चेतावनी के बाद जर्मनी में सुरक्षा चौकसी जारी
७ अक्टूबर २०१०गृह मंत्री ने कहा कि जर्मनी के लिए पहले की ही तरह खतरे की स्थिति गंभीर है, लेकिन हमले की किसी फौरी और ठोस योजना की खबर नहीं है. इस बीच जर्मन मीडिया में सवाल पूछे जा रहे हैं कि जर्मन सरकार पाकिस्तान के कबायली इलाके में अमेरिकी ड्रोन हमले में जर्मन नागरिकों के मारे जाने पर प्रतिक्रिया क्यों दे रही है.
सप्ताह के आरंभ में जब जर्मनी राष्ट्रपति के इस बयान पर बहस कर रहा था कि इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर अमेरिकी ड्रोन हमले में जर्मनी के कुछ इस्लामी कट्टरपंथियों के मारे जाने की खबर आ रही थी. पाकिस्तानी खुफिया सेवा ने कहा कि वजीरिस्तान के उत्तर में मिराली के मस्जिद पर रॉकेट हमले में आठ जर्मन इस्लामी कट्टरपंथी मारे गए हैं. उनके जिहाद इस्लामी गुट का सदस्य होने का संदेह है. जर्मन विदेश मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने कहा है कि रिपोर्ट की जांच की जा रही है.
जर्मनी में एक ओर प्रवासियों को समाज में घुलाने मिलाने पर बहस हो रही है तो दूसरी ओर एक गुट तैयार हो रहा है जो जिहाद के नाम पर लोकतंत्र के खिलाफ लड़ रहा है. पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां पश्चिम में पैदा हुए मुसलमान कट्टरपंथियों को बड़ा खतरा मानने लगे हैं, क्योंकि वे अपने पासपोर्ट के सहारे आसानी से यूरोप में कहीं भी आ जा सकते हैं. बहुत से कट्टरपंथी अफगान पाकिस्तान सीमाक्षेत्र में जाते हैं और वहां कैंपों में ट्रेनिंग लेते हैं. बताया जा रहा है कि बागराम में कैद अफगान मूल के जर्मन नागरिक अहमद सिद्दीकी ने अमेरिकी सेना को यूरोपीय शहरों पर हमले की जानकारी दी है. अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के कबायली इलाकों में अपने ड्रोन हमलों में पिछले सप्ताहों में तेजी ला दी है. यह वह इलाका है जहां पाकिस्तान सेना ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. जर्मन आतंकवाद विशेषज्ञ एलमार थेवेसन का कहना है कि ड्रोन हमला ऐसे हमलों की योजना बनाने वालों को मारने और निष्क्रिय करने पर लक्षित था.
जर्मनी में कट्टरपंथी संगठन
जर्मन खुफिया सेवा की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में 29 सक्रिय कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन हैं, जिनके समर्थकों की संख्या 36 हजार से अधिक है. इनमें सबसे बड़ी संख्या तुर्की गुटों की है. पश्चिमी लोकतंत्र को नकारने वाले मिली गौएरुस संगठन के 29 हजार सदस्य हैं. अरब देशों से जुड़े गुटों के 3800 समर्थक हैं जिनमें से मुस्लिम ब्रदरहुड के 1300 और हिजबोल्लाह के 900 समर्थक हैं.
इसके अनुसार पिछले सालों में कई सौ इस्लामी कट्टरपंथियों ने आतंकी संगठनों के कैंपों में सैनिक ट्रेनिंग ली है. सबसे महत्वपूर्ण कैंप पाकिस्तान में हैं. लेकिन पाकिस्तान के अलावा ये कैंप उत्तरी अफ्रीका के मुस्लिम देशों और यमन में भी हैं. जर्मन अधिकारियों ने 2009 में नोटिस किया कि जर्मनी से तालिबान और अल कायदा नियंत्रित पाकिस्तान के कबायली इलाकों में जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार 1990 के दशक से 200 लोगों ने, जिनमें मुसलमान बने जर्मन, प्रवासी परिवार वाले जर्मन या जर्मनी में रहने वाले विदेशी शामिल हैं, सैन्य प्रशिक्षण पाया है या उसका इंतजार कर रहे हैं.
जर्मन पुलिस ट्रेड यूनियन के प्रमुख कोनराड फ्रायटाग ने इस्लामी कट्टरपंथियों की बढ़ती यात्राओं के कारण जर्मनी में हमले के बढ़ते खतरे की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि 130 खतरनाक लोगों के बारे में जानकारी है जो हमलों के लिए तैयार हैं. 40 लोग आतंकी कैंपों में प्रशिक्षण लेकर जर्मनी लौट चुके हैं. "और वे स्वाभाविक रूप से ठोस खतरा हैं." अमेरिकी ड्रोन हमले को जर्मनी और यूरोपीय ठिकानों पर आतंकी हमलों की चेतावनी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है जबकि जर्मनी के गृह मंत्री थोमास दे मिजियेर का कहना है कि फौरी हमले के ठोस संकेत नहीं हैं. पर हमले की संभावना का खतरा है, जिसके अनुसार देश और देश के बाहर जर्मन हित लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का निशाना हैं.
आतंकवाद विशेषज्ञ बैर्न्ट गियोर्ग थाम हमले के वर्तमान खतरे को अपेक्षाकृत गंभीर मानते हैं. उनका कहना है कि 9/11 के 9 साल बाद उग्रपंथी इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों में नई संरचना विकसित हो गई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिहादियों की हिंसा को तैयार दूसरी पीढ़ी पैदा हो गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि उग्रपंथी क्षेत्रों में शायद ही कोई विश्वसनीय सूचना स्रोत हैं. अमेरिका और ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी यूरोप के दौरे पर जाने वालों के लिए चेतावनी जारी कर दी है.
रिपोर्ट: एजेंसियांमहेश झा
संपादन: ए जमाल