मंथन 54 में खास
२० सितम्बर २०१३जब कोई व्यक्ति इंटरनेट में जाता है तो अपने पीछे निशान छोड़ता चलता है. उसे पता होना चाहिए कि इसका कहीं गलत इस्तेमाल ना हो जाए. इसलिए आप क्या देख रहे हैं, क्या सूचना छोड़ रहे हैं, इसका ख्याल रखना जरूरी है. सुरक्षा संभव नहीं है, कम से कम उन लोगों से, जिन्हें इसे देखने की अनुमति है. जिन कंपनियों का आप इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें सब कुछ पता होता है. दूसरे हैं खुफिया एजेंसियां. आज के जमाने में जब आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा है, तो सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है और इसलिए उन्हें देखने का हक भी है.
आम यूजर अपनी जरूरत के लिए इंटरनेट पर जाता है, वह इन सब बातों को नहीं सोचता है. फिर भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि यह कोई काली कोठरी नहीं है, जहां गए और कोई नहीं देख रहा है. इसके अलावा कानूनों का ख्याल रखना भी जरूरी है. इंटरनेट के कानून हर देश में अलग हैं, अपने नागरिकों के लिए अलग और विदेशियों के लिए अलग. इस बात का हमेशा ख्याल रखें.
पासवर्ड क्या हो?
ऐसे पासवर्ड न लें जो आसानी से हैक किए जा सकते हों. हैकर 1000 पासवर्ड आसान सिर्फ 17 मिनट में हैक कर सकते हैं. पासवर्ड में चार चीजों का ध्यान रखना चाहिए. एक तो लेटर्स बड़े और छोटे इस्तेमाल किए जाने चाहिए, डिजिट इस्तेमाल किए जाएं और सिम्बल इस्तेमाल किए जाएं. इन चारों को मिला कर अगर आप अपना पासवर्ड बनाते हैं, तो वह सुरक्षित होता है.
मंथन की इसी कड़ी में हम आपको हैकिंग पर भी विस्तृत जानकारी देंगे. किस तरह कुछ लोग पकड़ में आए बगैर इंटरनेट पर अपना काम कर लेते हैं और बड़ी बड़ी एजेंसियों को भी उनके बारे में पता नहीं चल पाता है. हाल के दिनों में कई देशों में क्रांतियों के दौरान भी इस तरीके का इस्तेमाल किया गया.
कंप्यूटर और इंटरनेट के साथ साथ होगी कारों की बात भी. अच्छी कारों का शौक हर किसी को होता है. लेकिन बड़ी बड़ी कंपनियों की कारें भी हर कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं. किसी का डिजाइन अच्छा होता है, तो किसी का इंजन. कोई तेज रफ्तार से चलती है, तो कोई ज्यादा सुरक्षित होती है. कार के शौकीनों के लिए डिजाइनर पॉल बेकन की तैयार की गई कार को शो में शामिल किया गया है. साइंस फिक्शन फिल्मों से निकली गाड़ी जैसी दिखने वाली इस कार को देख कर आप दांग रह जाएंगे.
कौनसा पेड़ काटें
जंगलों की सुरक्षा के लिहाज से जर्मनी एक मिसाल देने लायक देश है. यहां के कुल क्षेत्रफल का करीब एक तिहाई हिस्सा जंगल है और जर्मनी के लोगों में जंगलों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी है. मंथन में एक ऐसी कंपनी पर रिपोर्ट पेश की गई है, जो पेड़ों को काटने से पहले इस बात का ख्याल रखती है कि वे पेड़ काटे जाने लायक हैं या नहीं. कंपनी उन्हीं पेड़ों को चुनती है, जिन्हें काटने से पर्यावरण पर खराब असर नहीं पड़ता. इसके लिए वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी करती है.
इसके अलावा भारत का पड़ोसी देश म्यांमार अपनी मशहूर झीलों को बचाने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है, इस पर भी मंथन में जानकारी मिलेगी. किस तरह से वहां झील के पास होने वाली खेती के तरीकों को बदला जा रहा है और झील में रहने वाली मछलियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है बताएंगे आपको शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.
एजेए/आईबी