जरदारी को फौज से तख्तापलट का डर
१ दिसम्बर २०१०विकीलीक्स पर जारी दस्तावेजों के जरिए ये बात सामने आई है. विकीलीक्स के जरिए सामने आए इन दस्तावेजों को अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और गार्जियन ने छापा है. इनसे पता चला है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी ने अमेरिकी राजदूत से मार्च 2009 में कहा था कि वो जरदारी पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बना सकते हैं. अमेरिकी अखबारों में छपी खबरों में जरदारी के प्रतिद्वंदी नवाज शरीफ की बजाय अवामी नेशनल लीग पार्टी के नेता असफयंदर वली खान को सेना प्रमुख कियानी की पसंद बताया गया है.
लीक हुए अमेरिकी दस्तावेजों के आधार पर अखबारों में छपी खबर में कहा गया है कि अमेरिकी उप राष्ट्रपति ने ब्रिटेन में तब के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन से जरदारी के साथ हुई बातचीत का जिक्र किया था. जरदारी ने कहा था "आईएसआई उन्हें बाहर निकाल देगी." अखबार के मुताबिक जरदारी ने अपने मारे जाने की आशंका में काफी तैयारियां भी की थी. जरदारी के इस बयान से साबित हो गया कि पाकिस्तान में फौज की सत्ता में कितनी दखल है.
राष्ट्रपति जरदारी और सेना के बीच की जंग किसी से छिपी नहीं है. इस साल जब सितंबर में सेना प्रमुख कियानी ने राष्ट्रपति जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से मुलाकात की थी तो स्वनिर्वासन में लंदन रह रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने चुटकी ली,"मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो मौसम के बारे में बातचीत नहीं कर रहे थे."
अमेरिकी दस्तावेजों से ये भी पता चला है कि पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों से संबंध न तोड़ने से अमेरिकी अधिकारी काफी निराश हैं. लश्कर ए तैयबा ने ही मुंबई पर हमले की साजिश रची थी. पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत एन्ने पैटर्सन ने कहा था,"इस बात की कोई उम्मीद नहीं कि पाकिस्तान के साथ सभी मामलों में सहयोग करने के बाद भी वो आतंकी संगठनों के साथ सहयोग करना बंद करेगा क्योंकि उसे भारत के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है."
इन दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपनी दखल चाहता है और साथ ही भारत की वहां से बेदखली भी यही वजह है उसने तालिबान से भी अपने रिश्ते पूरी तरह से नहीं खत्म किए. इन दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान आतंकवादियों को किसी इंश्योरेंस की पॉलिसी की तरह देखता है जो तब काम आएंगे जब अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से वापस लौट जाएगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़