जर्मन सेना में हथियारों की किल्लत
१७ मार्च २०१०स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारी कमी, हेलिकाप्टरों और बख्तरबंद गाड़ियों का अभाव, सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण- सेना के लिए जर्मन संसद द्वारा नियुक्त प्रभारी राइनहोल्ड रोब्बे ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इनकी कड़ी आलोचना की है.
यह ख़ामियां एक ऐसे समय में सामने आई हैं, जबकि तेज़ आधुनिक लड़ाकू विमानों या पनडुब्बियों जैसे महंगे, गैरज़रूरी साज़सामानों के लिए अरबों का ख़र्च किया जा रहा है.
प्रभारी के रूप में राइनहोल्ड रोब्बे की यह अंतिम रिपोर्ट है, इसके बाद वे अपना पद छोड़ने वाले हैं.
आड़े हाथों लिया
अपनी रिपोर्ट में उन्होंने सेना और रक्षा मंत्रालय में फैली नौकरशाही, पदोन्नति के अभाव और नियोजन के क्षेत्र में ख़ामियों को आड़े हाथों लिया है. सेना की संरचनाओं में आमूल परिवर्तन का मांग करते हुए उन्होंने टिप्पणी की है कि दुनिया की बदली हुई हालात में जर्मन सेना अभी तक भूमिका समझ नहीं पाई है. उन्होंने ध्यान दिलाया है कि दुर्घटना या हमलों के बाद ख़ासकर परिवहन के लिए गाड़ियों की भारी कमी देखी जाती है. ज़िम्मेदार अधिकारी उन्हें दूर करने के बजाय लीपापोती में व्यस्त रहते हैं.
रोब्बे की रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान में जर्मन सेना के मिशन व कुंदुस में जर्मन अफ़सर के आदेश पर हुए हमले पर विस्तार से टिप्पणी की गई है. उन्होंने कहा है कि इस हमले के बाद अफ़ग़ानिस्तान में जर्मन सेना के मिशन के तात्पर्य और उद्देश्य, व साथ ही, उनके प्रत्यादेश के आयाम और उसकी सीमा के सवाल एक प्रेशर कूकर के अंदर उबलते से दिख रहे हैं. साथ ही उन्होंने ध्यान दिलाया है कि अफ़ग़ानिस्तान में उन्हें कोई ऐसा सैनिक नहीं मिला, जो कुंदुस के हमले का आदेश देने के लिए ज़िम्मेदार कर्नल क्लाइन का समर्थन न करता हो.
राइनहोल्ड रोब्बे ने अपनी रिपोर्ट में अनिवार्य सैनिक सेवा घटाने या ख़त्म करने के सरकार के विचार की भी आलोचना की है. और आज ही ख़बर आई है कि जर्मन सरकार ने औपचारिक रूप से निर्णय लिया है कि अनिवार्य सैनिक सेवा की अवधि नौ महीनों से घटाकर 6 महीने कर दी जाएगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भ
संपादन: आभा मोंढे