जर्मनी और फ्रांस साझा यूरोपीय बांड के खिलाफ
११ दिसम्बर २०१०जर्मन शहर फ्रायबुर्ग में चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ हुई मुलाकात के बाद सारकोजी ने कहा कि पहले आर्थिक, बजट और कर नीति में निकट सहमति जरूरी है. उसके बाद यूरो बांड के बारे में चर्चा की जा सकती है. यूरो क्षेत्र में जारी अनिश्चितता के बीच क्षेत्र के दोनों बड़े देश एकजुटता का प्रदर्शन करना चाहते हैं. चांसलर मैर्केल ने कहा है कि शिखर भेंट में दोनों देश ताकतवर यूरो के लिए संकेत देना चाहते हैं लेकिन साथ ही दोनों देशों की करनीति में समरसता लाना चाहते हैं. और निकोला सारकोजी ने मैर्केल को समर्थन देते हुए कहा, "हम हर कुछ करेंगे जो यूरो की रक्षा के लिए जरूरी है."
यूरो ग्रुप के प्रमुख और लक्जेमबर्ग के प्रधानमंत्री जाँ क्लोद युंकर ने कर्ज में डूबे देशों की मदद करने के लिए साझा यूरोपीय बांड जारी करने का प्रस्ताव दिया था. चांसलर मैर्केल ने उसे ठुकरा दिया था. अब सारकोजी ने भी चांसलर के रुख की पुष्टि कर दी है. दोनों नेताओं का कहना है कि यूरो जोन में ब्याज दर को एक जैसा बनाने के बदले आर्थिक और वित्तीय नीतियों में सामंजस्य पैदा किया जाना चाहिए.
जर्मनी इस समय सरकारी बांड के लिए तीन प्रतिशत ब्याज देता है जबकि फ्रांस को 3.3 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है. आयरलैंड या ग्रीस जैसे यूरो जोन के कमजोर देशों को सरकारी बांड के लिए 8 से 11 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है. साझा बांड लागू करने से ब्याज दर भी बराबर हो जाएगी और तब जर्मनी और फ्रांस को ज्यादा ब्याज देना होगा जबकि ग्रीस और आयरलैंड जैसे देशों को कम ब्याज देना होगा. जर्मनी और फ्रांस इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि कर्ज लेने वाले देशों के खुद जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
मैर्केल और सारकोजी ने 2013 से यूरो के लिए स्थायी बचाव संरचना बनाने और यूरोपीय संधि में संशोधन की मांग की है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह