जर्मनी ने हटाया 'टैम्पॉन कर'
८ नवम्बर २०१९बर्लिन की संसद के ठीक बाद वाली इमारत में लोगों की चहलपहल लगी है. बाहर पतझड़ की सुबह और अंदर कमरे में एक गोल मेज के इर्द गिर्द बैठे कुछ लोग. इनमें पत्रकार यूले शुल्टे भी शामिल हैं. वे यहां एक याचिका ले कर आई हैं जिसमे उनकी मांग है कि जर्मनी की सरकार टैम्पॉन, सैनिटरी पैड और मासिक धर्म से जुड़े अन्य उत्पादों पर से टैक्स घटाए. शुल्टे 80,000 समर्थकों से हस्ताक्षर ले चुकी हैं, जिनमें टैम्पॉन बनाने वाले और दवा की दुकाने चलाने वाले भी शामिल हैं.
जर्मनी में लंबे समय से मासिक धर्म से जुड़े उत्पादों पर 19 प्रतिशत टैक्स रहा है. इसकी वजह से इन उत्पादों के दामों में लगभग बीस फीसदी की वृद्धि हो जाती है. शुल्टे के हिसाब से समस्या साफ है: मासिक धर्म के उत्पादों पर इतनी ऊंची वैट दर अनुचित है.
वहां उपस्थित नेताओं को वे हिसाब लगा कर बताती हैं: महिलाओं को करीब 40 साल की उम्र तक हर महीने पांच दिन मासिक धर्म से गुजरना पड़ता है - यह जीवन के साढ़े छह सालों के बराबर है. शुल्टे कहती हैं, "यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे उसका अनुभव करने वालों ने चुना हो. मासिक धर्म होता ही है चाहे आप यह पसंद करें या ना करें."
टैक्स लगाने वालों को पीरियड्स जो नहीं हुए
कर व्यवस्था पर एक सरसरी निगाह दौड़ा लेने भर से पता चलता है कि क्यों मासिक धर्म के उत्पादों पर "लग्जरी" टैक्स लगाने पर नाराजगी है. रोजमर्रा के इस्तेमाल के कई उत्पादों पर लगने वाली टैक्स दर कम करने का एक प्रावधान है. इनमें खाने की चीजों से लेकर फूल, बस का किराया, ट्रेन का किराया और यहां तक कि गोल्डफिश जैसे पालतू पशु भी शामिल हैं. इन सभी उत्पादों पर सात प्रतिशत की टैक्स दर है जबकि पीरियड्स से जुड़ी चीजों पर 19 प्रतिशत.
शुल्टे की इस पहल से पहले भी जर्मनी की संसद के सामने कई ऐसी याचिकाएं आ चुकी हैं. इनमें चेंज.ओआरजी पर चली एक याचिका भी शामिल है जिसे दो लाख हस्ताक्षर मिले थे. लेकिन इन गर्मियों से पहले तक संसद बार बार उन्हें अस्वीकार कर रही थी और कह रही थी कि 19 प्रतिशत वैट लगाना भेद भाव नहीं है. शुल्टे से जब पूछा गया कि संसद ऐसी दलील कैसे दे सकती है, तो उनका जवाब था, "टैम्पॉन टैक्स के जनकों को कभी मासिक धर्म नहीं हुआ".
ग्रीन पार्टी की प्रवक्ता ऊले शॉज का कहना है, "यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक ऐसी संसद जिसके अधिकतर सदस्य पुरुष हों वहां इस तरह के विषयों पर कम ध्यान दिया जाता है". सांसदों में दो-तिहाई से भी ज्यादा पुरुष हैं और महिला सांसदों की संख्या 2017 में हुए पिछले चुनावों में दो दशक में सबसे निचले स्थान पर है.
पीरियड्स से जुड़ी 10 गलतफहमियां
केन्या और भारत से भी पीछे जर्मनी
कई और देश इस मुद्दे पर जर्मनी से आगे हैं. केन्या ने 2011 में ही मासिक धर्म के उत्पादों पर वैट हटा दिया था. कनाडा से लेकर भारत तक, पिछले एक दशक में, दुनिया भर के देशों ने या तो इन उत्पादों पर से टैक्स या तो कम कर दिया है या हटा ही दिया है. खासकर विकासशील देशों में कई लोग मासिक धर्म के उत्पादों का खर्च उठा नहीं सकते और इनका इस्तेमाल न करने से महिलाओं को स्कूलों और दफ्तरों से छुट्टी लेनी पड़ती है. इससे और भी वित्तीय कठिनाइयां और सामाजिक भेदभाव होता है.
ग्रीन पार्टी की शॉज कहती हैं कि 2019 में भी जर्मनी में पीरियड्स अभी तक एक वर्जित विषय है, "सबसे बड़ी बात यह है कि हमें युवा लड़कियों को यह समझाना है कि यह कोई घिनौनी चीज नहीं है". इस वर्जना को कम करने और सेल्स टैक्स को हराने के तरीकों में पीरियड्स वाली कलरिंग बुक और ऐसी किताबें शामिल हैं जिनमें टैम्पॉन छिपे होते हैं . किताबों पर सात प्रतिशत टैक्स ही लगता है.
तो क्या भविष्य में कंडोम, दवाओं या बच्चों के डायपर वाली किताबें देखने को मिलेंगी? हो सकता है क्योंकि इन उत्पादों पर भी 19 प्रतिशत टैक्स लगता है और ये भी रोजमर्रा की जरूरत का हिस्सा हैं. इस वजह से कई नेताओं और एक्टिविस्ट समूहों का कहना है कि पूरी वैट प्रणाली पर दोबारा विचार करने की जरूरत है.
ब्रेक्सिट से जुड़ी दलील?
कई देशों में सैनिटरी पैड पर टैक्स हटाना आसान नहीं है. इस समय पूरे यूरोपीय संघ में न्यूनतम वैट पांच प्रतिशत है. सदस्य देश दर को उस से नीचे नहीं रख सकते लेकिन उसे बढ़ाने की मांग कर सकते हैं. टैम्पॉन टैक्स और ईयू का इस मुद्दे पर तथाकथित पितृसत्तामक रवैया ब्रेक्सिट के समर्थकों के लिए एक केंद्रबिंदु बन गया था.
आयरलैंड ने पांच प्रतिशत की दर के लागू होने से पहले ही सैनिटरी पैड पर से टैक्स बिलकुल ही हटा दिया था लेकिन बाद में फिर दाम बढ़ गए. 2022 में पांच प्रतिशत की सीमा को हटा दिया जाएगा और उसके बाद सभी ईयू सदस्य टैम्पॉ़न टैक्स को पूरी तरह से हटा पाएंगे.
उधर बर्लिन में जर्मनी के सांसदों के बीच समझौता हो चुका है: टैम्पॉन टैक्स को कम करना जरूरी है. जर्मन सरकार ने अपने वार्षिक टैक्स कानून में इसे शामिल भी कर लिया है और संसद ने भी इसकी इजाजत दे दी है. अब 1 जनवरी 2020 से जर्मनी में भी मासिक धर्म के उत्पादों पर कम टैक्स दर भी लागू होगी.
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