जयपुर साहित्य सम्मेलन: कुछ साहित्य कुछ शो
विश्व विख्यात जयपुर साहित्य सम्मेलन ने इस साल बारह साल पूरे किए. पिछले एक दशक में दस लाख से ज्यादा पुस्तक प्रेमियों ने इसमें भाग लिया है. इस बार मुद्दों से ज्यादा साहित्य सम्मेलन के प्रायोजक पर विवाद रहा.
नोबेल विजेता
ऐसा अकसर नहीं होता कि नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्य सम्मेलन को संबोधित करे. लेकिन इस बार वेंकी रामकृष्णन ने जयपुर साहित्य सम्मेलन का पहला भाषण दिया. उन्होंने "वर्तमान विश्व में विज्ञान की भूमिका" पर अपने विचार रखे.
मनीषा कोइराला
कैंसर पर विजय पा चुकी फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने अपनी पुस्तक "हील्ड" पर चर्चा करते हुए बताया कि कैंसर उनके लिए एक उपहार था जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. उनका कहना था कि सभी रोगियों को उनकी ही तरह खुलकर अपनी बीमारी के बारे में चर्चा कर, उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए.
नियमित मेहमान
इस बार जयपुर साहित्य सम्मेलन फिर एक बार गुलजार हुआ, प्रसिद्ध फिल्मी हस्ती गुलजार की आमद से. उन्होंने बुजुर्गों को हिदायत दी कि वे अपनी नयी पीढ़ी के सामने कभी भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें क्योंकि जबान बहुत आगे तक जाती है. कहीं ऐसा न हो कि लम्हों की सजा, सदियों को मिले.
गुलजार और मेघना
गुलजार के साथ इस बार उनकी बेटी मेघना गुलजार भी साहित्य सम्मेलन में शामिल हुई. मेघना ने अपने पिता की जीवनी लिखी है जिस में बड़ी ही साफगोई से उन्होंने अपने पिता और मां राखी तथा मीना कुमारी के रिश्तों का बखूबी वर्णन किया है. मेघना का कहना था कि गुलजार उनके लिए पिता कम, माता ज्यादा रहे हैं.
शबाना और जावेद
रिश्तों का बखूबी वर्णन हुआ सम्मेलन के एक और सत्र में जिसमें फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपने पिता कैफी आजमी और अपने पति मशहूर शायर और लेखक जावेद अख्तर ने अपने पिता जानिसारअख्तर को बड़ी ही शिद्दत से याद किया. उनका कहना था कि हर किसी को अपनी मातृभाषा से प्रेम करना चाहिए जबकि नयी पीढ़ी इसे भूलती जा रही है.
उषा उथुप
इस बार जयपुर साहित्य सम्मेलन की "शो स्टॉपर" कही जा सकती हैं प्रसिद्ध पार्श्व गायिका उषा उथुप जो भले ही पहली बार इस में शामिल हुईं पर उन्होंने दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी. वे कहती हैं कि गाने वाले को दिखने की बजाय अपने गाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, नहीं तो बड़ी बिंदी, चूड़ियों और कांजीवरम साड़ी में हमेशा रहने वाली उषा को पचास साल तक कोई नहीं सुनता.
मोबाइल और सेल्फी
यूं तो साहित्य का कुम्भ कहे जाने वाले जयपुर साहित्य सम्मलेन में बड़ी संख्या में युवा लोग शामिल होते हैं पर उसका रुझान साहित्य की तरफ कम और मोबाइल पर ज्यादा रहता है. दो सौ अस्सी शब्दों के ट्विटर मैसेज को ही अपना ग्रन्थ मानने वाली युवा पीढ़ी पुस्तकों से शायद दूर होती जा रही है.
सोनल मान सिंह
भारत की प्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मान सिंह ने इस बार नारी के सौन्दर्य पर चर्चा की. उनका कहना था कि सुंदरता के लिए तन और मन दोनों का सुन्दर होना जरूरी है. उनकी राय में हर कोई सुन्दर हो सकता है बशर्ते वो सुन्दर बातें करे.