जर्मन चुनावों की अहम तारीखें
जर्मनी के लिये सितंबर का महीना रोमांच से भरा है. चुनाव बेशक 24 सितंबर को होने हैं लेकिन कुछ अन्य तारीखें भी हैं जो इन चुनावों को समझने के लिये बेहद ही अहम है.
चुनावी साल
जर्मनी के लिए 2017 बेहद ही अहम साल है. इन चुनावों में अगर चांसलर अंगेला मैर्केल जीतती हैं तो वह अपने चौथे कार्यकाल में प्रवेश कर जाएगी. लेकिन धुर दक्षिणपंथी दल एएफडी मैर्केल के खिलाफ अप्रवासी मुद्दे को भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि साल 2017 के अंत तक जर्मन राजनीति इतनी भी समान नहीं रहेगी.
19 जून, बुंडेसटाग की दौड़
चुनाव से 97वें दिन पहले सभी पार्टियों को बुंडेसटाग में शामिल होने को लेकर फैसला करना होता है. यहीं से बुंडेसटाग के लिये असली दौड़ शुरू होती है. इस दिन शाम 6 बजे तक पार्टियों के पास चुनाव आयुक्त को अपने आवेदन सौंपने थे. रोडिरष एगलर जर्मन आम चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार है. वे जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय के प्रमुख भी हैं.
7 जुलाई, कौन लेगा हिस्सा
चुनाव के 79 दिन पहले, देश के चुनाव प्रभारी उन राजनीतिक दलों की घोषणा करते हैं जो इन चुनावों में हिस्सा ले सकते हैं. आम तौर पर अगर कोई राजनीतिक दल इस फैसले से सहमत नहीं होता है तो वह चार दिन की समयसीमा के भीतर जर्मनी की संवैधानिक अदालत में अपील कर सकता है.
17 जुलाई, उम्मीदवारों की सूची
चुनाव के तकरीबन 69 दिन पहले तक राजनीतिक दलों को लोकतांत्रिक तरीके से यह तय करना होता है किस निर्वाचन क्षेत्र से कौन सा उम्मीदवार खड़ा होगा. यहां मतदाताओं के पास दो वोट होते हैं. मतदाता अपना पहला वोट उम्मीदवार को देता है और दूसरा वोट पार्टी को. इस दौरान पार्टी को पार्टी लिस्ट से आने वाले उम्मीदवारों की भी सूची सौंपनी होती है.
27 जुलाई, शिकायत पर फैसला
चुनाव में भाग लेने की अनुमति पाने के लिए जिन भी पार्टियों ने संवैधानिक न्यायायलय में अपनी शिकायत दर्ज कराई होगी उन्हें इस दिन फैसला सुनाया गया होगा. यह विकल्प साल 2013 में हुए पिछले बुंडेसटाग चुनाव के बाद से ही चलन में आया है. पिछले चुनावों में 11 दलों ने याचिका दायर की थी लेकिन फैसला किसी के भी पक्ष में नहीं आया था.
13 अगस्त, चुनाव प्रचार के नियम
जर्मनी में राजनीतिक दल चुनाव के 6 हफ्ते पहले से ही चुनाव प्रचार कर सकते हैं. इसके पहले प्रचार से जुड़े पोस्टर और टीवी विज्ञापन नहीं दिखाये जा सकते. इस साल भी 13 अगस्त के बाद पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार के रास्ते खुले और सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. अब हालात यह है कि शहरों के अधिकतर लैंप पोस्ट पर किसी न किसी उम्मीदवार का चेहरा नजर आता है.
20 अगस्त, कौन करेगा मतदान
चुनाव के तकरीबन एक माह पहले मतदाता सूची तैयार हो जाती. जर्मनी का हर वो नागरिक जिसकी उम्र इस दिन 18 वर्ष या इससे अधिक है मतदान में हिस्सा ले सकता है. इन चुनावों में 6.15 करोड़ योग्य मतदाता है. यहां सबसे अधिक मतदाता जर्मन राज्य नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया (1.3 करोड़) में हैं. इसके बाद, बवेरिया (95 लाख), बाडेन वुर्टेमबर्ग (78 लाख) का नंबर आता है.
3 सितंबर, तीन हफ्ते पहले
इस समय तक सभी योग्य मतदाताओं को एक चिट्ठी भेजी जायेगी जिसे लेकर उन्हें मतदान वाले दिन मतदान केंद्र पर जाना होता है. ऐसे लोग जो इस वक्त तक भी मतदाता सूची में शामिल नहीं होते हैं उनके पास अब भी स्वयं को सूची में रजिस्टर कराने का वक्त है. इसके अतिरिक्त पोस्टल-बैलट के जरिये भी मतदाता अपना मत दे सकते हैं.
18 सितंबर, चुनाव की तैयारी
चुनाव के लगभग एक हफ्ते पहले सारी तैयारियां अपने उफान पर होती है. बैलट, पोलिंगबूथ, ट्रांसपोर्ट बॉक्स आदि से लेकर चुनावी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाता है. स्थानीय अधिकारियों को मतदाताओं को मतदान से जुड़ी जानकारियों के बारे में सूचित करना होता है. हालांकि स्थानीय निवासी चुनाव से 36 घंटे पहले भी स्वयं को रजिस्टर कर सकते हैं.
24 सितंबर, चुनावी दिन
इन सारी तैयारियों का मकसद मतदान को आसान बनाना होता है. शहरों के स्कूलों, कम्युनिटी सेंटर और अन्य केंद्रों को मतदान केंद्रों में तब्दील कर दिया जायेगा और लोग यहां वोट देने आयेंगे. ये मतदान केंद्र सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक खुले रहेंगे. इसी दिन मतदान केंद्रों पर वोट की गिनती होगी और चुनाव आयुक्त उसी शाम प्रारंभिक परिणामों की घोषणा कर देंगे.
25 सितंबर, विजेता का फैसला
उम्मीदवारों और पार्टी के सभी मतों की गिनती के बाद ही अंतिम परिणाम घोषित किये जाते हैं. अगर कोई उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र से नहीं भी जीत पाता तब भी वह वे पार्टी लिस्ट से बुंडेसटाग में एक सीट पा सकता है.
24 अक्टूबर, 19वीं बुंडेसटाग का गठन
नवनिर्वाचित संसद को चुनाव के एक महीने के भीतर पहली बैठक करनी होती है और इसी बैठक के बाद गठबंधन वार्ता से जुड़ा सबसे जटिल काम शुरू होगा. इसके बाद गुप्त मतदान के जरिये अगले चांसलर के नाम पर मुहर लगेगी.
24 नवंबर, अगर हो सवाल
अगर कोई चुनाव की वैधता को चुनौती देना चाहे तो उसके पास ऐसा करने के लिये दो महीने का वक्त होगा. सभी मतदाता, राज्य चुनाव पर्यवेक्षक, बुंडेसटाग के अध्यक्ष और देश के चुनाव आयुक्त फैसले पर अपील कर सकते हैं.