चीन में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी
१ नवम्बर २०१२बैठक में भाग ले रहे पार्टी के 500 वरिष्ठ सदस्य राष्ट्रपति हू जिन ताओ की जगह पर शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की जगह पर ली केचियांग के नामों की पुष्टि कर देंगे. नए नेतृत्व में और कौन लोग शामिल होंगे, इसका कम ही पता है. पर्यवेक्षकों का मानना है कि अभी भी सार्वजनिक निगाहों के पीछे उच्च पदों के लिए मारा मारी हो रही है. पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में सात जगहों के अलावा पोलित ब्यूरो की आधी सीटें भी खाली हैं.
जब 8 करोड़ सदस्यों वाला दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन अपनी पार्टी कांग्रेस करता है तो यह अपने आप में एक खबर है. ऐसी पार्टी कांग्रेस और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब वह सिर्फ पांच साल पर हो. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं कांग्रेस की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहमियत इस बात से भी है कि इस पार्टी ने राज्यसत्ता और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक तरह से अपने कब्जे में कर रखा है. परमाणु हथियारों और इंटरकॉन्टिनेंटल रॉकेटों से लैस दुनिया की सबसे बड़ी सेना उसके सीधे नियंत्रण में है और सबसे बढ़कर पार्टी और उसके साथ देश के नतृत्व में परिवर्तन हो रहा है.
सामूहिक नेतृत्व
निरंकुश व्यवस्थाओं में नेतृत्व परिवर्तन मुश्किल राजनीतिक दांव पेंच वाला होता है. चीन के कम्युनिस्टों ने आम तौर पर हिंसक और अव्यवस्थित रूप से होने वाले सत्ता परिवर्तन को व्यवस्थित बनाया है. पार्टी का नारा है सामूहिक नेतृत्व. माओ झे डोंग या डेंग शियाओपिंग की तरह कद्दावर नेता सरकार के सर्वोपरि नहीं होंगे बल्कि टेक्नोक्रैटों की एक टीम सरकार का नेतृत्व करेगी. और यह नेतृत्व पोलित ब्यूरो के स्थायी आयोग के सदस्यों से बनता है.
इस समय चीन का असली सत्ता केंद्र पोलित ब्यूरो के स्थायी आयोग के 9 सदस्यों से बना है. हर दस साल पर इस चोटी के नेतृत्व को बदल दिया जाता है. इस बार पार्टी की पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में 9 में से सात जगहें नई भरी जाएंगी. पार्टी की उच्च संस्थाओं में चुनाव के लिए उम्र के भी कठोर नियम बनाए गए हैं. 2007 की पार्टी कांग्रेस में सिर्फ उन लोगों को पार्टी की केंद्रीय समिति में चुना गया था जो 1940 के बाद पैदा हुए थे.
ऊपर से नीचे
कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान के अनुसार नेतृत्व के चुनाव की प्रक्रिया सैद्धांतिक रूप से नीचे से ऊपर जाने वाली प्रक्रिया है. पार्टी कांग्रेस के 2,200 प्रतिनिधि केंद्रीय समिति के 350 सदस्यों का चुनाव करेंगे. केंद्रीय समिति अपने बीच से 25 सदस्यों वाले पोलित ब्यूरो को चुनेगी. उनमें से 9 लोग स्थायी आयोग में चुने जाएंगे जिनमें से एक पार्टी का महासचिव होगा. चूंकि राज्यसत्ता और पार्टी सत्ता एक है, इसलिए पार्टी का महासचिव देश का राष्ट्रपति भी होता है और प्रधानमंत्री तथा संसद के अध्यक्ष पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य होते हैं.
लेकिन हकीकत में नेतृत्व का चुनाव ऊपर से नीचे की ओर होता है. पार्टी का नेतृत्व केंद्रीय समिति के सदस्यों को चुनता है, जिस पर पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधि अपनी मुहर लगाते हैं. इसी तरह केंद्रीय समिति पोलित ब्यूरो और उसके स्थायी आयोग के सदस्यों की पहले से तैयार सूची का अनुमोदन करती है.
सत्ता का बाजार
सत्ता के अंदरूनी हलके में कौन शामिल होगा, इसकी सौदेबाजी बहुत पहले हो जाती है. और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य और रिटायर्ड राजनीतिज्ञ जो पृष्ठभूमि में धागा खींचते हैं. इस सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन और प्रधानमंत्री ली पेंग का नाम लिया जा सकता है. वर्तमान राष्ट्रपति हू जिनताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ को देंग शियाओपिंग ने 1997 में अपनी मौत से पहले खुद नेतृत्व में चुना था.
कम्युनिस्ट पार्टी के विभिन्न गुटों के बीच सत्ता संतुलन की सौदेबाजी पूर्वी तट पर स्थिति रिसॉर्ट टाउन बाइदाइहे में होती है जो बीजिंग से रेल से दो घंटे की दूरी पर है. इस साल गर्मियों में वहां के बंगलों के बंद कमरों में नए पोलित ब्यूरो पर गर्मागर्म बहस हुई. चीन के सबसे बड़े शहर चोंगचिंग के पार्टी प्रमुख बो शिलाई को लेकर हुए बवाल ने तय नामों को उलट पुलट कर रख दिया. उनकी पत्नी को एक ब्रिटिश कारोबारी की हत्या के आरोप में मौत की सजा दी जा चुकी है और उन पर भ्रष्टाचार और दूसरे मामलों में मुकदमा चलेगा. इस कांड ने नेतृत्व को बांट दिया है और पार्टी का सुधारवादी धड़ा लोकतांत्रिक सुधारों की मांग कर रहा है. भावी पार्टी प्रमुख शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केचियांग के अलावा सत्ता की बागडोर और किन लोगों के हाथों में होगी, इसका पार्टी कांग्रेस के बाद ही चलेगा.
रिपोर्ट: मथियास फॉन हाइन/एमजे
संपादन: ओंकार सिंह जनौटी