जर्मनी: फुटबॉल में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग
१९ मई २०२१जिन नौ महिलाओं ने "फुटबॉल कैन डू मोर (फुटबॉल और भी कर सकता है)" नाम से इस तरह की आठ मांगों की एक सूची बनाई है, उनमें जर्मनी की पूर्व खिलाड़ी कात्या क्राउस, पूर्व रेफरी बिबियना स्टाइनहाउस-वेब और टीवी एंकर गैबी पापेनबुर्ग और क्लॉडिया न्यूमान शामिल हैं. पापेनबुर्ग और क्राउस ने एक साक्षात्कार में बताया कि फुटबॉल में और खेल का प्रबंधन करने वाली संस्था डीएफबी में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. डीएफबी तो इस समय नेतृत्व के संकट से भी गुजर रही है.
पापेनबुर्ग ने कहा, "हमने जो कम से कम 30 प्रतिशत का लक्ष्य रखा है वो तुलनात्मक रूप से कम ही है. लेकिन 30 प्रतिशत भी कई लोगों की कल्पना से परे है." क्राउस ने बताया, "विविधता के फायदे साबित हो चुके हैं. अभी तक फुटबॉल को अपने ही नियमों से चलाया गया है, लेकिन अब पहली बार बाहर से दबाव आ रहा है. हम इसे बढ़ाना चाहते हैं और अपनी मांगों के पूरा होने के लिए हमने 2024 का लक्ष्य रखा है."
इस तरह के सुझाव भी दिए गए हैं कि डीएफबी की अगली अध्यक्ष कोई महिला होनी चाहिए. फ्रिट्ज केलर ने हाल ही में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. पापेनबुर्ग ने क्राउस का नाम सुझाया, क्योंकि वो पूर्व खिलाड़ी होने के अलावा एसवी हैम्बुर्ग के बोर्ड की सदस्य भी रह चुकी हैं. क्राउस अब एक खेल सलाहकार कंपनी की प्रबंधक निदेशक भी हैं जिसकी वजह से पापेनबुर्ग की निगाह में वो "एक परिपूर्ण उम्मीदवार" हैं.
क्राउस ने कहा कि उन्हें "कोई पद संभालने की कोई अभिलाषा नहीं है" लेकिन उन्होंने अपनी दावेदारी से इनकार भी नहीं किया. डीफबी एकल खेलों में दुनिया का सबसे बड़ा संघ है. क्राउस ने कहा, "बदलाव की मांग करने में निसंदेह जिम्मेदारी को ग्रहण करने का दायित्व भी शामिल है. मैं ये कहां, किन परिस्थितियों में और सबसे बड़ी बात कि किस तरह की व्यवस्था में यह करूंगी इसका मैं बारीकी से निरीक्षण करूंगी."
उन्होंने कहा कि जर्मन फुटबॉल लीग क्लबों को लाइसेंस देने के लिए विविधता के कार्यक्रम और महिलाओं के लिए एक कोटा जैसी जरूरतें लागू कर सकती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए क्लबों को जानकारी और संसाधन भी देने होंगे. पापेनबुर्ग कहती हैं कि उन्होंने डीएफबी से बात की है लेकिन उन्हें मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है. उन दोनों ने यह भी बताया कि डीएफबी से जुड़े लोगों ने उन्हें इस पहल से जुड़ने से पहले दोबारा सोचने को भी कहा था.
क्राउस कहती हैं, "यह अद्भुत है कि हमें इसके बारे में इतना समझाना पड़ रहा है. हम कोई आतंकवादी नहीं हैं, बस कुछ महिलाएं जो लैंगिक बराबरी को लेकर प्रतिबद्ध हैं." लेकिन उन्हें यह उम्मीद भी है कि डीफबी पर आया संकट शायद महिलाओं के लिए एक बड़ा अवसर हो. पापेनबुर्ग ने कहा, "मैं उम्मीद करती हूं कि इससे और ज्यादा खुलापन और हमारी मांगों को लेकर स्वीकृति बढ़ेगी."
सीके/एए (डीपीए)