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जर्मनी ने साइबर हमलों के लिए रूस पर लगाए आरोप

३ मई २०२४

जर्मनी और चेक गणराज्य ने हाल के साइबर हमलों का आरोप रूस पर लगाया है. यूरोपीय संघ ने इसके बाद रूस को नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है. जर्मनी ने रूसी राजदूत को तलब किया है.

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साइबर हमले की प्रतीकात्मक तस्वीर
पिछले साल जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी एसपीडी के कई नेता साइबर हमले का निशाना बने थेतस्वीर: picture alliance/dpa

यूक्रेन पर हमलों के बाद से ही रूस के साथ जर्मनी और पश्चिमी देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है. अब जर्मनी समेत कई देशों में साइबर हमलों के पीछे भी रूस का हाथ होने के आरोप सामने आए हैं.

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि सरकार की तरफ से कराई गई जांच के नतीजे में पता चला है कि 2023 के जिन साइबर हमलों में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के सदस्यों को निशाना बनाया गया था, उसे एपीटी28 नाम के गुट ने अंजाम दिया था. एसपीडी जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी है.

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ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गईं विदेश मंत्री बेयरबॉक ने पत्रकारों से कहा कि एपीटी28, "रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस सेवा चलाती है." बेयरबॉक ने यह भी कहा, "दूसरे शब्दों में यह जर्मनी पर सरकार प्रायोजित साइबर हमला था, जो बिल्कुल असहनीय और अस्वीकार्य है, और इसके नतीजे दिखेंगे." इसके बाद जर्मनी ने बर्लिन में रूस के कार्यवाहक राजदूत को समन किया.

 जर्मन विदेश मंत्री ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं
विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने साइबर हमले का आरोप रूस पर लगाया हैतस्वीर: Sina Schuldt/dpa/picture alliance

एपीटी28 या फैंसी बेयर

एपीटी28 को फैंसी बेयर भी कहा जाता है. इस पर दुनिया भर के देशों में दर्जनों साइबर हमले करने के आरोप हैं. फैंसी बेयर के चर्चित कांडों में से 2015 का वह साइबर हमला भी शामिल है जब जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग का कंप्यूटर नेटवर्क ठप्प हो गया था. इसकी वजह से कई दिनों तक संसद का कामकाज ऑफलाइन रहा.

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रूस इन गतिविधियों के पीछे हाथ होने से इनकार करता है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी पर साइबर हमलों की जानकारी पिछले साल आई थी. इसके लिए पहले इन हमलों के लिए माइक्रसॉफ्ट आउटलुक की अज्ञात कमजोरी को जिम्मेदार माना गया था. 

जर्मन गृह मंत्री नैंसी फेजर का कहना है कि साइबर अभियान रूस की सैन्य खुफिया सेवा जीआरयू ने चलाया था और यह 2022 में शुरू हुआ. इसने हथियार बनाने वाली और एयरोस्पेस कंपनियों को भी निशाना बनाया था.

जर्मनी की संसद
2015 में जर्मन संसद के निचले सदन को साइबर हमलों का निशाना बनाया गया था जिसकी वजह से वहां कई दिनों तक कामकाज ऑफलाइन करना पड़ा.तस्वीर: Britta Pedersen/dpa/picture alliance

रूस को चेतावनी

प्राग में चेक समकक्ष विक राकुसान के साथ एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में फेजर ने कहा कि इस तरह के साइबर हमले, "हमारे लोकतंत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा और मुक्त समाजों के लिए खतरा हैं. हम रूस से एक बार फिर कहते हैं कि इस तरह की गतिविधियां बंद करे."

चेक सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कुछ सरकारी संस्थाओं को साइबर हमले का निशाना बनाया गया था, जिसका आरोप एपीटी28 पर है. उसने माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक की कमजोरी का फायदा उठाया है. चेक गृह मंत्री राकुसान का कहना है कि उनके देश ने इस तरह के दर्जनों हमले हाल में झेले हैं.

जर्मनी और चेक गणराज्य की इस खोज के बाद यूरोपीय संघ ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने एक बयान जारी कर कहा है, "दुर्भावनापूर्ण साइबर अभियान साइबर स्पेस में रूस के लगातार गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को दिखाता है, इसमें यूरोपीय संघ और उसके पार के देशों में लोकतांत्रिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों और अहम बुनियादी ढांचा मुहैया कराने वालों को निशाना बनाया गया है. बोरेल ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ, "साइबर स्पेस में रूस की दुर्भावनापूर्ण रवैये को रोकने, उसका निवारण और जवाब देने के लिए सभी तरह के उपाय करेगा."

क्या पूरे के पूरे देश हैक हो सकते हैं?

बयान में कहा गया है कि पोलैंड, लिथुआनिया, स्लोवाकिया और स्वीडन समेत कई देशों को एपीटी28 ने निशाना बनाया है. इससे एक दिन पहले ही नाटो ने रूस के "हाइब्रिड एक्शन" पर "गहरी चिंता" जताई थी. इनमें भ्रामक जानकारी देने, तोड़फोड़ और साइबर दखलंदाजी जैसी गतिविधिया शामिल हैं. यह मामला ऐसे समय में उठा है जब करोड़ों यूरोपवासी जून में होने वाले चुनाव के लिए मतदान की तैयारी कर रहे हैं. 

एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए)