाव कर यह सुनिश्चित कर लेना चाहता है कि ऐसी स्थिति दोबारा नहीं आए.
6 फीसदी का आर्थिक विकास
बहरहाल संसद के मौजूदा सत्र में एक नई पंचवर्षीय योजना की समीक्षा होगी. इस पंचवर्षीय योजना में चीन ने तकनीकी रूप से खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही घरेलू उपभोग को बढ़ाने और निचले दर्जे वाली चीजों के निर्यात पर निर्भरता घटाने की योजना बनाई है.
नए दिशा निर्देश अमेरिका के साथ करीब एक साल से ज्यादा लंबे समय से चली आ रही कारोबारी जंग के बाद आए हैं. इस जंग के नतीजे में अमेरिका ने चीन को तकनीक का निर्यात तो घटाया ही है. साथ ही दुनिया की फैक्ट्री कहे जा रहे चीन के दर्जे को भी चुनौती दी है. प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कहा, "हम घरेलू प्रसार को बढ़ाएंगे और एक मजबूत घरेलू बाजार बनाने पर काम करेंगे और चीन को एक क्वालिटी प्रॉडक्ट बेचने वाला देश बनाएंगे." चीनी प्रधानमंत्री ने बाजार को और खोलने के साथ ही आयात निर्यात बढ़ाने का भी वादा किया.
नई योजना में सबसे ज्यादा ध्यान टेलिकम्युनिकेशन, स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में नई खोजों को बढ़ाने की योजना पर दिया गया है. चीन की सत्ताधारी पार्टी चाहती है कि देश के विकास के लिए विज्ञान और तकनीक रणनीतिक सहयोग मुहैया कराएं.
बीते साल चीन ने कोरोना वायरस के कारण आर्थिक विकास का लक्ष्य तय करने की परंपरा तोड़ दी. चीन ने इस दौर में 2.3 फीसदी का विकास हासिल किया और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वह अकेला ऐसा देश है जिसने 2020 में विकास किया. चीन बीते साल में बजट घाटे को कम करके 3.6 फीसदी पर ले आया जिससे विकास में मदद मिली. 2021 के लिए चीन ने बजट घाटा 3.2 फीसदी हासिल करने का एलान किया है.
चीन ने साल 2021 के लिए रक्षा बजट में 6.8 फीसदी का इजाफा किया है. 2020 में चीन का रक्षा बजट 6.6 फीसदी बढ़ाया गया. सरकार का ध्यान अर्थव्यस्था को मजबूती देने पर ज्यादा है. हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन का वास्तविक रक्षा खर्च जितना बताया जाता है, उससे करीब 40 फीसदी ज्यादा है.
चीन दक्षिण चीन सागर के इलाके में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए सैन्य द्वीप विकसित कर रहा है. इस क्रम में उसका भारत, अमेरिका और ताइवान के साथ टकराव बढ़ रहा है. चीनी प्रधानमंत्री का कहना है कि चीन सैन्य प्रशिक्षण और हर तरह की तैयारियों को बढ़ाएगा हालांकि देश शांति की स्वतंत्र विदेश नीति पर चलेगा.
एनआर/आईबी (डीपीए)
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