जर्मनी नष्ट करेगा सीरिया के रासायनिक हथियार
९ जनवरी २०१४रासायनिक हथियारों पर निषेध लगाने के लिए काम कर रही संस्था ओपीसीडब्ल्यू ने जर्मन सरकार से हथियारों को नष्ट करने के लिए मदद मांगी है. इस तरह के मामलों में अब तक जर्मनी ने तकनीक और सलाह के स्तर पर मदद की है पर ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब देश की सीमाओं के अंदर इन हथियारों को नष्ट करने का काम किया जाएगा.
विदेश मंत्री श्टाइनमायर ने इस बारे में कहा, "जिस किसी के भी पास ऐसा करने का तकनीकी ढांचा है वह मदद करने से इंकार नहीं कर सकता." उन्होंने कहा कि रासायनिक हथियारों को नष्ट करना सीरिया में चल रहे संघर्ष को खत्म करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.
लंबा अनुभव
रक्षा मंत्री फॉन डेयर लायन कहती हैं, "जर्मनी के पास न केवल सुरक्षित तकनीक है बल्कि रासायनिक हथियारों को नष्ट करने का लंबा तजुर्बा भी." जर्मनी चाहता कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए वह अपनी इस क्षमता का इस्तेमाल कर सके और शांति प्रक्रिया में योगदान दे सके.
हथियार नष्ट करने का काम जर्मन कंपनी जीईकेए को सौंपा जाएगा. जीईकेए 1997 से इस काम में लगी है और इसका मुख्य काम है पहले और दूसरे विश्व युद्ध के हथियारों को सुरक्षित रूप से नष्ट करना. जर्मनी में आज भी कई जगह दूसरे विश्व युद्ध में फेंके गए बमों के अवशेष मिलते हैं. कुछ दिनों पहले म्यूनिख में एक काफी खतरनाक बम को निकाला गया था. कंपनी का दावा है कि हथियारों को नष्ट करने की खास प्रक्रिया के दौरान वातावरण में कोई भी हानिकारक पदार्थ नहीं छोड़ा जाता.
सीरिया के लिए हल
सीरियाई सरकार पिछले साल सितंबर में अपने रासायनिक हथियारों और उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान को खत्म के लिए रजामंद हुई. इस सामान से भरा पहला जहाज मंगलवार को सीरिया से रवाना हुआ हालांकि यह तय किए गए समय से देर से निकला. इसकी वजह सुरक्षा कारणों और खराब मौसम को बताया गया.
जनवरी 22 को जिनेवा में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मलेन में 30 देश सीरिया में गृहयुद्ध को खत्म करने के लिए सुझावों पर बहस करेंगे लेकिन पड़ोसी देश ईरान को इसमें शामिल नहीं किया गया है क्योंकि सीरिया के बशर अल असद को ईरान का सीधा समर्थन हासिल है और असद के विरोधी ईरान के भी खिलाफ होंगें. जर्मनी के विदेश मंत्री श्टाइनमायर ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरान को भी इसमें शामिल करने के बारे में विचार करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2011 से अब तक सीरिया में एक लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 20 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं.
आईबी/एमजी (डीपीए/एफएफपी)