चोर और चोर की नानी के 50 साल
३ अगस्त २०१२एक कुख्यात, लेकिन मजेदार चोर ने नानीमा के माथे पर पिस्तौल लगाई और कॉफी के बीज पीसने वाली मशीन चुरा ली. इस चोर का नाम है होट्जेनप्लॉट्ज. उधर दो चालाक बच्चे, कास्पेर्ल और सेपेल, चोर से वापस मशीन को चुराने में लगे हैं लेकिन एक बदमाश जादूगर पेट्रोसीलियस ज्वाकेलमान के चंगुल में फंस जाते हैं. अब दोनों को एक ऐसी तरकीब निकालनी है जिससे कि होट्जेनप्लॉट्ज और जादूगर, दोनों को बुद्धू बनाया जाए.
जर्मन लेखक प्रॉयसलर की मशहूर किताबें बच्चों में बेहद लोकप्रिय हैं. इन कहानियों पर आधारित कासपेर्ले थियेटर जर्मनी में बहुत पसंद किया जाता है. इसमें कासपेर्ले एक बड़ी लाल टोपी पहनता है और एक मजाकिया जोकर सा लगता है. सेपेल, उसका दोस्त और कास्पेर्ले हमेशा किसी डायन या जादूगर से अपने आप को छुड़ाने में लगे रहते हैं.
50 साल पहले प्रॉयसलर की पहली किताब छपी. कहते हैं, "मैंने खुद से कहा, कुछ ऐसा लिखो, मस्ती के लिए, जैसे कास्पेर्ले की एक किताब, कुछ ऐसे पात्रों के साथ जो कास्पेर्ले की कहानियों में भी हों." इसी के साथ एक महान कहानी लिखी गई और होट्जेनप्लॉट्ज की लाखों किताबें दुनिया भर में बिकीं.
इस सीरीज में पहली किताब का 32 भाषाओं में अनुवाद हुआ है. 1962 में प्रकाशित होने के बाद आफ्रीकांस में इसका अनुवाद हुआ और डेनमार्क में भी यह काफी लोकप्रिय बना. ब्रिटेन में भी होट्जेनप्लॉट्ज की मांग बनी. जापान में इसे ओडोबोरो होट्जेन्पलॉट्ज का नाम दिया गया है. जापान की रानी मिचिको को यह किताब इतनी पसंद है कि वे जब 1993 में जर्मनी आईं, तो उन्होंने प्रॉयसलर से मुलाकात की. पिछले 10 सालों में एशियाई देशों में भी इस चोर की कहानी ने लोगों का दिल जीता है. थीनेमान प्रकाशन की डॉरिस केलर रीम कहती हैं कि एशियाई संस्कृति में भी चोर एक बहुत ही दिलचस्प पात्र होता है.
अब नई पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए होट्जेनप्लॉट्ज वाला ऐप भी बन रहा है. सीरीज की केवल पहली किताब मशहूर हुई और उसे प्रकाशित करने वाले क्लाउस विलबर्ग मानते हैं कि नई पीढ़ी को दूसरी तरह से इसकी और खींचना होगा.
रिपोर्टः हेल्गा श्पानहाके/एमजी
संपादनः महेश झा