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जरदारी, गिलानी को भारत पाकिस्तान मैच देखने का न्योता

२५ मार्च २०११

भारत ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मैच देखने का न्योता भेजा है. दोनों टीमें 30 मार्च को मोहाली में वर्ल्ड कप क्रिकेट का सेमीफाइनल खेलेंगी. क्रिकेट पहले भी रुकी हुई बातचीत बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है.

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जरदारी और मनमोहनतस्वीर: AP

मोहाली का क्रिकेट ग्राउंड अगर दक्षिण एशिया या यूं कहें विश्व के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों का अखाड़ा बनेगा, तो इसके स्टेडियम में बड़े सियासतदानों की जगह बन सकती है. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मैच देखने की इच्छा जता चुके हैं. वह चाहते हैं कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी भी उनके साथ मैच देखें.

दोनों को एक जैसे लिखे पत्र में भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे आपको मोहाली बुलाते हुए बहुत खुशी हो रही है. आप मेरे और दोनों देशों के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के साथ मैच देखिए."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसके लिए पाकिस्तानी नेताओं को दावत दे दी है. उनका संदेश नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग को पहुंचा दिया गया है. सिंह ने पत्र में लिखा है, "लोगों में गजब का उत्साह है. हम क्रिकेट का एक शानदार खेल देखने की तैयारी कर रहे हैं. यह निश्चित तौर पर खेल की जीत है."

Flash-Galerie Indien Commonwealth Games Delhi 2010
तस्वीर: AP

नवंबर, 2008 को मुंबई आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच उनके देशों में क्रिकेट नहीं खेला गया है. हालांकि इसके बाद दोनों देशों का मुकाबला चैंपियंस ट्रॉफी में जरूर हुआ, जिसे पाकिस्तान ने जीता.

भारत और पाकिस्तान के बीच 30 मार्च को पंजाब के मोहाली क्रिकेट ग्राउंड पर वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच खेला जाना है. पाकिस्तान में विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं किया गया है और सरकार ने तय नहीं किया है कि क्या राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मैच देखने भारत जाएंगे.

भारत और पाकिस्तान के जटिल रिश्तों को संभालने में कई बार क्रिकेट का सहारा लिया गया है, जिसे क्रिकेट डिप्लोमेसी भी कहा जाता है. इससे पहले दोनों देशों ने 2004 में लंबे वक्त बाद एक दूसरे की धरती पर क्रिकेट देखा था. पहले भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति जियाउल हक 1987 में मैच देखने भारत आ चुके हैं. यूरोप में भी कभी कभी दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष फुटबॉल मैच देखने के बहाने एक दूसरे देश में जाते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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