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चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा का सफर

रवि रंजन
२६ जुलाई २०१९

येदियुरप्पा तालुका इकाई से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत कर राज्य की सबसे बड़ी सियासी कुर्सी तक पहुंचे. वे सात बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद भी चुने गए हैं.

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BS Yeddyurappa
तस्वीर: IANS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले बीजेपी नेता बुकानकेरे सिद्धालिंगप्पा येदियुरप्पा (बीएस येदियुरप्पा) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली. पहली बार येदियुरप्पा वर्ष 2007 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. दूसरी बार मई 2008 में फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने और अगस्त 2011 तक अपने पद पर बने रहे. लेकिन भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद बीएस येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनें, लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. अब वे चौथी बार इस पद पर आसीन हुए हैं.

बीएस येदियुरप्पा का जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक के मांड्या जिले के बुकनाकेरे में हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा जिले के ही पीईएस कॉलेज से हुई. वर्ष 1965 में उन्होंने समाज कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी के क्लर्क के रूप में नौकरी शुरू की. कुछ ही समय बाद वे नौकरी छोड़ शिकारीपुरा चले गए और राइस मिल में काम करने लगे. वर्ष 1967 में राइस मिल के मालिक की बेटी माता मैत्रादेवी से शादी कर ली. येदियुरप्पा के दो बेटे बीवाई राघवेंद्र और विजयेंद्र तथा तीन बेटियां अरूणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं.

राजनीतिक सफर

येदियुरप्पा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1970 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिकारीपुरा इकाई के सचिव के रूप में की. इसके दो साल बाद शिकारीपुरा नगर पालिका के सदस्य चुने गए. उसी साल वे जनसंघ के तालुका इकाई के अध्यक्ष भी बने. वर्ष 1975 में येदियुरप्पा शिकारीपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए, जब देश में आपातकाल लगा हुआ था. येदियुरप्पा बेल्लारी और शिमोगा की जेल में कैद भी रहे थे.

बीजेपी के साथ उनकी यात्रा की शुरुआत वर्ष 1980 में हुई जब उन्हें शिकारपुरा तालुका इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. वह 1983 में शिकारपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. वर्ष 1985 में उन्हें शिमोगा जिले की बीजेपी इकाई का अध्यक्ष चुना गया था और अगले तीन साल में वे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए. वर्ष 1994 में येदियुरप्पा कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. 5 साल बाद जब 1999 विधानसभा चुनाव में हार मिली तो उन्हें राज्य के ऊपरी सदन (विधान परिषद) का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2004 में वे एक बार फिर से कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने.

मुख्यमंत्री बनने का सफर

कर्नाटक में वर्ष 2006 में बीजेपी के समर्थन से कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे. येदियुरप्पा उस सरकार में उप मुख्यमंत्री थे. बाद में जब गठबंधन के तहत येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने का समय आया तो जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. लेकिन नवंबर 2007 में जेडीएस ने समर्थन देने का मन बनाया. येदियुरप्पा पहली बार मुख्यमंत्री बने और तब दक्षिण भारत में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार भी बनी. हालांकि यह सरकार 10 दिन भी नहीं चल सकी.

कर्नाटक में वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में जबरदस्त उलटफेर हुआ. येदियुरप्पा ने शिकारपुरा से पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ा और यहां से 45,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत गए. 30 मई को येदियुरप्पा दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें. लेकिन 30 नवंबर 2012 को उन्होंने भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. साथ ही बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी. उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई और नाम दिया 'कर्नाटक जनता पक्ष'. वर्ष 2013 में वे राज्य विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से शिकारपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.

फिर से थामा बीजेपी का दामन

देश में लोकसभा चुनाव 2014 के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई थी. बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. इसी समय 2 जनवरी 2014 को येदियुरप्पा ने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया. लोकसभा चुनाव में येदियुरप्पा शिमोगा जिले से चुनाव लड़े और 3 लाख 63 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. राष्ट्रीय राजनीति में जगह मिलने के बावजूद उन्होंने कर्नाटक में ही काम करने की इच्छा जताई. इसके बाद 8 अप्रैल 2016 को फिर से उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

दो साल बाद वर्ष 2018 में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटें जीतने में कामयाब रही. सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से सरकार बनाने का दावा पेश किया और सरकार बनी भी. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने लेकिन 8 सीटें कम पड़ने की वजह से सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस की सहायता से एचडी कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने. लेकिन 14 महीने के भीतर ही कुमारस्वामी की सरकार गिर गई. एक बार फिर कई दिनों तक खिंचे नाटकीय घटनाक्रम के बाद येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए.

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